नई दिल्ली: ममता बनर्जी ने उनके लिए सुरक्षित कही जाने वाली भवानीपुर सीट के बदले नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. ममता ने शुक्रवार को अपने सभी 291 उम्मीदवारों के नामों की भी घोषणा कर दी, लेकिन जो बड़ा सवाल है वो ये कि ममता ने भवानीपुर के बदले नंदीग्राम क्यों चुना?


दीदी का बड़ा ऐलान


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ममता बनर्जी ने तकरीबन 2 महीने पहले नंदीग्राम में जो वादा किया था, उसे पूरा करने का ऐलान उन्होंने टिकट बंटवारे के वक्त कर दिया. नंदीग्राम में ममता बनर्जी ने क्या कहा था आपको बताते हैं.


ममता दीदी ने करीब 2 महीने पहले नंदीग्राम में कहा था कि 'नंदीग्राम मेरे लिए एक लकी है पूछिए क्यों क्योंकि 2016 में मैंने इसी जगह से अपने चुनाव का ऐलान किया था आज फिर नंदीग्राम आई हूं 2021 में टीएमसी नंदीग्राम से जीतेगी.'



ममता ने कहा था कि वो नंदीग्राम से तो चुनाव लड़ेंगी ही लेकिन भवानीपुर भी नहीं छोड़ेंगी. फिर ऐसा क्या हुआ कि आज ममता ने भवानीपुर से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया. उसकी वजह है भवानीपुर में 2011 से लेकर अब तक ममता बनर्जी का प्रदर्शन..


2011 में ममता बनर्जी को भवानीपुर में 77.46%  वोट मिले और वो 54, 213 वोटों से जीत गईं. 2016 में ममता को भवानीपुर में 47.67% वोट मिले और वो मात्रा 25,301 वोट से जीती थीं.


भवानीपुर में हार का डर


ममता बनर्जी के विरोधी ये आरोप लगा रहे हैं कि उन्हें भवानीपुर में हार का डर था. इसलिए उन्होंने भवानीपुर सीट छोड़ दी, लेकिन सवाल ये है कि अगर ममता डरी होती तो 2 सीट से चुनाव लड़तीं. लेकिन वो सिर्फ एक सीट से चुनाव मैदान में हैं. इसके बाद भी वो उस नंदीग्राम को क्यों चुनतीं? जो अधिकारी परिवार का गढ़ है.


दरअसल नंदीग्राम (Nandigram) से ही ममता ने राजनीतिक ऊंचाइयों को छुआ है. 2016 में यहां से ममता बनर्जी के खास रहे शुवेंदु अधिकारी चुनाव जीते थे. अब शुवेंदु अधिकारी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं.



दरअसल, बंगाल के रानजीतिक जानकारों का ऐसा दावा है कि अधिकारी परिवार पश्चिमी और पूर्वी मिदनापुर में बेहद ताकतवर है. पुरुलिया, बांकुरा, बीरभूम, मुर्शिदाबाद और मालदा में इस परिवार का अच्छा प्रभाव है. एक अनुमान के मुताबिक शुवेंदु अधिकारी 50 सीटों पर TMC का खेल खराब कर सकते हैं.


इस नुकसान को रोकने के लिए ममता बनर्जी खुद नंदीग्राम से चुनाव मैदान में उतर रही हैं, लेकिन यहां की लड़ाई ममता बनर्जी के लिए आसान नहीं रहने वाली है. क्योंकि शुवेंदु अधिकारी ममता को 50 हजार से ज्यादा वोटों से हराने का दावा कर चुके हैं.


शुवेंदु ने कहा था कि 'नंदीग्राम से कौन खड़ा होगा मुझे पता नहीं है, बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व निर्णय करेगा. बीजेपी एक आदमी का दल नहीं है, नंदीग्राम से जो भी खड़ा होगा वो ममता दीदी को 50000 वोट से हराएगा. मैं इसे लिखित रूप में दे रहा हूं अगर मैं ममता बनर्जी को आधे लाख वोटों से हराने में असफल रहा तो राजनीति छोड़ दूंगा.'



