कोलकाता: पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2 दिवसीय के बांग्लादेश दौरा कितना प्रभाव डालेगा? इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है. 27 मार्च को मोदी बांग्लादेश के ईश्वरीपुर में मां जशोरेश्वरी देवी के मंदिर जाएंगे, ये मां काली का मंदिर है और शक्तिपीठ है. माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी का ये मंदिर बंगाल की चुनावी राजनीति पर भी असर डाल सकता है. साथ ही पीएम मोदी मतुआ समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे. आपको पूरा गणित समझना चाहिए.
बंगाल चुनाव में बांग्लादेश की भूमिका
बांग्लादेश के ईश्वरीपुर में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी के लिए तैयारियां हो रही हैं. 27 मार्च को पीएम मोदी ईश्वरीपुर जा रहे हैं. ये जगह बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं की आस्था से जुड़ी सबसे पवित्र जगहों में शामिल है.
बांग्लादेश में मां काली का प्रसिद्ध जशोरेश्वरी देवी मंदिर, जो 450 साल पुराना हैं. ये मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक है. मां काली के इस मंदिर की राजधानी ढाका से दूरी 314 किलोमीटर दूर है, लेकिन बंगाल बॉर्डर से इसकी दूरी बहुत ही कम है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां पहली बार जा रहे हैं. पीएम मोदी की यात्रा को लेकर वहां के लोगों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. वहां की औरतों का कहना है कि वो फूल, चंदन, धूप, दीप, शंख की ध्वनि के साथ मोदी जी का स्वागत करने के लिए उनका इंतजार कर रही हैं.
शनिवार 27 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी बांग्लादेश के ही ओरकांडी में मतुआ समाज के मंदिर भी जाएंगे. ओरकांडी ही हरिचंद ठाकुर की जन्मस्थली है.
हरिचंद ठाकुर ने ही मतुआ महासंघ की स्थापना की थी, हरिचंद ठाकुर ने हिंदुओं की पिछड़ी जातियों के लिए जनजागरण अभियान चलाया था. उन्होंने मतुआ समाज के लोगों की उन्नति के लिए बहुत काम किया था.
ओरकांडी में हरिचंद ठाकुर को भगवान की तरह पूजा जाता है. पीएम मोदी के ओरकांडी दौरे को पश्चिम बंगाल चुनाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
दरअसल, पश्चिम बंगाल में मतुआ समाज की आबादी-ढाई करोड़ से 3 करोड़ के बीच है. इनका 40-50 विधानसभा सीटों पर असर है. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के ओरकांडी आने का असर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है, क्योंकि जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी ओरकांडी में होंगे. ठीक उसी वक्त बंगाल के 5 जिलों की 30 सीटों पर वोटिंग चल रही होगी.
मतुआ समाज की 'सियासी' ताकत
पश्चिम बंगाल के बनगांव में सबसे ज्यादा 65 फीसदी मतुआ वोटबैंक है. 10 लोकसभा सीटों पर 38-40 फीसदी वोटबैंक है. बंगाल की 294 विधानसभा सीटों में से 70 सीटों पर निर्णायक वोट माने जाते हैं.
बंगाल की 40 विधानसभा सीटों पर मतुआ समाज का सीधा प्रभाव है. नदिया, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले में बड़ा वोटबैंक है. बंगाल की 20 विधानसभा सीटों पर अप्रत्यक्ष प्रभाव माना जाता है. हुगली और कूच बिहार जिले में भी मतुआ वोटवैंट का प्रभाव है.
'ओरकांडी' का 'ठाकुरनगर' कनेक्शन
बांग्लादेश का ओरकांडी में हरिचंद ठाकुर का जन्म हुआ था. मतुआ समाज में हरिचंद ठाकुर की भगवान की तरह पूजा होती है. बंटवारे के बाद हरिचंद ठाकुर का परिवार भारत आ गया. हरिचंद ठाकुर का परिवार पश्चिम बंगाल में रहने लगा. हरिचंद ठाकुर के परपोते प्रथम रंजन ठाकुर ने अपने समाज को संभाला.
प्रथम रंजन की पत्नी वीणापाणि देवी को बोरो मां कहा जाने लगा, बोरो मां का मतलब है बड़ी मां.. बांग्लादेश के बॉर्डर पर ठाकुरगंज नाम से एक बस्ती बसाई. ठाकुरगंज में हरिचंद ठाकुर का भव्य मंदिर बनाया गया. ठाकुरगंज मंदिर में भी मतुआ समाज की आस्था ओरकांडी जैसी है.
पीएम मोदी ओराकंडी मंदिर में जाकर मत्था टेकते हैं तो ऐसा करने वाले वो पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे. राजनीति के जानकार मानते हैं पीएम मोदी बांग्लादेश में मतुआ समुदाय की नब्ज छूकर बंगाल में मतुआ समाज का वोट बीजेपी में कनवर्ट करा सकते हैं.
भारत में मतुआ समुदाय का इतिहास
हरिचंद ठाकुर के निधन के बाद उनके वंशजों ने मतुआ संप्रदाय की स्थापना की. हरिचंद के प्रपौत्र प्रमथ रंजन ठाकुर 1962 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में पश्चिम बंगाल विधानसभा के सदस्य बने थे. प्रमथ की शादी वीणापाणि देवी यानी बोरो मां से 1933 में हुई. वीणापाणि देवी का जन्म 1918 में अविभाजित बंगाल के बारीसाल जिले में हुआ था.
