नई दिल्ली: महाराष्ट्र में चुनाव परिणाम को आये 5 दिन बीत गए. लेकिन अबतक सूबे में सरकार बनाने को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है. सीएम पद को लेकर बीजेपी-शिवसेना के बीच तकरार बढ़ती ही जा रही है. शिवसेना जहां सत्ता में 50-50 के बंटवारे पर अड़ी है. वहीं राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ कर दिया कि शिवसेना से 50-50 फॉर्मूले पर कोई बात नहीं हुई है.
Maharashtra CM Fadnavis:At the time of Lok Sabha polls, Shiv Sena had put forward a proposal for rotational chief minister for 2.5 yrs but no decision was taken on it in front of me. Any discussion on it b/w Amit Shah Ji&Uddhav Ji is known only to them&only they can decide on it pic.twitter.com/BgFWuQrQpz
— ANI (@ANI) October 29, 2019
फडणवीस के बयान पर छिड़ी जंग
दिवाली के मौके पर पत्रकारों से बात करते हुए सीएम फडणवीस ने कहा कि सीएम का पद शेयर नहीं किया जाएगा. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के इस बयान के बाद शिवसेना में भूचाल आना लाजमी है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बयान पर पलटवार करते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने आरोप लगाया कि बीजेपी वादे से मुकर रही है. देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते. संजय राउत ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और उद्धव ठाकरे के सामने जो फॉर्मूला तय हुआ था. शिवसेना उस फॉर्मूले से एक कदम भी पीछे हटने को तैयार नहीं है.
Sanjay Raut, Shiv Sena: CM himself had uttered the '50-50 forumula', Uddhav ji had spoken about it too. It happened before Amit Shah. Agar ab ye kehte hain ki aisi koi baat hui nahi to main pranaam karta hoon aisi baaton ko. He is denying what he had said before the camera. https://t.co/sZSwSs2Ae6
— ANI (@ANI) October 29, 2019
और ऐसे बढ़ गया मनमोटाव
दरअसल, 2014 से पहले महाराष्ट्र में शिवसेना बड़े भाई की भूमिका में रहती थी. विधानसभा चुनाव में शिवसेना ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ती थी. लेकिन, 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद भाजपा ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बराबर-बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग कर डाली. शिवसेना को बीजेपी की ये मांग नागवार गुजरी और उसने भाजपा की ये मांग ठुकरा दी. 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा. चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में रही और पहली बार महाराष्ट्र में बीजेपी का अपना मुख्यमंत्री बना.
उस वक्त शिवसेना को नाक रगड़कर बाद में फडणवीस सरकार का हिस्सा बनना पड़ा. लेकिन दोनों दलों के बीच तल्खी कभी कम नहीं हुई. 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में दोनों दलों ने एक साथ चुनाव लड़ा. लेकिन बीजपी के बढ़ते कद को शिवसेना पचा नहीं पा रही है. महाराष्ट्र में 8 नवंबर तक नई सरकार का गठन होना जरुरी है. ऐसे में अगले कुछ दिन बीजेपी और शिवसेना के लिए काफी अहम रहने वाले हैं.