अखिलेश और उनके साथियों के वो 5 बयान, जो चुनाव में सपा को ले डूबे

उत्तर प्रदेश चुनाव तो बीच गए, लेकिन नेताओं के विवादित बयान लोगों के जेहन में हमेशा के लिए उतर गए हैं. खासकर समाजवादी पार्टी के मुखिया और उनके साथियों की विवादित बोल... जो कहीं न कहीं चुनाव में सपा की लुटिया डुबोने में मददगार साबित हुई है.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Mar 11, 2022, 03:25 PM IST
  • इन विवादित बयानों ने सपा का किया बेड़ा गर्क
  • बड़बोले नेताओं ने डुबो दी चुनाव में अखिलेश की नैय्या
अखिलेश और उनके साथियों के वो 5 बयान, जो चुनाव में सपा को ले डूबे

नई दिल्ली: एक कहावत है.. कमान से निकला तीर और मुंह से निकली बात वापस नहीं आती, हां ये बात और है कि दोनों नुकसान ही पहुंचाती है. अखिलेश यादव और उनकी सियासी ब्रिगेड ने अपने विवादित बोल से पूरे चुनाव में खूब सुर्खियां बंटोरी, लेकिन इसका साइड इफेक्ट ये हुआ कि चुनावी नतीजों में समाजवादी पार्टी को करारी हार का मुंह देखना पड़ा.

विवादित बोल ने अखिलेश को पहुंचाया नुकसान

पूरे चुनाव में अखिलेश यादव और उनके साथियों ने भाजपा और अन्य नेताओं के खिलाफ खूब विवादित बयानबाजी की. कभी जिन्ना मुद्दा बना, तो कभी चिलमजीवी बाबा पर संग्राम छिड़ा. कभी खुद अखिलेश मंच से पुलिसवालों को धमकी देते नजर आएं, तो अखिलेश के नेताओं ने अधिकारियों का हिसाब-किताब करने की धमकी दे दी. आपको ऐसे 5 बयानों से रूबरू करवाते है, जिसने अखिलेश को हराने में अपनी अहम भूमिका अदा की.

विवादित बयान नंबर 1- अखिलेश ने मंच से पुलिसवालों को कहा बदतमीज

अखिलेश यादव के चुनावी रैलियों में जबरदस्त भीड़ देखी जा रही थी, चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश के सपा समर्थकों की तादाद देख कर ऐसा लग रहा था कि अखिलेश यादव सूबे के सबसे बड़े नेता बनने वाले हैं. इन्हीं रैलियों के दौरान अखिलेश यादव ने एक रैली में मंच से पुलिसवालों पर भड़क गए. उन्होंने पुलिसवालों को बदतमीज तक कह दिया.

अखिलेश ने कहा था कि 'ऐ पुलिसवालों, ऐ पुलिस.. पुलिस, ऐ पुलिस, ऐ पुलिसवालों क्यों कर रहे हो ये तमाशा.. ऐ तुमसे ज्यादा बदतमीज कोई नहीं हो सकता. क्यों ऐसा कर रहे हो भाई. ये लगता है बीजेपी वाले करवा रहे हैं. ये बीजेपी वालों ने रेड कार्ड इशू किए थे, याद है कि नहीं याद है? और एक जाति के अधिकारी थे, एक जाति के अधिकारी.. एक जाति के अधिकारी थे, जिन्होंने अन्याय किया था कि नहीं किया था. वो पुलिस कप्तान जिसने चुनाव हरवाया था, याद है कि नहीं याद है?'

विवादित बयान नंबर 2- 'अखिलेश भईया आएंगे तो अधिकारियों का हिसाब-किताब होगा'

माफियाओं को शरण देने के लिए बदनाम अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के गठबंधन से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को चुनावी मैदान में उतारा गया था. ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से उन्होंने चुनाव लड़ा और मऊ विधानसभा से जीत भी हासिल की. लेकिन अब्बास अंसारी की जुबान फिसल गई, जिसका खामियाजा कहीं न कहीं अखिलेश यादव को भुगतना पड़ा.

एक जनसभा को मंच से संबोधित करते हुए अब्बास अंसारी ने कहा था कि 'मैं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जी से कह कर आया हूं कि 6 महीने तक किसी की ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं होगी. जो जहां है, वहीं रहने वाला है. पहले हिसाब-किताब होगा. उसके बाद उनके जाने पर मुहर लगाया जाएगा. हम बाहुबली हैं. हमें इससे कोई गुरेज नहीं है. मेरे नौजवान साथियों की तरफ कुछ बैल सींग निकाल कर खड़े हैं. समय आने दीजिए खूंटे में यही नहीं बांध दिया तो कहिएगा. अखिलेश यादव से मैंने कहा था कि पहले जिन लोगों ने मुकदमे लगाए हैं, उनकी भी जांच पड़ताल कर लिया जाए.'

