नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश का कुशीनगर जिला महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण की स्थली है. अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ाने वाले बुद्ध की ये धरती फिर सुर्खियों में है और वजह है कुशीनगर की पडरौना विधानसभा सीट, जहां के बनते-बिगड़ते चुनावी समीकरण चर्चा में हैं.


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दलबदल नेताओं ने बदला पडरौना का समीकरण


पडरौना से लगातार तीन बार जीतने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने अचानक ही अपनी सीट बदल ली, तो वहीं कांग्रेस छोड़कर BJP में जाने वाले आरपीएन सिंह भी पडरौना से 3 बार विधायक रह चुके हैं. इस सीट के दोनों विधायकों ने पार्टी बदल कर सीट का समीकरण ही बदल दिया.


इस हाई प्रोफाइल सीट पर हाई प्रोफाइल नेताओं की टक्कर देखने को मिल सकती है, लेकिन अभी तक बीजेपी और समाजवादी पार्टी ने पडरौना के लिए अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं किया है.


सीट बदलकर फाजिलनगर पहुंच गए स्वामी प्रसाद मौर्य


यहां से मौजूदा विधायक और योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य, कुछ हफ्ते पहले तक BJP में थे लेकिन अब समाजवादी पार्टी का दामन थाम चुके हैं. बदली पार्टी और बदले हालात के देखते हुए स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी सीट भी बदल ली है.


समाजवादी पार्टी ने इस बार उनको पडरौना की बजाय कुशीनगर की ही फाजिलनगर सीट से उतारने का ऐलान किया है.


क्या पडरौना से आरपीएन सिंह को टिकट देगी भाजपा?


पडरौना से आरपीएन सिंह भी विधायक रह चुके हैं. अब वो भाजपा का हिस्सा हैं, जो कुछ दिन पहले तक कांग्रेस में थे और राहुल गांधी की कोर टीम का हिस्सा हुआ करते थे.


हालांकि BJP ने अभी पडरौना से उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है, लेकिन चुनाव के ठीक पहले आरपीएन के पाला बदलने से माना जा रहा है कि वो अपनी पुरानी सीट से एक बार फिर ताल ठोक सकते हैं.


पाला बदल पॉलिटिक्स का वोटर्स पर कितना असर?


सवाल ये है कि नेताओं के ताबड़तोड़ पाला बदल पॉलिटिक्स का यहां के वोटर पर क्या और कितना असर पड़ा है? मौर्य की सीट बदलने के बाद समाजवादी पार्टी पिछड़े वोटरों को कैसे साधेगी? क्या आरपीएन एक बार फिर अपनी पुरानी सीट पर जीत दर्ज कर पाएंगे?


इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने और जनता का मूड जानने के लिए ज़ी मीडिया की टीम पडरौना पहुंची. इसकी शुरुआत BJP नेता आरपीएन सिंह के महल से की, जो दरबार रोड चौराहे पर है. यहां लोगों का रुझान एकतरफा आरपीएन सिंह की तरफ था.


आरपीएन के इलाके का हाल जानने के बाद ज़ी मीडिया की टीम कुरमौल गांव पहुंची, जहां की ज़्यादातर आबादी कुशवाहा समाज की है. इस गांव के लोग पहले स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थक थे, लेकिन अब उनके पाला बदलने के बाद यहां के लोग भी बदले नजर आए.


पिछड़े समुदाय के वोटरों के बीच भी मोदी-योगी की जोड़ी के लिए जबरदस्त क्रेज दिखाई दिया. कमोबेश कुरमौल जैसा ही हाल हमें सेमहरना गांव में मिला.


यहां अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले मुसहर जाति के वोटर ज्यादा हैं. यहां भी ज्यादातर लोग मोदी-योगी सरकार की योजनाओं को गिनवाते नजर आए.


स्कूल के प्रिंसिपल ने किया मोदी-योगी का गुणगान


ग्रामीण इलाके के वोटरों की नब्ज टटोलने के बाद ज़ी मीडिया की टीम ने इस इलाके की जातीय समीकरण को अच्छी तरह समझने वाले शैलेंद्र शुक्ला से बात की. शैलेंद्र शुक्ला इलाके के एक इंटरमीडिएट कॉलेज के प्रिंसिपल हैं.


उन्होंने बताया कि पिछड़े समुदाय का यहां अच्छा खासा वोट बैंक है, लेकिन पिछड़े समुदाय का एक बड़ा तबका ऐसा भी है जो मोदी-योगी सरकार की योजनाओं से प्रभावित है.


आरपीएन सिंह के परिवार की पारंपरिक सीट है पडरौना


पडरौना आरपीएन सिंह के परिवार की पारंपरिक सीट मानी जाती है. 1969 में आरपीएन के पिता सीपीएन सिंह यहां से विधायक बने थे. बाद में 1996, 2002 और 2007 में आरपीएन सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर यहाँ से चुनाव जीता था.


2009 में पडरौना से लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद आरपीएन ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद 2009 के उपचुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य BSP के टिकट पर उतरे और आरपीएन की मां को हराकर पडरौना के विधायक बने.


2012 में भी मौर्य BSP के टिकट पर जीते, लेकिन 2017 में उन्होंने पाला बदला और BSP छोड़ BJP के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे.


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उत्तर प्रदेश की राजनीति में दलबदल के एपीसेंटर पडरौना में नेताओं ने भले ही दल बदल दिया हो, लेकिन जनता ने अपना मन नहीं बदला है. पडरौना का गणित समझकर तो ऐसा जरूर लग रहा है कि कहीं न कहीं स्वामी प्रसाद मौर्य को हार का डर था, तभी तो जैसे उन्होंने पाला बदला वैसे ही सीट भी बदल ली.


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