नई दिल्लीः Paryushana Mahaparva: जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण पर्यूषण महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. 10 दिनों के इस उत्सव को जैन समुदाय दशलक्षण महापर्व के तौर पर भी मनाता है. दशलक्षण नाम इसलिए, क्योंकि 10 दिन का यह उत्सव जीवन में जरूरी तौर पर अपनाए जाने वाले 10 सूत्रों को मानने की बात करता है. क्या है पर्यूषण महापर्व और इसका महत्व, आसान भाषा में जानिए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पर्यूषण महापर्व क्या है?
यह जैन धर्म के लोगों का दस दिवसीय उत्सव है. बुरे कर्मों का नाश करके हमें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देने वाला पर्व पर्यूषण महापर्व कहलाता है.



पर्यूषण पर्व का शाब्दिक अर्थ है- आत्मा में अवस्थित होना. पर्यूषण पर्व- जप, तप, साधना, आराधना, उपासना, अनुप्रेक्षा आदि अनेक प्रकार के अनुष्ठानों का अवसर है.


पर्यूषण महापर्व कब होता है?
जैन धर्म के अनुयायी दो समुदायों में बंटे हुए हैं. एक हैं दिगंबर और दूसरे हैं श्वेतांबर. श्वेतांबर समुदाय के लोग और श्रद्धालु भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से शुक्ल पक्ष की पंचमी तक के दिन को पर्यूषण महापर्व मनाते हैं. दिगंबर श्रद्धालु भाद्रपद शुक्ल की पंचमी से चतुर्दशी तक यह पर्व मनाते हैं. श्वेतांबर समाज 8 दिन तक पर्यूषण पर्व मनाते हैं जिसे 'अष्टान्हिका' कहते हैं जबकि दिगंबर 10 दिन तक पर्व मनाते हैं जिसे वे 'दशलक्षण' कहते हैं.


दशलक्षण क्या हैं
जैन मत के अनुसार ये दसलक्षण हैं- उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम शौच, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम आकिंचन्य एवं उत्तम ब्रह्मचर्य. यही जीवन का सार कहलाता है और जीवन में अपनाए जाने योग्य जरूरी बात भी है.


इन दशलक्षणों का क्या मतलब है?
पर्यूषण पर्व का हर एक दिन अलग-अलग लक्षणों के लिए तय रहता है. इसमें सबसे पहला पर्व दिन है उत्तम क्षमा. यह दिन क्षमा के नाम होता है. यह दिन इतना महान है कि आप किसी से अपनी भूल के लिए माफी मांग सकते हैं और किसी को चाह लें तो माफ कर सकते हैं.


उत्तम क्षमा का क्या अर्थ है?
साल भर में हमने जिनके साथ जानबूझ कर या अनजाने में बुरा व्यवहार किया हो और तो उनसे क्षमा मांगते हैं और अगर किसी ने हमारे साथ ऐसा किया हो तो उन्हें माफ कर देते हैं.



उत्तम क्षमा क्षमा हमारी आत्मा को सही राह खोजने मे और क्षमा को जीवन और व्यवहार में लाना सिखाता है. इस दिन बोला जाता है, मिच्छामि दुक्कडं: सबको क्षमा सबसे क्षमा.


उत्तम मार्दव से क्या समझते हैं?
अकसर धन, दौलत, शान और शौकत लोगों को अहंकारी और अभिमानी बना देता है ऐसा व्यक्ति दूसरो को छोटा और अपने आप को सर्वोच्च मानता है. मार्दव सिखाता है कि सब से विनम्र भाव से पेश आया जाए और हर प्राणि से मैत्री भाव रखा जाए, क्योंकि सभी जीवों को जीने का प्राकृतिक अधिकार है.


उत्तम आर्जव क्या है?
कपट के भ्रम में जीना दुखी होने का मूल कारण है. उत्तम आर्जव धर्म हमें सिखाता है कि मोह-माया, बुरे कर्म सब छोड़ कर सरल स्वभाव के साथ परम आनंद मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं.


उत्तम शौच के बारे में जानिए?
भौतिक संसाधनों और धन दौलत में खुशी खोजना ये सिर्फ एक भ्रम है. उत्तम शौच धर्म सिखाता है कि जितना मिला है शुद्ध मन से उस में संतोष के साथ खुश रहो. अपनी आत्मा को शुद्ध बनाकर ही परम आनंद मोक्ष को प्राप्त कर पाना आसान होगा. इसके अलावा शौच धर्म शुचिता और स्वच्छता की ओर भी इशारा करता है. यह शुचिता तन और मन दोनों की होनी चाहिए.


उत्तम सत्य क्या है?
झूठ बोलना बुरे कर्म में बढ़ोतरी करता है. सत्य यानी सत, इसका अर्थ है वास्तविक होना. उत्तम सत्य आत्मा की प्रकृति जानने के लिए सत्य की ओर चलने का इशारा करता है. अपने मन और आत्मा को सरल और शुद्ध बना लें तो सत्य अपने आप ही आ जाएगा.


उत्तम संयम को भी जानिए
इच्छा-अनिच्छा, पसंद-नापसंद, अपनी आत्मा को इन प्रलोभनों से मुक्त करने का दिन है उत्तम संयम धर्म. यह आपके मन को स्थिरता देता है. संयम रखना सिखाता है. यह राह परम आनंद मोक्ष की ओर ले जाती है.


उत्तम तप क्या है?
तप को इस अर्थ में न लें कि इससे शारीरिक कष्ट को जोड़ा जाए. यह व्रत-उपवास तक सीमित नहीं है. अपने दर्गुणों से दृढ़ता से दूर रहना भी तप है. इच्छाओं को वश में रखना ही असली तपस्या है. पर्यूषण पर्व के 10 दिनों के दौरान उपवास (बिना खाए-पिए),  ऐकाशन (एकबार खाना-पानी)  तप के प्रतीक रूप में करते हैं.


उत्तम त्याग क्या है?
त्याग की भावना ही जैन धर्म का मूल है. इस त्याग में अहिंसा का तत्व है. इच्छा, अभिमान, लोभ, क्रोध आदि का त्याग ही उत्तम त्याग धर्म की उद्देश्य है. धन-दौलत का त्याग तो प्रतीक मात्र है.


उत्तम आकिंचन्य क्या है?
आकिंचन हमें मोह को त्याग करना सिखाता है. आत्मा के भीतरी मोह जैसे गलत मान्यता, गुस्सा, घमंड, कपट, लालच, डर, शोक और वासना इन सब मोह का त्याग करके ही आत्मा को शुद्ध बनाया जा सकता है.


यह भी पढ़िएः Daily Horoscope 12th September 2021: जानिए क्या है आज का राशिफल


उत्तम ब्रह्मचर्य क्या है?
उत्तम ब्रह्मचर्य का अर्थ है सादा जीवन-उच्च विचार. ब्रह्मचर्य हमें उन इच्छाओं का त्याग करना सिखाता है जो हमारे भौतिक संपर्क से जुडी हुई हैं. व्यय, मोह, वासना ना रखते सादगी से जीवन व्यतीत करना.
ब्रह्मचर्य के ही दिन शाम को एक बार फिर अपने किए गए पाप और किसी को बोले गए कड़वे वचन के लिए क्षमा मांगी जाती है. लोग हाथ जोड़ कर गले मिलकर मिच्छामी दूक्कडम कहते हैं.


Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.