Manoj Mitra: दिग्गज अभिनेता का 85 साल की उम्र में निधन, बंगाल के लिए बड़ा झटका, सीएम ममता ने किया याद
Veteran Bengali actor passes away: अभिनेता लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे. मंगलवार को दोपहर 3 बजे से उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रवींद्र सदन लाया जाएगा. मनोज मित्रा की प्रसिद्धि सिल्वर स्क्रीन तक भी फैली थी: बंचारमेर बागान (1980) में उनके अभिनय को बंगाली दर्शक आज भी याद करते हैं.
Manoj Mitra Death: पश्चिम बंगाल के प्रख्यात रंगमंच व्यक्तित्व मनोज मित्रा का मंगलवार सुबह 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने कोलकाता के एक निजी अस्पताल में सुबह 8:50 बजे अंतिम सांस ली. उनके भाई, लेखक अमर मित्रा ने उनके निधन की खबर दी.
अभिनेता लंबे समय से उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे. मंगलवार को दोपहर 3 बजे से उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रवींद्र सदन लाया जाएगा. मनोज मित्रा की प्रसिद्धि सिल्वर स्क्रीन तक भी फैली थी: बंचारमेर बागान (1980) में उनके अभिनय को बंगाली दर्शक आज भी याद करते हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मित्रा के निधन पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने X पर लिखा, 'आज सुबह प्रसिद्ध अभिनेता, निर्देशक और नाटककार, 'बंगा विभूषण' मनोज मित्रा के निधन से दुखी हूं. वह हमारे थिएटर और फिल्म जगत में एक अग्रणी व्यक्तित्व थे और उनका योगदान बहुत बड़ा रहा है. मैं उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करती हूं.'
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने भी X पर लिखा, 'मुझे यह जानकर बहुत दुख हुआ कि मनोज मित्रा का निधन हो गया है. एक उल्लेखनीय फिल्म और थिएटर कलाकार, उन्हें तपन सिन्हा की बंछरामेर बागान और सत्यजीत रे की क्लासिक्स घरे बाइरे और गणशत्रु में उनके सदाबहार अभिनय के लिए याद किया जाएगा. एक विपुल नाटककार, मित्रा ने 100 से अधिक नाटक लिखे और कई पुरस्कार प्राप्त किए, जिनमें सर्वश्रेष्ठ नाटककार के लिए प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी शामिल है. मैं उनके परिवार के सदस्यों, दोस्तों, असंख्य प्रशंसकों और प्रशंसकों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं. उनकी आत्मा को शांति मिले. ओम शांति…'
कौन थे मनोज मित्रा?
मनोज मित्रा का जन्म 22 दिसंबर 1938 को तत्कालीन अविभाजित बंगाल के सतखीरा जिले के धुलिहार गांव में हुआ था. उन्होंने 1958 में स्कॉटिश चर्च कॉलेज से दर्शनशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. इस कॉलेज में अध्ययन करते समय, वे अपने साथियों बादल सरकार और रुद्रप्रसाद सेनगुप्ता के प्रोत्साहन से नाटक से बहुत जुड़े. बाद में मित्रा ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की और शोध कार्य शुरू किया.
मित्रा ने 1957 में नाटक और 1979 में फिल्मों में अभिनय करना शुरू किया. उन्होंने रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में नाटक विभाग के प्रमुख के रूप में शामिल होने से पहले विभिन्न कॉलेजों में दर्शनशास्त्र भी पढ़ाया. उन्होंने अपना पहला नाटक, 'मृत्युर चोखे जल' 1959 में लिखा था. लेकिन 1972 में बिवास चक्रवर्ती द्वारा निर्देशित नाटक 'चक भंगा मधु' से उनकी प्रसिद्धि और पहचान में तेजी आई.
मित्रा ने 'सुंदरम' नामक एक थिएटर ग्रुप की भी स्थापना की, जिसे उन्होंने कुछ वर्षों में छोड़ दिया और 'रितायन' नाम का ग्रुप बना लिया, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि वे कुछ ही दिनों में सुंदरम में वापस आ गए. उनका नाम 'अभय प्रजापति', 'नीला', 'सिंहद्वार' और 'फेरा' जैसे कई हिट नाटकों से जुड़ा है.
मनोज ने तपन सिन्हा, तरुण मजूमदार, बासु चटर्जी और सत्यजीत रे द्वारा निर्देशित कई फिल्मों में अभिनय किया, इसके अलावा वे मुख्यधारा की फिल्मों में भी एक जाना-पहचाना चेहरा थे. उन्होंने दर्शकों का सम्मान और प्रशंसा प्राप्त की, भले ही उन्होंने इनमें से कुछ फिल्मों में नेगेटिव रोल ही क्यों ना निभाया हो.
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