लिवर ट्रांसप्लांट कराया तो अस्पताल को दिए 1 करोड़, राम मंदिर को दिए 11 करोड़, कौन हैं BJPके राज्यसभा प्रत्याशी गोविंद

गोविंद भाई ने अपनी एक छोटी यूनिट शुरू की थी जिसे आज पूरी दुनिया श्रीरामकृष्ण एक्सपोर्टर के नाम से जानती है. वर्तमान में यह कंपनी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हीरा क्षेत्र में टॉप प्लेयर्स के रूप में गिनी जाती है. कंपनी में करीब 6 हजार कर्मचारी काम करते हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 14, 2024, 10:03 PM IST
  • दान के लिए अपनी पहचान रखते हैं गोविंद.
  • दुनिया की टॉप कंपनियों में शुमार है SRK.
लिवर ट्रांसप्लांट कराया तो अस्पताल को दिए 1 करोड़, राम मंदिर को दिए 11 करोड़, कौन हैं BJPके राज्यसभा प्रत्याशी गोविंद

नई दिल्ली. गुजरात के हीरा व्यापारी गोविंद भाई ढोलकिया अक्सर अपनी 'दानवीरता' के कारण चर्चा में रहते हैं. 'डायमंड सिटी' के नाम से मशहूर सूरत की चर्चित कंपनी श्री रामकृष्‍ण एक्‍सपोर्टर के मालिक गोविंद ढोलकिया कर्मचारियों को बेहद महंगे गिफ्ट देने के लिए मशहूर रहे हैं. कर्मचारियों को गोविंद भाई कभी कार तो कभी सोलर रूफ टॉप गिफ्ट करते रहे हैं. अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में चंदा देने के मामले में गोविंद भाई अव्वल रहे हैं. उन्होंने अयोध्या राम मंदिर निर्माण के लिए 11 करोड़ रुपये का दान दिया था.अब भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें राज्यसभा प्रत्याशी बनाया है. 

किसान परिवार से ताल्लुक, 1964 में आए थे सूरत
गोविंद भाई की जिंदगी की कहानी बेहद दिलचस्प है. वो मूल रूप से किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं और 1964 में सूरत आए थे. उस वक्त उनकी उम्र 13 साल की थी. गोविंद भाई डायमंड कटिंग और पॉलिश फैक्टरी में काम करना शुरू किया. उन्हें हीरे तो तराशने की कला में निपुणता हासिल की. उस वक्त वो सूरत के किराये पर रहते थे. उनके साथ रूम में अन्य लोग भी रहते थे और किराया शेयर करते थे. 

छोटी सी यूनिट को दुनिया की नामी कंपनी में बदला
काम सीखने के बाद गोविंद भाई ने अपनी एक छोटी यूनिट शुरू की थी जिसे आज पूरी दुनिया श्रीरामकृष्ण एक्सपोर्टर के नाम से जानती है. वर्तमान में यह कंपनी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हीरा क्षेत्र में टॉप प्लेयर्स के रूप में गिनी जाती है. कंपनी में करीब 6 हजार कर्मचारी काम करते हैं. 

'दानवीर' के रूप में है ढोलकिया की पहचान
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक गोविंद भाई को साल 2021 में लिवर ट्रांसप्लांट कराना था. उन्होंने अमेरिका जाने की बजाए सूरत के ही एक अस्पताल में अपना लिवर ट्रांसप्लांट करवाया था. जिस दिन उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिलनी थी, उन्होंने एक करोड़ रुपये दान किए. इसके अलावा पूरे अस्पताल के 1600 कर्मचारियों में प्रत्येक को 2 हजार रुपये दिए थे. पारिवार के मुताबिक उनकी सर्जरी की कीमत 16.5 लाख रुपये आई थी. 

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