हरियाणा के चुनावी रण में खट्टर सरकार का दावा कितना आएगा काम? पढ़ें 5 खास बातें

दशहरे के मौके पर हरियाणा विधानसभा चुनाव का माहौल गर्म है. एक ओर जहां निवर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कलानौर में रैली कर भाजपा की ओर से शक्ति प्रदर्शन किया, वहीं दूसरी ओर कुमारी शैलजा आज कांग्रेस का मैनिफेस्टो जारी करने जा रही हैं. हरियाणा में 2014 में भाजपा की लहर पर सवार हो कर करनाल विधानसभा सीट से बड़े अंतर से चुनाव जीत कर खेवैया बने मनोहर लाल खट्टर की ताजपोशी कर दी गई. आइए जानते हैं हरियाणा के चुनावी माहौल के बारे में...

Last Updated : Oct 8, 2019, 01:58 PM IST
    • हरियाणा का बाल लिंग अनुपात 2011 में 834 था जो 2019 में बढ़कर 914 हो गया है
    • गुरुग्राम को हरियाणा का इन्डस्ट्रीयल बेस बनाने की कवायद खट्टर सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है
हरियाणा के चुनावी रण में खट्टर सरकार का दावा कितना आएगा काम? पढ़ें 5 खास बातें

नई दिल्ली: संघ प्रचारक से बीजेपी के बड़े नेताओं में शामिल हुए खट्टर, हरियाणा में अपने कार्यकाल के दौरान चर्चा में रहे. मनोहर लाल खट्टर के सत्ता में आने के बाद से राज्य में महिला सशक्तिकरण, पुलिसिया व्यवस्था, खेती की भूमि में सुधार और अन्य क्षेत्रों में भी सुगमता तो जरूर आई है.

1). खट्टर सरकार में बदलती महिला विकास की तस्वीर

हरियाणा का ट्रैक रिकॉर्ड बच्चियों की जनसंख्या में देश भर में सबसे खराब है पर खट्टर सरकार की 'लाडली', 'जननी सुरक्षा योजना', मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना और शिक्षा के क्षेत्र में बालिकाओं के लिए छात्रवृत्ति ने महिला विकास की दिशा में बड़ा योगदान दिया है. हरियाणा का बाल लिंग अनुपात 2011 में 834 था जो 2019 में बढ़कर 914 हो गया है.

2). कृषि क्षेत्र से खेल तक फिट हरियाणा के किंग

इसके अलावा कृषि क्षेत्र में हरियाणा की पिछली सरकारों के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए हॉर्टिकल्चर, पशुपालन और डेयरी के साथ-साथ मछलीपालन में भी सरकार ने अनुदानित राशियों में लगातार बढ़ोतरी की और सभी तबकों तक लाभ को पहुंचाने का प्रयास किया जो काफी हद तक सफल भी रहा. इससे इतर खट्टर सरकार ने हरियाणा में खेल-खिलाड़ियों के ऊपर खर्च की जा रही राशि को भी लगातार बढ़ाया है. स्कूली बच्चों को खेल स्कॉलरशिप और देश का मान बढ़ाने वाले खिलाड़ियों के लिए पेंशन योजनाओं का भी विस्तार किया है. 

3). गुरूग्राम- हरियाणा का इंडस्ट्रीयल हब

बीजेपी के बैनर तले हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार ने अपने कार्यकाल में भाजपा की खामियों को भी दूर करने का प्रयास किया. इसके अलावा दिल्ली एनसीआर से सटे गुड़गांव का नाम बदल कर गुरुग्राम रखा गया है. गुरुग्राम अब हरियाणा का औद्योगिक केंद्र बन गया है. गुरुग्राम में सैमसंग कंपनी के 5000 करोड़ की बड़ी राशि को इन्वेस्ट करा. इसे हरियाणा का इन्डस्ट्रीयल बेस बनाने की कवायद खट्टर सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है. कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने और मूलभूत सुविधाओं पर भी सरकार ने बड़ी तत्परता से काम किया.

4). कमजोर कांग्रेस से भाजपा की राह आसान

कुछ राजनीतिक पंडितों की मानें तो हरियाणा में भाजपा, मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में दोबारा सत्ता में आने की पूरी तैयारी में है. सीधे शब्दों में कहें तो भाजपा अब तक की सियासी लड़ाई में बढ़त बनाई हुई है. कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा पार्टी के लिए कुछ खास नया नहीं कर पा रहे जिससे कांग्रेस के लौटने की उम्मीदें भी कमतर होती जा रही है. पार्टी के कुछ पुराने चेहरे भी इस मुश्किल घड़ी में लगातार साथ छोड़ रहे हैं. कांग्रेस सरकार में मंत्री सुभाष चौधरी ने भी आज कांग्रेस का दामन छोड़ दिया है.

5). बड़बोलेपन से झेलनी पड़ती है आलोचनाएं भी

इन सब के बावजूद मनोहर लाल खट्टर सरकार की तमाम आलोचनाएं भी की जा रही हैं. फिर चाहे 2014 में महिलाओं के रेप पर दिए गए बयान की बात हो या 2018 में उनके दिए बयान को महिलाओं के खिलाफ बताया जाना जिसमें उन्होंने कहा कि - "अगर आप देखेंगे कि 80 से 90 फीसदी रेप की घटनाओं में दोषी परिचित ही होता है."  इसके अलावा हरियाणा में अप्रवासियों की पहचान कर एनआरसी का मामला भी मुख्यमंत्री खट्टर ने छेड़ दिया है. चुनावी एजेंडे में एनआरसी को शामिल कर बीजेपी ने मास्टरस्ट्रोक खेल दिया है, जिसपर अन्य कोई भी दल अपना पक्ष रखने से बचते दिख रहे हैं.

हरियाणा में भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी और इसका दंभ पार्टी नेताओं के बड़बोलेपन में भी खूब दिखता है. खुद मुख्यमंत्री खट्टर की बहुतों बार उनके बयान के बाद आलोचनाएं हुई हैं. इसके अलावा हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री अनिल बैजू भी अपने बयानबाजियों के लिए चर्चा में बने रहते हैं. अगर चुनावी मूड की बात करें तो भाजपा ने जाति फैक्टर को भी कैश करने की रणनीति बनाई है. जाट बहुल क्षेत्र में सभी प्रमुख पदों पर जाटों को जगह दी जा रही है. कुल मिला कर इतना तो कहा जा सकता है कि भाजपा कमर कस के तैयार है.

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