नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी ने 3 प्रत्याशियों की नई सूची जारी कर दी है. इसमें योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य को भी टिकट दिया गया है. खास बात ये है कि इस बार स्वामी प्रसाद मौर्य पडरौना से चुनाव नहीं लड़ेंगे.
सपा की नई लिस्ट में किसे मिला टिकट
सपा ने अपनी नई लिस्ट में जिन तीन विधानसभा क्षेत्र के लिए उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लगाई है, उनमें स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा अभिषेक मिश्रा और पल्लवी पटेल का नाम शामिल है.
लखनऊ के सरोजनीनगर से समाजवादी पार्टी ने अभिषेक मिश्रा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, तो वहीं कौशाम्बी के सिराथू से पल्लवी पटेल को सपा का टिकट मिला है. वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य को इस बार कुशीनगर के फाजिलनगर से सपा ने चुनावी मैदान में उतारा है.
क्यों बदल गई मौर्य की सीट?
स्वामी प्रसाद मौर्य की सीट आखिरकार सपा ने क्यों बदल दी? इस सवाल का जवाब समझने के लिए उनके पुराने सफर को याद करना होगा. पडरौना से विधायक रहे स्वामी को आखिर कुशीनगर की फाजिलनगर सीट से ही क्यों सपा ने चुनावी मैदान में उतारा?
इसके पीछे भाजपा की रणनीति मानी जा रही है. दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि 'पडरौना के राजा' के बीजेपी में शामिल होने की वजह से मौर्य की सीट बदलनी पड़ी.
बीते 25 जनवरी को कांग्रेस के दिग्गज और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया. माना जाने लगा कि ये भाजपा ने स्वामी प्रसाद मौर्य को सबक सिखाने के लिए अपना हथियार तैयार कर लिया.
बार-बार ऐसी बात सामने आने लगीं कि भाजपा आरपीएन सिंह को पडरौना से स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ उतारने का मूड बना रही है. तभी से ऐसी अटकलें थीं कि अब सपा स्वामी प्रसाद मौर्य को दूसरे सीट से चुनाव लड़ाने के बारे में विचार कर रही है. आखिरकार ऐसा ही हुआ.
लोकसभा चुनाव में मौर्य को मिली थी हार
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य को आरपीएन सिंह ने हार का स्वाद चखाया था. हालांकि 2012 में मौर्य ने बतौर बसपा प्रत्याशी और 2017 में बतौर भाजपा प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में पडरौना से जीत हासिल की थी.
यदि आरपीएन सिंह की बात करें तो वो खुद पडरौना सीट से 1996, 2002 और 2007 में विधायक रहे हैं. आरपीएन सिंह का पूरा नाम कुंवर रतनजीत प्रताप नारायण सिंह है, जिन्हें राजा साहेब कह कर पुकारा जाता है.
बीजेपी ने अब तक पडरौना से किसी उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. उससे पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य की सीट बदल दी गई. देखना तो ये भी होगा कि क्या अब बीजेपी आरपीएन सिंह को पडरौना से विधानसभा चुनाव लड़वाती है?
फाजिलनगर विधानसभा का जातीय समीकरण
आंकड़ों की बात करें तो इस विधानसभा में करीब 3 लाख 40 हजार से अधिक वोटर हैं. जिनमें माना जाता है कि 10 फीसदी, 7 फीसदी क्षत्रिय, 8 फीसदी वैश्य, 14 फीसदी मुस्लिम, 17 फीसदी अनूसिचित जाति, 5 फीसदी यादव और 10 फीसदी कुशवाहा हैं.
फाजिलनगर का रण नहीं होगा आसान
इसमें कोई दो राय नहीं है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए फाजिलनगर सीट पर भी मुकाबला आसान नहीं रहने वाला है. क्योंकि पिछले दो बार से यहां भाजपा का खासा दबदबा रहा है.
इस सीट से भाजपा के पुराने नेता जीते गंगा सिंह कुशवाहा के बेटे सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा को टिकट मिला है. गंगा सिंह ने वर्ष 2012 और 2017 में जीत हासिल की थी. फाजिलनगर विधानसभा कुशवाहा बाहुल्य के तौर पर जानी जाती है.
2012 विधानसभा चुनाव में सपा के लहर के बावजूद गंगा सिंह कुशवाहा करीब 5 हजार वोटों से चुनाव जीतकर विधानसभा सभा पहुंचे थे. 2017 में उन्होंने सपा के प्रत्याशी को करीब 42 हजार वोटों से हराया था.
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अब देखना होगा कि भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य खुद अपनी विधायकी बचा पाते हैं या उनका भी घमंड चूर हो जाएगा.
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