नई दिल्ली: Haryana Vidhan Sabha Chunav: हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए दलों ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है. कांग्रेस और भाजपा ने अपने दिग्गज नेताओं के साथ-साथ राजस्थान के क्षेत्रीय नेताओं को भी सूची में जगह दी है. हरियाणा में राजस्थान के नेताओं को तरजीह क्यों दी जा रही है, राजनीतिक दल इससे कौनसे समीकरण साधना चाहते हैं? मरुस्थल के नेताओं की हरियाणा में क्या जरूरत, आइए समझते हैं...


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किन नेताओं का नाम स्टार प्रचारक की लिस्ट में?
भाजपा: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, डिप्टी CM दीया कुमारी, हरियाणा के प्रभारी सतीश पूनिया और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल


कांग्रेस: पूर्व सीएम और हरियाणा में कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक अशोक गहलोत, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा


राजस्थानी नेताओं को तरजीह क्यों?
हरियाणा और राजस्थान की सीमा मिलती है. लेकिन सीमा तो दिल्ली और पंजाब राज्य से भी मिलती है, फिर राजस्थान के नेताओं को प्रचार में उतारने के पीछे क्या रणनीति?


जाट वोट बैंक: हरियाणा में जाटों वोटर्स की तादाद बड़ी संख्या में है. राज्य की कुल आबादी में 27% हिस्सा जाटों का है. 90 में से 32 सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं. 17 अन्य सीटों पर भी इनकी संख्या को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. कुल मिलाकर 50 सीटों पर इनकी उपस्थिति है. कांग्रेस ने जाटों साधने के लिए गोविंद सिंह डोटासरा और भाजपा ने सतीश पूनिया को उतारा है. दोनों ही राजस्थान के दिग्गज जाट नेता हैं. दोनों राष्ट्रीय दलों मो उम्मीद है कि ये जाट वोट बैंक को लुभा सकते हैं. 


अन्य जातियों पर नजर: हरियाणा में ब्राह्मणों की आबादी 10% है, CM भजनलाल शर्मा को इन्हें साधने के लिए ही भाजपा ने प्रचार के लिए उतारने का फैसला किया. हरियाणा में 17 रिजर्व सीटों पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल प्रभाव डाल सकें, इसलिए भाजपा ने उन पर भरोसा जताया है.


युवाओं को लुभाने का प्लान: लोकसभा चुनाव में कांग्रेस में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बाद प्रचार के लिए जिस नेता की सबसे अधिक डिमांड आई, उसका नाम सचिन पायलट है. पायलट हरियाणा में गुर्जर वोटर्स को तो साधेंगे ही, इसके इतर उनकी बाकी जाति के युवाओं में भी अच्छी-खासी फैन फॉलोइंग है. 


पार्टियों के पास दिग्गज नेता: दिल्ली और पंजाब में भाजपा-कांग्रेस के पास अनुभवी और दिग्गज नेताओं की कमी है. लेकिन राजस्थान में कांग्रेस के पास अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे हैं, जो सियासत के पुराने खिलाड़ी हैं. ये रणनीति बनाने से लेकर उसे एक्जिक्यूट करने तक में माहिर माने जाते हैं. 


भौगोलिक स्थिति: शेखावाटी के आसपास के इलाके हरियाणा से जुड़े हुए हैं. जैसे चुरू, सीकर और झुंझुनूं का कल्चर और भाषा हरियाणा से मैच खाते हैं. कांग्रेस के गोविंद सिंह डोटासरा शेखावाटी के दिग्गज नेता हैं, वे इसके आसपास के इलाकों में भाषाई और लोकल जुड़ाव बैठा सकते हैं. इसी तरह भाजपा के सतीश पूनिया भी चुरू के राजगढ़ में जन्मे, यहां की भाषा और संस्कृति से वाकिफ हैं. लिहाजा, पार्टियों ने भौगोलिक स्थिति देखते हुए इन्हें प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है.


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