नई दिल्ली: सुल्तानपुर से रितेश सिंह रजवाड़ा (Ritesh Singh Rajwada) के रूप में एक और हीरा माया नगरी में अपने पंख फैलाने के लिए तैयार है. शशि किरण टिक्का के निर्देशन में बनी फिल्म 'मेजर (Major)' जल्द ही सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए तैयार है. फिल्म का ट्रेलर पहले ही काफी सुर्खियां बटोर चुका है. अब फिल्म का 'साथिया ओर रे साथिया (Saathiya)' भी लोगों के बीच धमाल मचा रहा है. इस खूबसूरत गाने को रितेश सिंह रजवाड़ के अलफाजों से निखारा है. रिलीज होते ही यह गाना यूट्यूब पर भी ट्रेंड करने लगा.
'साथिया ओर रे साथिया' गाने को मिली सफलता से उत्साहित हैं रितेश
रितेश भी अपने इस लव सॉन्ग को मिली सफलता को लेकर काफी उत्साहित हैं. उन्होंने अपनी इसी खुशी को जाहिर करते हुए जी हिन्दुस्तान डिजिटल से खास बातचीत में कहा, 'अच्छा लग रहा है. जब कोई चीज पहली बार होती है और जितनी आपने उम्मीद नहीं की होती, आपका काम उससे बेहतर प्रदर्शन करता है तो बहुत अच्छा लगता है. हालांकि, उम्मीद इसलिए नहीं, क्योंकि मुझे अपनी लिखावट पर भरोसा नहीं था, या ट्यून पर विश्वास नहीं था, लेकिन ऐसा लग रहा था कि किसी का भी पहला ही गाना इतनी चर्चा में थोड़ी न आता है.'
सुल्तानपुर के लोगों को दिया सफलता का श्रेय
उन्होंने अपने गाने को मिली इस सफलता का श्रेय भी सुल्तानपुर को ही दिया है. रितेश ने कहा, 'सुल्तानपुर की मिट्टी ही बहुत जरखेज (उपजाऊ) है. यहां से पंडित राम नरेश त्रिपाठी, मजरुह सुल्तानपुरी और मनोज मुंतशीर जैसी तमाम हस्तियां निकली हैं.' वैसे आपको बता दें कि रितेश रजवाड़ा, मनोज मुंतशीर को अपना गुरू मानते हैं.
मनोज मुंतशीर को गुरू मानते हैं रितेश रजवाड़ा
रितेश ने मनोज को लेकर कहा, 'गुरु अगर माटी के भी हों तो जंगल में भागते लड़के को एकलव्य बना देते हैं. मैं स्टूडेंट पॉलिटिक्स में रहता था, मैं गले में गमछा बांधकर नारे लगाया करता था, सड़क पर बैठता था, मेरे अंदर एक लेखक छिपा था, मैं सिर्फ अपने लिए लिखता था. फिर मनोज जी ने पता नहीं क्या सोचकर मुझे चुना. उन्हें लगा कि शायद मैं कुछ अच्छा कर सकता हूं. इसके बाद उन्होंने मुझे 'बाहुबली: द बिगनिंग' में डाल दिया, जहां न तो मुझे तेलुगू आती थी और न ही इंग्लिश.'
रितेश को मनोज मुंतशिर से मिला था ऐसा ज्ञान
रितेश ने कहा, 'मनोज मुंतशिर जी की मैं 2 बातें बताना चाहूंगा. उन्होंने मुझसे पहली बात कही थी कि हमेशा अपने काम पर भरोसा रखना. मैंने उनसे कहा कि मुझे न तेलुगू आती है न अंग्रेजी, मैं क्या करूंगा वहां. इस पर उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हें हिंदी आती है, हिन्दुस्तानी आती है, जिस भाषा में वो काम करना चाहते हैं. गरज उनकी है तुम्हें लेना, तो उन्हें तुम्हारी भाषा सीखने की जरूरत है, तुम्हें इस वजह से ज्यादा परेशान नहीं होना चाहिए.'
रितेश ने मनोज की दूसरी बात बताई, 'अगर तुम किसी छोटे मंच पर भी बोल रहे हो या किसी छोटी जगह पर खड़े हो, तो कभी ये मत सोचना कि हम यहां क्यों अपना सर्वश्रेष्ण दें.' बस उनकी इन्हीं 2 बातों को गांठ बांधकर रितेश आगे बढ़ते रहने की पूरी कोशिशें करने लगे.
कभी नहीं सोचा था इंडस्ट्री का करेंगे रुख
फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाने को लेकर रितेश ने कहा, 'इंडस्ट्री का तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था. हम लोगों के लिए यह बहुत बड़ी चीज हुआ करती थी. फिल्में तो हमारे लिए देखने वाली चीज होती थीं, यहां काम करने का तो हम कभी सोचते भी नहीं थे. ये पर्दे के उस पार की दुनिया थी.'
परिवार से सुनते थे चौपालें
रितेश ने कहा, 'जब हम छोटे थे तो हमारे दादा साहब अंग्रेजी के अध्यापक और उर्दू के बड़े विद्वान थे. उनके पास अक्सर प्रिंसिपल, प्रोफेसर्स, उर्दू के विद्वान और हिंदी के लोग आकर बैठा करते थे. तो उनके पास, उनकी गोद में बैठकर उनकी चर्चाओं और चौपालों से छनकर जो चर्चा कभी कान में पहुंची, शायद उसने काम कर दिया.'
दादा अक्सर गालिब की लिखी हुई शायरियां सुनाते थे, 'ऐ दो जहां के वाली, ऐ गुलशनों के माली, हर चीज से है जाहिर, हिकमत तेरी निराली.' दादी के हाथ से खाना खाते थे, तो वो भी कई तरह की कविताएं सुनाया करती थीं. यही सब चीजें बचपन से ही दिल-ओ-दिमाग में बैठ गईं. अब जब हम कमर्शियली लिख रहे तो, वो पीछे की चीजें कनेक्ट होती हैं.
इस दिन रिलीज होगी 'मेजर'
गौरतलब है कि 'मेजर' मे अदिवी सेश और साई मांजरेकर को लीड रोल में देखा जा रहा है. इनके अलावा इसमें प्रकाश राज, रेवती और मुरली शर्मा जैसे सितारे भी अहम किरदारों में नजर आएंगे. फिल्म 3 जून को सिनेमाघरों में दस्तक देने के लिए बिल्कुल तैयार है. इसे हिंदी, मलयालम और तेलुगू भाषा में रिलीज किया जा रहा है.
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