नई दिल्ली: असम में शनिवार यानी आज पहले चरण के लिए मतदान हो रहा है. यहां मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच में है. भाजपा की तरफ से चुनावी प्रचार की कमान मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के हाथ में है.


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पूरे चुनाव प्रचार के दौरान वो अपनी भूमि, संस्कृति, विरासत और सभ्यता की रक्षा करते नजर आए हैं. एक अंग्रेजी अखबार के साथ साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक असमिया समाज के हितों की रक्षा करने की आवश्यकता है.


उसी साक्षात्कार में उन्होंने विपक्षी पार्टी पर आरोप लगाया कि असम आंदोलन (1979-85) के दौरान लोगों को विश्वास में लेने के बजाय उस समय की सरकार ने 860 से अधिक निर्दोष लोगों को मार डाला.



वे आगे कहते हैं ​कि ये बात इसका प्रमाण है कि कांग्रेस असम के स्वदेशी लोगों के अधिकारों, आशाओं, आकांक्षाओं, उम्मीदों और अस्तित्व के बारे में बिल्कुल परेशान नहीं है. बल्कि, वे असम में अवैध प्रवासियों को लाने और उन्हें अवैध रूप से बसाने, सिर्फ एक वोट बैंक बनाने में रुचि रखते हैं. इससे वास्तव में स्थानीय लोगों की पहचान पर खतरा पैदा हो गया है.


वैसे जहां तक बात असमिया पहचान और अस्मिता की है तो इस चुनाव में यह मुद्दा बना हुआ है. इस चुनाव में सीएए और एनआरसी का मसला चुनावी मुद्दा बना हुआ है.


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इस मसले पर उसी इंटरव्यू में सोनोवाल कहते हैं कि विपक्ष सीएए और एनआरसी के मसले पर भ्रम पैदा कर रही है. उनकी सरकार त्रुटि-मुक्त NRC चाहती है और वह इसके लिए हमेशा प्रयास करते रहेंगे.


वैसे पूरे देश में सीएए और एनआरसी को अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिमों को परेशान करने वाले कानून के रूप में प्रचारित किया गया था और असम की आबादी में मुस्लिमों की संख्या 35 प्रतिशत से ज्यादा है तो सोनोवाल के लिए यह बात महत्वपूर्ण हो जाती है.


एक मीडिया संस्थान से बातचीत में सोनोवाल कहते हैं, यह एक मिथक है कि भाजपा मुस्लिम विरोधी है हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ सबका विकास, सबका विश्वास नारे के साथ हैं. किसी को भी किसी योजना से वंचित नहीं किया गया है. लेकिन हमें असम के दुश्मनों की पहचान करनी होगी. हम कुछ ऐसी ताकतों को कभी अनुमति नहीं देंगे जो राष्ट्र के लिए खतरा पैदा करने वाले, रिश्तों, कला, संस्कृति, भूमि, भाषा को खतरे में डालने वाली हैं.


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फिलहाल एक चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सोनोवाल के बारे में कहाकि देश में आनंद होगा असम में सर्वानंद होगा. हमेशा साधारण रहने वाले सोनोवाल के पास छात्र राजनीति का भी व्यापक अनुभव है.


वे असम गण परिषद के स्टूडेंट विंग ऑल असम स्टूडेंट यूनियन और पूर्वोत्तर के राज्यों में असर रखने वाले नॉर्थ इस्ट स्टुडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष रह चुके हैं. भाजपा में जुड़ने से पूर्व असम गण परिषद के सदस्य थे. उन्हें ऑल असम स्टूडेंट यूनियन के द्वारा IMDT बिल को हटाने के प्रयास किये जाने पर असम का जातीय नायक का सम्मान दिया गया था.


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वर्ष 2001 में वे असम गण परिषद के उम्मीदवार के रूप में सर्वप्रथम विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा वर्ष 2004 में प्रथम बार लोक सभा के सदस्य निर्वाचित हुए.


मोरान से विधायक और बाद में डिब्रूगढ़ और लखीमपुर से सांसद रहने के साथ ही वे असम में गृह मंत्री और उद्योग-वाणिज्य मंत्री का नेतृत्व संभाल चुके हैं. वे निजी तौर पर फुटबॉल और बैडमिंटन के खिलाड़ी भी रहे हैं.


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2011 में वे असम गण परिषद से अलग हो गए तथा भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए. उनके बीजेपी में आते ही उन्हें कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया और वे असम बीजेपी के प्रवक्ता भी रहे.


वे वर्ष 2012 और 2014 में दो बार असम भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे. 2014 में संपन्न 16वें लोकसभा के चुनाव में वे लखीमपुर से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए.


नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय मंत्रीमंडल में उन्हें खेल एवं युवा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत खेल एवं युवा मामलों के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का पद दिया गया था. केंद्रीय खेल मंत्री के रूप में इनका कार्यकाल शानदार रहा.


इस बार फिर पूर्वोत्तर के इस राज्य में दोबारा कमल खिलाने का जिम्मा फिर से सर्वानंद पर है. राज्य में तीन फेज में चुनाव है. 126 विधानसभा सीटों वाली असम विधानसभा में ये देखना महत्वपूर्ण होगा कि 2 मई को क्या दोबारा सर्वानंद की वापसी होगी.


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