रांची. झारखंड विधानसभा में लगता है इस बार राजनीतिक शक्ति केंद्र बदल जाएगा. और तो और राजनीतिक सत्ता के केन्द्र दोनों ही तरह से बदल सकते हैं -  राज्य सरकार में भी और राज्य में बीजेपी के कार्यालय में भी. 


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फूट सकता है ठीकरा रघुबर दास पर 


रघुबर दास न केवल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं बल्कि वे राज्य में बीजेपी के सर्वोच्च नेता भी हैं. उनकी योग्यता और पार्टी के प्रति निष्ठा हमेशा निर्विवाद रही है. इस बार उन्होंने पार्टी हाईकमान को पूरा विश्वास दिलाया था कि पार्टी फिर से झारखंड में सरकार बनाएगी. इतना ही नहीं उन्होंने तो अनुमान किया था कि पार्टी इस बार पिछली बार से अधिक संख्या में सीटें जीतेगी.


हेमंत सोरेन हो सकते हैं अगले मुख्यमंत्री 


राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चुनावी सर्वेक्षण के पूर्व अंतिम चरण के बाद आया प्रदेश चुनावों का एग्जिट पोल्ल भी बीजेपी का झारखंड में समर्थन नहीं कर रहा है. आदिवासी बहुल राज्य में अब जनता का झुकाव सोरेन के प्रति अधिक दिखाई दे रहा है और इसका कारण शिबू सोरेन भी हैं. 



अगर बीजेपी नहीं तो सिर्फ गठबंधन सरकार 


बीजेपी का वर्चस्व अवश्य कम हुआ लगता है किन्तु बीजेपी के विरुद्ध कोई भी राजनीतिक दल इतना सशक्त नहीं दिखता जो कि अपनी दम पर राज्य में सरकार बना सके. ऐसे में जो तस्वीर उभर कर सामने आ रही है वो एक गठबंधन सरकार की ही है जो कि पहले ही यहां बन चुका है और बीजेपी के विरुद्ध प्रदेश चुनाव में उतरा है. 


बदल सकते हैं सुपरवाइजर्स  


प्रदेश भाजपा की कमान लक्ष्मण गिलुआ के हाथों से जा सकती है. ज़ाहिरा तौर पर इसका दायित्व भी उन पर ही आता है क्योंकि  वे पार्टी के जनाधार को बचा न सके. फिलहाल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का उत्तरदायित्व किसे मिलता है इस पर विचार चल रहा है.  


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