नई दिल्ली: जब कोई ये कहे कि मुख्तार अंसारी के परिवार का किसी भी सदस्य ने किसी भी चुनाव में भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया है, तो शायद यकीन करना मुश्किल होगा. दरअसल, मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी ने ये ऐलान किया है कि उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को वोट देने का मन बना लिया है.


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ऐसी क्या मजबूरी है, जो बीजेपी जरूरी है?


ये सवाल हर किसी के जेहन में आ रहा है कि अब्बास अंसारी की भला ऐसी कौन सी मजबूरी है, जो बीजेपी प्रत्याशी का समर्थन करना जरूरी है? ये वही अब्बास अंसारी हैं, जो बीते विधानसभा चुनाव में ये ऐलान करते नजर आ रहे थे कि उन्होंने अखिलेश भईया से बात कर ली है.


माफियाओं को शरण देने के लिए बदनाम अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के गठबंधन से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को चुनावी मैदान में उतारा गया था. ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से उन्होंने चुनाव लड़ा और मऊ विधानसभा से जीत भी हासिल की. लेकिन अब्बास अंसारी की जुबान फिसल गई, जिसका खामियाजा कहीं न कहीं अखिलेश यादव को भुगतना पड़ा था. अब वो अब्बास राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के लिए वोट करेंगे.


आपको याद दिला दें, कि एक जनसभा को मंच से संबोधित करते हुए अब्बास अंसारी ने कहा था कि 'मैं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जी से कह कर आया हूं कि 6 महीने तक किसी की ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं होगी. जो जहां है, वहीं रहने वाला है. पहले हिसाब-किताब होगा. उसके बाद उनके जाने पर मुहर लगाया जाएगा. हम बाहुबली हैं. हमें इससे कोई गुरेज नहीं है. मेरे नौजवान साथियों की तरफ कुछ बैल सींग निकाल कर खड़े हैं. समय आने दीजिए खूंटे में यही नहीं बांध दिया तो कहिएगा. अखिलेश यादव से मैंने कहा था कि पहले जिन लोगों ने मुकदमे लगाए हैं, उनकी भी जांच पड़ताल कर लिया जाए.'



तो क्या ओमप्रकाश राजभर ने किया अब्बास को मजबूर?


6 महीने तक अधिकारियों का हिसाब करने का, खूंटे में बांध देने का ऐलान करने वाले अब्बास अंसारी भला क्यों मजबूर हो गए. तो इसके पीछे की वजह है उनकी पार्टी के मुखिया.. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने घोषणा की है कि वह और उनकी पार्टी के विधायक राजग की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट देंगे.


उत्तर प्रदेश विधानसभा में एसबीएसपी के 6 विधायक हैं. एसबीएसपी की घोषणा समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए एक बड़ा झटका है. माना जा रहा है कि सपा एक के बाद एक सहयोगी दलों का समर्थन खो रही है.


ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात करने के बाद यह फैसला लिया है. राजभर ने अपने बयान में कहा, 'मैंने अपने फैसले के बारे में अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सूचित कर दिया है.'


इसी के बाद मजबूर हो गए अब्बास अंसारी..


पार्टी के मुखिया ओमप्रकाश राजभर के इसी फैसले के बाद एसबीएसपी विधायक मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने कहा कि वह भी द्रौपदी मुर्मू को वोट देंगे.


आपको बता दें, बीते कई दिनों से सपा और सुभासपा के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था. लोकसभा के उपचुनाव में राजभर ने अखिलेश के खिलाफ तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि एसी में बैठकर चुनाव नहीं लड़ा जाता है. राजभर ने सपा प्रमुख को सलाह दी थी कि वो लोगों को बीच जाकर मेहनत करें.


अखिलेश की सपा से दूर हो सकते हैं राजभर


इससे पहले ओमप्रकाश राजभर ने कहा था कि वह सपा प्रमुख से मिलकर यह जानना चाहते हैं कि आखिरकार उन्हें विपक्षी दलों के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के कार्यक्रम में आमंत्रित क्यों नहीं किया गया. उन्होंने दावा किया कि वह 12 जुलाई तक अखिलेश के रुख का इंतजार करेंगे और फिर अपने निर्णय की घोषणा करेंगे.


खींचतान चलती रही, लेकिन कुछ भी रास्ता नहीं निकला, अखिलेश और राजभर के बीच दरारें बढ़ती चली जा रही है, जो समाजवादी पार्टी की सियासी सेहत के लिए बेहतर नहीं है.


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