नई दिल्ली: आखिरकार जुर्म की दुनिया में खुद को किंग समझने वाले यूपी का गैंगस्टर विकास दुबे का खेल खत्म हो गया. लेकिन आखिरी वक्त तक उसकी अकड़ कम नहीं हुई. विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद सियासी बखेड़ा तेज हो गया है.


एनकाउंटर पर छिड़ गया सियासी संग्राम


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8 पुलिसकर्मियों का गुनहगार विकास दुबे का The End हुआ तो सियासी गलियारों में बखेड़ा शुरू हो गया. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने इस एनकाउंटर पर राजनीति शुरू कर दी है. अखिलेश यादव के बाद अब बसपा मायावती ने भी ट्वीट करके सवाल उठाया है.


मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा कि "कानपुर पुलिस हत्याकाण्ड की तथा साथ ही इसके मुख्य आरोपी दुर्दान्त विकास दुबे को मध्यप्रदेश से कानपुर लाते समय आज पुलिस की गाड़ी के पलटने व उसके भागने पर यूपी पुलिस द्वारा उसे मार गिराए जाने आदि के समस्त मामलों की माननीय सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए."



वहीं दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा कि "यह उच्च-स्तरीय जांच इसलिए भी जरूरी है ताकि कानपुर नरसंहार में शहीद हुए 8 पुलिसकर्मियों के परिवार को सही इन्साफ मिल सके. साथ ही, पुलिस व आपराधिक राजनीतिक तत्वों के गठजोड़ की भी सही शिनाख्त करके उन्हें भी सख्त सजा दिलाई जा सके. ऐसे कदमों से ही यूपी अपराध-मुक्त हो सकता है."



भले ही इस मामले पर सियासत गरमाए लेकिन 8 वीर पुलिसकर्मियों का हत्यारे को उसके किए की सजा मिल चुकी है. अपराध का आखिरी अंजाम क्या होता है ये उसका सबसे बड़ा उदाहरण है.


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खाकी का खून बहाने वाला विकास दुबे सामने खड़ी मौत को देखकर भी दंबगई और चालाकी दिखाने से बाज नहीं आया. लेकिन इस बार उसका नहीं बल्कि यूपी पुलिस का टाइम था और विकास दुबे का खात्मा हो चुका है.


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