मुख्तार अंसारी जैसे गुंडे-माफिया के बेटे अगर ऐसा बयान देते हैं तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है, लेकिन इसका नुकसान अखिलेश यादव को चुनावी मैदान में हुआ. सपा की गुंडागर्दी वाली छवि सुधारने में अखिलेश नाकाम हुए और नतीजा सभी के सामने है.

विवादित बयान नंबर 3- 'जिन्ना ने देश के लिए आजादी की लड़ाई लड़ी'

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने चुनावी सरगर्मी के बीच 31 अक्टूबर, 2021 को हरदोई जिले में एक रैली में कहा था कि 'सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी और जिन्ना ने मिलकर आजादी की लड़ाई लड़ी और देश को स्वतंत्र करवाया.' अखिलेश के इसी बयान के बाद विवाद बढ़ने लगा, लेकिन अखिलेश अपने बयान पर डटे रहे और उनके साथियों ने भी उनका बखूबी साथ दिया.

अखिलेश के बाद ओमप्रकाश राजभर भी ये कह दिया कि 'जिन्ना अगर पहले पीएम बनते तो देश का बंटवारा न होता.' ओमप्रकाश राजभर यहीं नहीं रुके, उन्होंने ये तक कह दिया कि 'पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर पूर्व डिप्टी  प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी तक ने जिन्ना की तारीफ की थी, इसलिए उनके विचारों को भी पढ़ा जाए.'

जिन्ना की तरफदारी वाले मुद्दे पर बीजेपी ने अखिलेश और समाजवादी पार्टी को जमकर घेरा. भाजपा ने इसे चुनाव के दौरान खूब भुनाया, जिसका नुकसान अखिलेश और उनकी पार्टी को उठाना पड़ा. कहीं न कहीं चुनाव में जिन्ना का मुद्दा अखिलेश को बैकफुट पर ले जाने में काफी मददगार साबित हुआ.

विवादित बयान नंबर 4- 'मोदी-योगी का जूता साफ करते हैं पिछड़ी जाति के नेता'

अपनी बेकाबू जुबान के लिए मशहूर ओमप्रकाश राजभर ने पूरे चुनाव में एक से बढ़कर एक विवादित बयानबाजी की. विवादित बयानों की कतार बड़ी लंबी है, लेकिन इनमें से एक बयान में उन्होंने ओबीसी समाज का घोर अपमान किया था.

ओमप्रकाश राजभर ने उत्तर प्रदेश के मऊ में अपनी एक जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम योगी और पीएम मोदी के खिलाफ ऐसा कुछ कह दिया जो बवाल के लिए काफी था. राजभर ने कहा था कि अखिलेश यादव 2022 में सपा की सरकार बनवाने के लिए अखिलेश को यहां लेकर आए हैं. साथ ही उन्होंने ये कह दिया कि भाजपा में जितने भी पिछड़ी जाति के नेता हैं, वह मोदी-योगी का जूता साफ करते हैं. उनके इस बयान को लेकर भी खूब बवाल मचा था.

विवादित बयान नंबर 5- जब अखिलेश ने साधु संतों को बताया 'चिलमजीवी'

ये बात उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की है, गाजीपुर में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर अपनी 'विजय यात्रा' के चौथे चरण के दौरान अखिलेश यादव ने संतों को 'चिलमजीवी' और 'एक रंग वाले' कहकर संबोधित किया था.

इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने कई जगहों पर प्रचार के दौरान खुले मंच से सीएम योगी का बिना नाम लिए उन पर हमला बोला. उन्हें वापस मठ भेज देने की बात कही. उन्होंने चिलमजीवी शब्द का इस्तेमाल खूब किया. अखिलेश की इस हरकत को लेकर साधु संतों ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की. साधु संतों ने साफ-साफ कहा कि संतों को राजनीति से मत जोड़िए.

कपड़ों के रंग को लेकर सिर्फ अखिलेश यादव ने ही नहीं बल्कि उनकी पत्नी डिंपल यादव ने भी टिप्पणी की. डिंपल ने सीएम के कपड़ों की लोहे की जंग से की तुलना कर दी थी. डिंपल यादव के इस बयान की खूब आलोचना हुई.

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कहीं न कहीं चुनाव में बयानों की अहम भूमिका होती है. विवादित बयानों के चलते चुनाव की तस्वीर बदल जाती है. समाजवादी पार्टी को हार मिलने की वजहों की बात की जाएगी तो अखिलेश यादव और उनके साथियों की बदजुबानी और उनके विवादित बोल को जरूर याद किया जाएगा.

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