आजादी के बाद वीणापाणि देवी ठाकुर परिवार के साथ पश्चिम बंगाल आ गईं. मरते दम तक बारो मां को देवी की तरह सम्मान दिया गया. उन्हीं के आशीर्वाद से दीदी 10 सालों से सत्ता पर काबिज हैं. उनका आशीर्वाद बीजेपी को भी मिला. 1 लोकसभा सीट से 18 लोकसभा सीट के रूप में दिखाई देता है.
West Bengal: Prime Minister Narendra Modi met Matua Community's 'Boro-Maa' Binapani Devi Thakur in Thakurnagar, earlier today. pic.twitter.com/xtpmeLZRmV
— ANI (@ANI) February 2, 2019
हाल के दिनों में ठाकुर परिवार के कई सदस्यों ने राजनीति में मतुआ वोटबैंक के दम पर ही सत्ता के गलियारों का सफर तय किया. बंगाल में किंग मेकर मतुआ परिवार ने अपने बढ़ते प्रभाव के चलते राजनीति में एंट्री ली.
1962 में परमार्थ रंजन ठाकुर ने पश्चिम बंगाल के नादिया जिले की रिजर्व सीट हंसखली से विधानसभा का चुनाव जीता.
मतुआ संप्रदाय की राजनीतिक हैसियत के चलते नादिया जिले के आसपास और बांग्लादेश के सीमावर्ती इलाके में मतुआ संप्रदाय का प्रभाव लगातार मजबूत होता चला गया.
प्रमथ रंजन ठाकुर की सन 1990 में मृत्यु हो गई. इसके बाद वीणापाणि देवी ने मतुआ महासभा के सलाहकार की भूमिका संभाली. संप्रदाय से जुड़े लोग उन्हें देवी तरह मानने लगे. 5 मार्च 2019 को मतुआ माता वीणापाणि देवी का निधन हो गया.
वीणापाणि देवी की नजदीकी साल 2010 में ममता बनर्जी से बढ़ी. वीणापाणि देवी ने 15 मार्च 2010 को ममता बनर्जी को मतुआ संप्रदाय का संरक्षक घोषित किया.
तृणमूल कांग्रेस को लेफ्ट के खिलाफ माहौल बनाने में मतुआ संप्रदाय का समर्थन मिला और 2011 में ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की चीफ मिनिस्टर बनीं.
साल 2014 में वीणापाणि देवी के बड़े बेटे कपिल कृष्ण ठाकुर ने तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर बनगांव लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और संसद पहुंचे. कपिल कृष्ण ठाकुर का 2015 में निधन हो गया. उसके बाद उनकी पत्नी ममता बाला ठाकुर ने यह सीट 2015 उपचुनावों में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर जीती.
मतुआ माता के निधन के बाद परिवार में राजनीतिक बंटवारा खुलकर दिखने लगा. उनके छोटे बेटे मंजुल कृष्ण ठाकुर ने बीजेपी का दामन थाम लिया.. 2019 के लोकसभा चुनाव में मंजुल कृष्ण ठाकुर के बेटे शांतनु ठाकुर बनगांव से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीता.
मतुआ और ममता की दूरी की वजह
मतुआ समाज 50 सालों से भारत की नागरिकता का इंतजार कर रहा है. मतुआ समाज को भारत की नागरिकता दिलाने में दीदी नाकाम हो गई. उन्होंने CAA का खुलकर विरोध भी किया और बंगाल में उसे लागू करने से इनकार भी कर दिया. यहीं से दीदी की मतुआ समुदाय से दूरियां बढ़ी और बीजेपी को मतुआ समाज से जुड़ने का सुनहरा मौका मिल गया. बीजेपी ने CAA कानून के जरिए मतुआ समाज को नागरिकता देने का ऐलान कर दिया.
बांग्लादेश दौरे पर पीएम मोदी का बयान
बांग्लादेश दौरे पर जाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा कि 'कोरोना महामारी के बाद पहली विदेश यात्रा पर पड़ोसी देश बांग्लादेश जाने पर मुझे खुशी है. बांग्लादेश के साथ भारत के गहरे सांस्कृतिक, भाषाई और आपसी संबंध हैं. मैं कल बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस समारोह में भागीदारी को लेकर उत्साहित हूं. मैं मां काली के प्राचीन जशोरेश्वरी मंदिर में दर्शन के लिए भी उत्सुक हूं. मान्यता है कि ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है.'
As I leave for Bangladesh tomorrow, I look forward to remembering the life and ideals of Bangabandhu Sheikh Mujibur Rahman, and celebrate 50 years of Bangladesh’s War of Liberation, as well as our diplomatic ties. https://t.co/74FLn4MvHB
— Narendra Modi (@narendramodi) March 25, 2021
इसके अलावा पीएम मोदी ने ये भी बताया कि 'मैं विशेष रूप से ओराकांडी में मतुआ समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ अपनी बातचीत की भी प्रतीक्षा कर रहा हूं, जहां से श्री हरिचंद ठाकुर जी ने अपने पवित्र संदेश का प्रसार किया.'
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मतलब साफ है, जिस मतुआ समुदाय ने ममता दीदी को बंगाल की सत्ता पर काबिज होने से लेकर 10 वर्षों तक राज काज संभालने के लिए अहम भूमिका निभाई. अब ममता दीदी के रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट... खैर, आने वाले 2 मई को नतीजे सबके सामने आ ही जाएंगे. लेकिन बंगाल में सियासी उठापटक लगातार जारी है, ऐसे में चुनावी मौसम में फेरबदल की प्रक्रिया यूं ही चलती रहेगी.
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