पिछले चुनाव में नंदीग्राम से शुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने CPI के अब्दुल कबीर शेख (Abdul Kabir Sekh) को 81 हजार 230 वोटों से मात दी थी. उस वक्त शुवेंदु ने 1 लाख 34 हजार 623 वोट हासिल किए थे. जबकि शेख को सिर्फ 53 हजार 393 वोट मिले थे.


नंदीग्राम का समीकरण


ममता की मुश्किल की वजह नंदीग्राम का धार्मिक बंटवारा भी है. 5-6 सालों में नंदीग्राम में कई दंगे हुए हैं. जो ममता को परेशान कर सकता है. नंदीग्राम का धार्मिक समीकरण देखें तो, नंदीग्राम में 70% हिंदू हैं और 30% मुस्लिम है. अगर कुल वोटर की बात करें 2,13,000 वोटर में 1 लाख 51 हजार हिंदू वोटर हैं और 62 हजार मुस्लिम वोटर हैं.


यही वजह है शुवेंदु तो शुवेंदु, बीजेपी के दूसरे नेता भी ममता को हराने की बात कह रहे हैं.


कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि 'हमारी लिस्ट फाइनल है. जो दिल्ली से जारी होगी. ममता बनर्जी को अच्छे से पता है कि वो भवानीपुर से जीत नहीं पाएंगी इसलिए वहां से भागी हैं. नंदीग्राम की जनता ने तय कर लिया है कि इस बार ममता बनर्जी को बाहर करना है. हारेंगी वहां से जनता जिसको चाहती है उसको आगे करती है. जनता ने बीजेपी को अपना समर्थन देने का पूरा मन बना लिया है. इस बार ममता बनर्जी की सरकार नहीं बनेगी.'


ममता दीदी के 10 बड़े ऐलान की जानकारी देते हैं, जिससे ममता की चुनावी रणनीति आपके सामने साफ हो जाएगी.


ममता बनर्जी के 10 बड़े ऐलान


1. ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़ेंगी
2. 9 मार्च को नंदीग्राम जाएंगी ममता बनर्जी
3. 10 मार्च को ममता बनर्जी नामांकन करेंगी
4. ममता ने TMC ने 291 सीट पर ऐलान किया
5. ममता बनर्जी ने 42 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे
6. SC-79 और ST 17 उम्मीदवार उतारे गए
7. ममता बनर्जी ने 50 महिलाओं को टिकट दिया
8. 23 मौजूदा विधायकों का टिकट काटा गया
9. वित्त मंत्री अमित मित्रा का टिकट काट
10. अमित मित्रा ने कहा, वो ममता के साथ हैं


आपको बता दें कि शुवेंदु अधिकारी के बीजेपी में शामिल होने पर अमित मित्रा ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, लेकिन ममता ने उनका इस बार टिकट ही काट दिया. उनकी बीमारी इसकी बड़ी वजह हो सकती है. हालांकि उन्होंने ट्वीट कर कही है कि वो ममता बनर्जी के साथ हैं.


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भले ही विरोधी ये कहें कि ममता डर कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ रही हैं. इसे ममता की दिलेरी और आत्मविश्वास भी कहा जा सकता है, क्योंकि ममता ने उस सीट को छोड़ा है जहां से वो लगातार चुनाव जीतती रही हैं और अब वहां से चुनाव लड़ रही हैं. जो उनके विरोधी का गढ़ है. ऐसे में अब सबको इंतजार है बीजेपी की लिस्ट का. अगर इसमें नंदीग्राम से शुवेंदु अधिकारी नाम होता है, तो क्या नंदीग्राम बंगाल का मुख्यमंत्री तय करेगा?


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