नई दिल्लीः Delhi High Court ने दिल्ली सरकार को Corona मामले में फटकार लगाई है. कोर्ट ने आरटी-पीसीआर परीक्षण में गड़बड़ी को लेकर दिल्ली सरकार पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही सीरो सर्वे की रिपोर्ट को भी कोर्ट से छिपाने को लेकर सरकार की खिंचाई की गई. Delhi High Court रिपोर्ट के आधार पर सरकार से पूछा कि वह अपनी टेस्टिंग कैपेसिटी को क्यों बर्बाद कर रही है?
कोरोना गाइडलाइंस से जुड़ी याचिका पर सुनवाई
जानकारी के मुताबिक, कोर्ट का कहना है कि आरटी-पीसीआर और अन्य माध्यम से दिल्ली में 15,000 परीक्षण की क्षमता है, फिर भी औसतन लगभग 11,000 परीक्षण / दिन ही टेस्ट किए जा रहे हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट Corona गाइडलाइंस से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस दौरान दिल्ली सरकार पर फटकार लगाई गई है.
सरकार ने कोर्ट में दिया जवाब
दूसरी ओर, दिल्ली सरकार की ओर से दावा किया गया है कि सीरो सर्विलांस की रिपोर्ट मीडिया को नहीं दी गई. एडीशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) संजय जैन ने कोर्ट से कहा कि ऐसा नहीं माना जाना चाहिए कि दिल्ली सरकार की आरटीपीसीआर (RT-PCR) टेस्ट करने की इच्छा नहीं है. सरकार अपनी क्षमता के अनुसार अधिक से अधिक टेस्ट करा रही है.
Delhi HC slams Delhi Govt for not ramping up of RT-PCR testing
Court said, "As against testing capacity of 15,000 through RT-PCR&other similar tests per day available in Delhi, actual no. of tests being conducted through this mode is still around 11,000 tests/day on an average."— ANI (@ANI) September 30, 2020
डिप्टी सीएम भी हुए थे संक्रमित
दिल्ली सरकार ने यह भी दावा किया कि उसके 9 सितंबर के आदेश के तहत आरटीपीसीआर टेस्ट को लेकर कोई कैप नहीं लगाई गई है. उसने कहा कि जिसे शंका हो वह बिना प्रेस्क्रिप्शन के यह टेस्ट लैब में करवा सकता है. दरअसल, दिल्ली में एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ने लगे थे.
बल्कि बीते 14 सितंबर को खुद डिप्टी सीएम कोरोना से संक्रमित हो गए थे. इसके बाद हालत बिगड़ने पर उन्हें पहले LNJP और फिर मैक्स में भर्ती कराया गया था. हालांकि अब उन्हें छुट्टी मिल गई है.
एक और याचिका पर सरकार से मांगा जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने कोरोना गाइडलाइंस से जुड़ी एक जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. इसमें सरकार को उन लोगों के घरों के बाहर पोस्टर आदि लगाने से रोके जाने की मांग की गई है जो कोरोना पॉजिटिव होने के चलते होम आइसोलेशन में हैं.
याचिकाकर्ता की मांग है कि ऐसे लोगों के घर के बाहर लगे नोटिसों को वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सर्कुलेट करने से रोका जाना चाहिए.
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