Bengal Election 2021: जानिए कौन हैं सत्यजीत रे जिनके नाम पर शाह ने की ऑस्कर जैसे ईनाम की घोषणा
बंगाल चुनाव से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दो बंगाली दिग्गजों रविंद्र नाथ टैगोर और सत्यजीत रे के नाम पर दो नए राष्ट्रीय पुरस्कार शुरू करने की घोषणा की है.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल के चुनावी समर के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बड़ा ऐलान किया है. अमित शाह के मुताबिक, नोबेल प्राइज की तर्ज पर भारत सरकार जल्द ही एक नया पुरस्कार शुरू करने जा रही है.सरकार दो महान बंगाली दिग्गजों रविंद्र नाथ टैगोर सत्यजीत रे की स्मृति में इन राष्ट्रीय पुरस्कारों की शुरुआत करेगी. रविंद्र नाथ टैगोर भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता थे. साल 1913 में गीतांजलि के लिए उन्हें साहित्य के नोबेल प्राइज पुरस्कार से नवाजा गया था.
गीतांजलि मूल रूप में बंगाली में लिखी गई थी जिसके अंग्रेजी अनुवाद को नोबेल प्राइज के लिए भेजा गया था.
वो पहला भारतीय जिसे मिला था ऑस्कर अवार्ड
सत्यजीत रे भारत के जाने-माने निर्देशक थे. वह पहले भारतीय थे जिन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट का अकेडमी पुरस्कार मिला था, जिसे हम ऑस्कर अवार्ड के रूप में भी जानते हैं.
2 मई, 1921 को कोलकाता में सत्यजीत रे का जन्म हुआ था. उनकी शिक्षा-दीक्षा कोलकाता में ही हुई, उन्होंने प्रेसिडेंसी कॉलेज और विश्व भारती यूनिवर्सिटी में से शिक्षा हासिल की.
चित्रकार के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी. फ्रांसिसी फिल्म निर्देशक ज्यां रेनुआ से मुलाकात होने और लंदन में इतालवी फिल्म लाद्री दी बिसिक्लेत (बाइसिकल चोर) देखने के बाद फिल्म निर्देशन की ओर इनका रुझान हुआ.
इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने अपने करियर में कुल 37 फिल्मों का निर्देशन किया. उनकी पहली फिल्म पथेर पांचाली थी, इस फिल्म को कुल 11 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले थे. उन्होंने अपराजितो, अपुर संसार,अपु त्रयी जैसी कई शानदार फिल्मों का निर्देशन भी किया.
फिल्म निर्देशन के अलावा सत्यजीत रे अपनी फिल्मों से जुड़े कई अन्य काम स्वयं ही करते थे, जिसमें पटकथा लेखन,पार्श्व संगीत, स्क्रीन प्ले, एडिटिंग जैसे कार्य शामिल थे.
इन सभी कार्यों में भी वो बेहद निपुण थे. फिल्म निर्माण के अलावा वो एक कहानीकार, प्रकाशक और आलोचक भी थे. साल 1992 में सत्यजीत रे को भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से नवाजा गया.
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नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे रविंद्र नाथ टैगोर
रविंद्र नाथ टैगोर ने आजादी के आंदोलन में बहुत रचनात्मक योगदान दिया था. उन्होंने साल 2011 में जन गण मन की रचना की थी.
इसे मूल रूप से साल 1911 में जॉर्ज पंचम के स्वागत के लिए लिखा गया था, बाद में इसी साल कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में इसे गाया गया और आजादी के बाद जन गण मन को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया.
रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा रचित आमार सोनार बांग्ला बांग्लादेश का राष्ट्रीय गीत है. दो देशों के राष्ट्रीय गान की रचना करने की विशिष्ट उपलब्धि उन्हें हासिल है.
रविंद्र नाथ टैगोर पश्चिम बंगाल की संस्कृति में रचे बसे हैं. उनकी रचनाओं पर जो गीत गाए जाते हैं, उन्हें बंगाल में रविंद्र संगीत के नाम से जाना जाता है.
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