Piyush Mishra Birthday Special: हरफनमौला कहे जाने वाले पीयूष मिश्रा का नाम सुनते ही जहन में उस शख्स की छवि बन जाती है जिसने हर असंभव चीज को संभव कर दिखाया है. अभिनेता, गायक, गीतकार और संगीत निर्देशक पीयूष मिश्रा ने हर मुकाम पर खुद को साबित किया है. पीयूष के बारे में जब भी बात होती है तो उन्हीं की लिखी हुई ये पंक्तियां याद आती है, 'हल्‍की-फुल्‍की सी है जिंदगी, बोझ तो केवल ख्‍वाहिशों का है.' ये शब्द उनकी जिंदगी पर बिल्कुल फिट बैठते हैं. एक्टर बनने के लिए पीयूष ने अपनी राह में बिछे कई कांटों को पार किया.


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पीयूष को लिया गया था गोद


13 जनवरी, 1963 को ग्वालियर में जन्में पीयूष शर्मा एक मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखते हैं. कहते हैं कि एक्टर को उनकी बुआ ने गोद लिया था. हालांकि, आर्थिक तंगी के कारण कुछ समय बाद उनके माता-पिता भी उनकी बुआ के घर ही शिफ्ट हो गए थे. पीयूष का जन्म का प्रियकांत शर्मा रखा गया था, लेकिन दसवीं क्लास के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर पीयूष मिश्रा रख लिया. बचपन से ही उन्हें कला से बेहद प्यार था. हालांकि, परिवार की इच्छाएं उनके लिए कुछ और ही थीं. चलिए शनिवार को पीयूष के 61वें जन्मदिन के मौके पर उनकी जिंदगी के कुछ अहम पहलुओं पर नजर डालते हैं.


यौन शोषण का हुए शिकार


पीयूष मिश्रा ने अपनी किताब 'तुम्हारी औकात क्या है पीयूष मिश्रा' में अपनी निजी जिंदगी के कई हैरान कर देने वाले खुलासे किए हैं. उन्होंने अपनी इस किताब में बताया है कि जब वह 7वीं क्लास में थे तब वह यौन शोषण का शिकार हुए थे. एक्टर ने बताया कि उनकी एक दूर की महिला रिश्तेदार ने उनके साथ यह शर्मनाक हरकत की थी. इस हादसे ने पीयूष को झकझोर कर रख दिया था. उन्हें इससे खुद को बाहर लाने में एक लंबा वक्त लग गया. एक्टर का कहना है कि इस हादसे जिंदगीभर के लिए उन्हें कष्ट दिए.


पिता बनाने चाहते थे डॉक्टर


पीयूष के पिता चाहते थे कि वह मेडिकल साइंस में पढ़ाई करें और पढ़-लिखकर एक अच्छे डॉक्टर बनें. हालांकि, उनके पिता नहीं जानते थे कि पीयूष के मन में तो कलाकार बनने की इच्छा जाग चुकी है. पिता के डॉक्टर बनने के लिए जोर डालने के बावजूद पीयूष ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में एडमिशन ले लिया औ 1990 में एक्टिंग में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया. यहीं से पीयूष की थिएटर दुनिया और एक्टिंग करियर का आगाज हुआ. पीयूष हमेशा से मुंबई जाकर अपना करियर बनना चाहता थे, लेकिन इससे पहले उन्होंने दिल्ली में ही अपने करीब 20 साल दिल्ली में थिएटर में बिता दिए. यह भी कारण है कि फिल्मी दुनिया में उनका करियर काफी देरी से शुरू हुआ.


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