Sanjay Dutt Birthday: कम उम्र में ड्रग की लत... 5 साल की जेल... चौथी स्टेज पर लंग कैंसर, काफी उतार-चढ़ावभरा रहा है संजय दत्त का सफर
Sanjay Dutt Birthday: हिंदी सिनेमा के पॉपुलर एक्टर में से एक संजय दत्त का इंडस्ट्री में बोलबाला है. एक्टर की फिल्में हो या पर्सनल लाइफ...खूब लाइम लाइट बटोरती है. संजू बाबा की जिंदगी किसी फिल्म से कम नहीं हैं. तो चलिए आज उनके जन्मदिन पर जानते हैं कुछ अनकहे पहलू...
नई दिल्ली:Sanjay Dutt Birthday: संजय दत्त 80-90 के दशक से लगातार दर्शकों का मनोरंजन करते आ रहे हैं. एक्टर का लाइफ में एक नहीं तीन-तीन बार ऐसा दौर आया जब लगा की अब उनका करियर खत्म हो जाएगा. लेकिन उन्होंने हर मुश्किल दौर से खुद को निकाल कर साबित किया कि अगर ठान लो तो आप क्या नहीं कर सकते हैं. मशहूर एक्ट्रेस नरगिस और एक्टर सुनील दत्त के घर 29 जुलाई 1959 को जन्में संजय दत्त की जिंदगी में काफी उथल-पुथल रही है...
ड्रग की लत...फिर पाया काबू
संजय दत्त ने खुद इस बात को कबूल किया है कि ड्रग्स की लत से खुद को निकालना दुनिया का सबसे मुश्किल काम है. एक इंटरव्यू में खुलासा करते हुए एक्टर ने बताया था कि मैं दिनभर बाथरूम में पड़ा रहता था. ऐसा कोई ड्रग नहीं है, जो मैंने ट्राई न किया हो. आज मुझे एहसास होता है कि मैंने जिंदगी और करियर का सबसे खूबसूरत वक्त मैंने ड्रग्स पर बर्बाद कर दिया. जब अमेरिका के रीहैब सेंटर में डॉक्टर ने ड्रग्स लिस्ट दी थी, तो मैंने सब ड्रग पर टिक किया था. डॉक्टर भी चौंक गए थे. लेकिन मैंने कर दिखाया. आज में बहुत खुश हूं.
जेल में काटे 5 साल
मुंबई मुंबई बम ब्लास्ट केस में जब संजय का नाम आया तो हर कोई हैरान रह गया. वहीं सबसे मुश्किल समय था सुनील दत्त के लिए. जब संजय अरेस्ट हुए तो वह टूट गए. संजय ने बताया था कि- मेरे माता-पिता के लिए देश के हित से बढ़कर कुछ नहीं था. लेकिन जब पापा ने अपने ही बेटे को टाडा चार्ज में अरेस्ट होते देखा तो वहआंसू रोक नहीं पाए. वे बहुत शर्मिंदा थे और अखबार से मुंह छिपाकर निकलते थे ताकि लोग न देखें. उनके बेटे का मजाक न उड़े. पापा को यकीन था कि उनका बेटा गलत हो सकता है...टेररिस्ट नहीं हो सकता.
कैंसर के इलाज से डर गए थे संजय
संजय दत्त को 61 साल की उम्र में पता चला था कि उन्हें चौथी स्टेज पर लंग कैंसर है. अपनी कैंस जर्नी बताते हुए उन्होंने खुलासा किया था- वो कैंसर और कीमोथेरेपी का नाम सुनकर बहुत डर गए थे. मेरी मां और पहली पत्नी को भी कैंसर था. डर इतना बढ़ गया था कि मैंने मन बना लिया था कि मरना पसंद करूंगा, लेकिन इलाज नहीं कराउंगा. लेकिन परिवार के खातिर मैंने इलाज कराया, पूरा परहेज किया. आज मैंने परिवार और दोस्तों की मदद से ये भी जंग जीत ली है.
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