नई दिल्ली: 50 साल तक फिल्मों में कॉमेडी करने वाले, ना कोई अश्लीलता, ना कोई दिखावा, बेहद शानदार कलाकार थे देवेन वर्मा. 'गोलमाल' और 'अंगूर' जैसी कल्ट क्लासिक फिल्मों से हंसाने वाले देवेन वर्मा का कहना था कि लोगों को हंसाने के चक्कर में हमें खुद इतनी चीप कॉमेडी नहीं करनी चाहिए कि हम खुद अपनी नजरों में गिर जाएं. दिल से जुड़ी बीमारी और डायबिटीज की वजह से एक्टर का 77 साल की उम्र में 2 दिसंबर 2014 को निधन हुआ. आइए इस हंसमुख किरदार की असल जिंदगी की एक झलक देखते हैं.


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कॉलेज में जाकर बदला नाम


देवेन वर्मा के पिता बलदेव वर्मा राजस्थान के रहने वाले थे और एक फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर थे. वहीं देवेन की मां सरला देवी एक हाउसवाइफ. चार बहनों के इकलौते भाई थे देवेन, लेकिन उनका असली नाम देवेंदु वर्मा था. ऐसे में जब वो कॉलेज गए तो अपने नाम को एक शॉर्ट कट दे दिया और देवेंदु से बन गए देवेन वर्मा.



लॉ की कर रहे थे पढ़ाई


देवेन बचपन से ही एक्टर बनना चाहते थे लेकिन पिता चाहते थे कि बेटा कानून की पढ़ाई करे. ऐसे में पिता का सपना पूरा करने के लिए देवेन ने लॉ कॉलेज में एडमिशन लिया, लेकिन जल्दी ही वो लॉ से ऊब गए और पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. ऐसे में स्ट्रगल का दौर शुरू हुआ और वो स्टूडियोज के चक्कर लगाने लगे. ऐसे में बीआर चोपड़ा और यश चोपड़ा की नजर उन पर पड़ी. ऐसे में फिल्म 'धर्म पुत्र' से देवेन वर्मा ने डेब्यू किया.


शौक बना नासूर


1967 में देवेन वर्मा प्यार की गिरफ्त में आकर शादी कर बैठे. उनकी बीवी रूपा कोई और नहीं बल्कि दिग्गज कलाकार अशोक कुमार की बेटी हैं. दरअसल देवेन वर्मा को मीठा खाने का बहुत शौक था. ऐसे में कहते हैं कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरा ये शौक एक दिन मुझे बहुत रुलाएगा. धीरे-धीरे उन्हें सीढ़ियां चढ़ने-उतरने, भागने-दौड़ने में दिक्कत होने लगी. हालत इतनी खराब हो गई कि डायबिटीज की वजह से उन्होंने 2001 में फिल्मों से रिटायरमेंट ले ली और एक दिन इसी बीमारी ने उनकी सांसें छीन ली.


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