नई दिल्लीः आज (3 मई) मई महीने का पहला बुधवार है. साथ ही आज वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि भी है और हर माह इस तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की जाती है. भोलेनाथ की आराधना के लिए यह मुहूर्त काफी लाभकारी माना जाता है.
शिव की आराधना करने से दूर होती है हर पीड़ा
मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करने से और प्रदोष तिथि की कथा सुनने से धन, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. प्रदोष व्रत की कथा कहने और सुनने से जीवन की तमाम तरह की समस्याओं का नाश हो जाता है और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.
वार के हिसाब से होता है प्रदोष व्रत का नामकरण
अगर पंचांग की मानें तो प्रदोष व्रत का नामकरण वार के हिसाब से होता है. जैसे-ः सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष कहते हैं. ऐसे आज (3 मई) के दिन लगने वाले प्रदोष का नाम बुध प्रदोष है. हर प्रदोष व्रत में प्रदोष काल का बेहद महत्व है. त्रयोदशी तिथि में रात्रि के प्रथम प्रहर, यानी सूर्यास्त के बाद के समय को प्रदोष काल कहते हैं.
3 मई को है वैशाख महीने का दूसरा प्रदोष
वैशाख महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 3 मई 2023 को मनाया जा रहा है. बात अगर इसके शुभ मुहूर्त की करें तो पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 2 मई 2023 रात 11 बजकर 17 मिनट से शुरू होकर 3 मई तक है.
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