नई दिल्लीः Bach Baras 2024: बछ बारस आज मनाया जा रहा है. इस दिन गौमाता की बछड़े समेत पूजा की जाती है. माताएं अपने पुत्रों को तिलक लगाकर लड्डू का प्रसाद देती हैं. महिलाएं अपने पुत्र की मंगल कामना के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं. ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इस दिन गेहूं से बने हुए पकवान और चाकू से कटी हुई सब्जी नहीं खाए जाते हैं.


गौमाता की पूजा की जाती है


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बाजरे या ज्वार का सोगरा और अंकुरित अनाज की कढ़ी व सूखी सब्जी बनाई जाती है. महिलाओं की ओर से सुबह गौमाता की विधिवत पूजा अर्चना करने के बाद घरों या सामूहिक रूप से बनी मिट्टी व गोबर से बनी तलैया को अच्छी तरह सजाकर उसमें कच्चा दूध और पानी भरकर उसकी कुमकुम, मौली, धूप दीप प्रज्वलित कर पूजा करते हैं और बछ बारस की कहानी सुनी जाती है. 


गोवत्स द्वादशी कहा जाता है


बछ बारस प्रतिवर्ष जन्माष्टमी के चार दिन पश्चात भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की द्वादशी के दिन 30 अगस्त को मनाया जाता है इसलिए इस गोवत्स द्वादशी भी कहते हैं. भगवान कृष्ण के गाय और बछड़ों से बड़ा प्रेम था इसलिए इस त्योहार को मनाया जाता है और ऐसा माना जाता है कि बछ बारस के दिन गाय और बछड़ों की पूजा करने से भगवान कृष्ण समेत गाय में निवास करने वाले सैकड़ों देवताओं का आशीर्वाद मिलता है जिससे घर में खुशहाली और संपन्नता आती है. बछ बारस का पर्व राजस्थानी महिलाओं में ज्यादा लोकप्रिय है.


यह पर्व पुत्र की मंगल-कामना के लिए किया जाता है. इस पर्व पर गीली मिट्टी की गाय, बछड़ा, बाघ तथा बाघिन की मूर्तियां बनाकर पाट पर रखी जाती हैं तब उनकी विधिवत पूजा की जाती है. इस दिन घरों में विशेष कर बाजरे की रोटी जिसे सोगरा भी कहा जाता है और अंकुरित अनाज की सब्जी बनाई जाती है. इस दिन गाय की दूध की जगह भैंस या बकरी के दूध का इस्तेमाल किया जाता है.


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