नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस दीपक गुप्ता अब रिटायर हो गए हैं. उन्होंने अपने विदाई कार्यक्रम में कई अहम और बड़ी बातें कहीं. जस्टिस दीपक गुप्ता का विदाई समारोह वीडियो कांफ्रेंसिंग के द्वारा हुआ. दीपक गुप्ता ने अपने संबोधन में न्याय प्रणाली पर कई गंभीर आरोप भी लगाए जो सभी को विचार करने के पर मजबूर करते हैं. जस्टिस गुप्ता ने कहा कि कोई अमीर सलाखों के पीछे होता है तो कानून अपना काम तेजी से करता है लेकिन गरीबों के मुकदमों में देरी होती है.
अमीरी और गरीबी देखकर होता है न्याय
जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि आज भी न्याय प्रणाली बहुत पक्षपाती है और इसके लिए कुछ हद तक समाज भी जिम्मेदार है. गरीब को न्याय देर से मिलता है जबकि अमीर के लिए न्याय पाना आसान है. जस्टिस गुप्ता ने कहा कि कोई अमीर सलाखों के पीछे होता है तो कानून अपना काम तेजी से करता है लेकिन, गरीबों के मुकदमों में देरी होती है. अमीर लोग तो जल्द सुनवाई के लिए उच्च अदालतों में पहुंच जाते हैं लेकिन, गरीब ऐसा नहीं कर पाते.
देशवासियों को न्यायपालिका पर महान भरोसा
न्यायपालिका को खुद ही अपना ईमान बचाना चाहिए. देश के लोगों को न्याय व्यवस्था पर बहुत भरोसा है. मैं देखता हूं कि वकील कानून की बजाय राजनीतिक और विचारधारा के आधार पर बहस करते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि संकट के समय मेरे और आपके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा लेकिन, गरीबों के साथ हमेशा ऐसा होता है. उन लोगों की आवाज नहीं सुनी जाती इसलिए उन्हें भुगतना पड़ता है.
मुझे कोई नहीं देगा राज्यसभा का टिकट
जस्टिस दीपक गुप्ता ने मीडिया से कहा कि जैसा मैंने काम किया है उससे लगता है मुझे कोई भी नेता या दल राज्यसभा के टिकट नहीं देगा. उन्होंने राज्यसभा जाने की सभी संभावनाओं को खारिज कर दिया और कहा कि अगर सरकार उन्हें राज्यसभा भेजने का प्रस्ताव रखेगी तो भी मैं उसे स्वीकार नहीं करूंगा. दीपक गुप्ता ने कहा कि न्यायाधीश ऑस्ट्रिच की तरह अपना सिर नहीं छिपा सकते, उन्हें ज्यूडिशियरी की दिक्कतें समझकर इनसे निपटना चाहिए.
ये भी पढ़ें- वामपंथी मीडिया को डोनाल्ड ट्रंप ने दिखाई औकात, 'ये लोग हैं चोर'
कौन हैं दीपक गुप्ता
आपको बता दें कि जस्टिस दीपक गुप्ता इससे पहले त्रिपुरा हाईकोर्ट के पहले चीफ जस्टिस बने थे.वे हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के जज भी रह चुके हैं. 2017 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे. सुप्रीम कोर्ट के तीन साल में उन्होंने कई अहम फैसले दिए. नाबालिग पत्नी की सहमति के बिना जबरदस्ती संबंध बनाने को दुष्कर्म माना जाएगा. यह फैसला भी जस्टिस गुप्ता ने ही दिया था.