क्या सुशांत की मौत की स्क्रिप्ट इस तरह लिखी गई थी?

सुशांत सिंह राजपूत की मौत की असली स्क्रिप्ट लिखी थी उसके कातिलों ने लेकिन जून माह की चौदहवी रात के अँधेरे में इस कातिल स्क्रिप्ट का काला पन्ना घुल-मिल कर एक राज़ बन गया. लेकिन अचानक आधी रात की इस चादर पर शक की एक और स्क्रिप्ट का काला साया मंडराया जो कि असली स्क्रिप्ट से काफी मिलता-जुलता था और जाहिर करता था कि ये काली कहानी काफी पुरानी है, और जो हुआ है वह इसका आखिरी पन्ना था..

Written by - Parijat Tripathi | Last Updated : Aug 13, 2020, 04:20 PM IST
    • सबसे पहले आई तिलस्मी हसीना
    • सात साल का रिश्ता तुड़वाया
    • घर पर शुरू हुआ जासूसी नेटवर्क
    • पागल करार देने की तैयारी
    • ब्लैकमेलिंग का एक पैंतरा भी
    • तिजोरी पर तिलस्मी कब्जा
    • फिर एक रोज़ हुई एक खास पार्टी
    • गुनाह का सबूत मिटाने की बनी योजना
    • सातवां अध्याय था कत्ल की रात
क्या सुशांत की मौत की स्क्रिप्ट इस तरह लिखी गई थी?

नई दिल्ली.  सुशांत सिंह राजपूत की हत्या की सच्ची कहानी जिसे मुंबई पुलिस आत्महत्या करार देने के लिए उतावली है अब अपने इन्साफ के मुकाम की तरफ पहुँचने लगी है. सीबीआई गुरूवार 13 अगस्त को सीबीआई को ये जिम्मेदारी देने वाली है. सीबीआई जिस ढंग से इस सारी रहस्य कथा के आवरण को खोलेगी उसकी एक पटकथा हम लोग उसकी मदद के लिए पेश करना चाहेंगे. यहां नीचे एक स्क्रिप्ट हम लिख रहे हैं जो पूरी तरह से फ़िल्मी है लेकिन उसमें छिपे हो सकती हैं सच्चाई की तस्वीरें. हम इस स्क्रिप्ट की पुष्टि नहीं करते किन्तु ये अवश्य कह सकते हैं कि ऐसी ही एक दास्तान सुशांत सिंह राजपूत की ज़िन्दगी का असली अफसाना भी हो सकती है. 

 

एक थी डायन 

बरसों पहले एक फ़िल्मी डायन ने फ़िल्मी दुनिया में प्रवेश किया और उसके बाद उसके तिलस्मी हुस्न के चारों तरफ रहस्य के बहुत से काले साये मंडराने लगे. फिर डायन की कई चेहरों के बाद हुई बात एक पुराने चेहरे के साथ और फिर एक दूर के लक्ष्य पर निशाना लगाने की साजिश को तैयार किया जाने लगा. और देखते ही देखते इस पटकथा के पहले अध्याय को अंजाम भी दिया जाने लगा. एक सजीला नौजवान फ़िल्मी दुनिया में बाहर से आता है और एक के बाद एक जीत के मुकाम हासिल करता है. ये डायन साजिश के पहले अध्याय पर काम करती है और आती है इस नौजवान के करीब हौले हौले. 

सात साल का रिश्ता तुड़वाया 

इश्क बहुत बड़ा जादूगर है भले ही एकतरफा क्यों न हो. एक तरफ साजिश और एक तरफ इश्क इस सजीले नौजवान की ज़िंदगी में बिना आवाज़ दाखिल होता गया और सात साल के पुराने इश्क का दौर पुराना साबित साबित हो गया. नौजवान के दिलो दिमाग पर ही नहीं उसकी ज़िंदगी के हर नक्शे पर इस हसीन धोखे ने अपने दस्तखत करने शुरू कर दिए. और नतीजा जल्द ही सामने आ गया सात साल की मुहब्बत अनाथ हो गई और उस पर काबिज हो गई एक हसीना की साजिशाना मुहब्बत.

 

घर पर शुरू हुआ जासूसी नेटवर्क 

सजीले नौजवान की ज़िंदगी ही बदल दी इस हसीना ने. अपनी मुहब्बत के जाल में ऐसा फंसाया कि उसके घरवालों से उसे दूर कर दिया. उसका घर बदलवा दिया और घरवाले भी बदल दिए. घरवाले इस नौजवान के उसके सभी कर्मचारी ही थे क्योंकि मायानगरी में इस नौजवान को अकेला कर दिया था इस हसीना ने. चाहे वो हाउस मैनेजर हो, बिजिनेस मैनेजर हो, कुक हो, हाउस असिस्टेंट हो, बॉडी गार्ड हों, जिम ट्रेनर हो यहां तक कि जिम भी बदलवा दिया सजीले नौजवान का ताकि कोई करीब न रह जाये और कोई करीबी भी न रह जाए इस हसीन के सिवा. ये था साजिश की पटकथा का दूसरा अध्याय. 

पागल करार देने की तैयारी 

साजिशाना मुहब्बत का अफ़साना आगे बढ़ा और पटकथा के तीसरे अध्याय को शूट करना शुरू किया बिलकुल फ़िल्मी तरीके से इस हसीना ने. हमदर्दी के मीठे बोलों में छुपा हुआ संदेश जानलेवा था. तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है, तुम अपना मानसिक संतुलन खो रहे हो, तुमको मेडिसिन की जरूरत है, तुमको डॉक्टर को दिखाना होगा- इस तरह के शब्दों की रोज़-बरोज़ माला जपने से नौजवान को कभी कभी लगने भी लगा था कि शायद उसे डिप्रेशन है. उसे जिद करके साइकेट्रिस्ट को दिखाया गया जबरन दवाई खिलाना शुरू किया गया. ये थी नौजवान को उसकी ज़िंदगी के आखिरी अध्याय से जोड़ने वाली कड़ी जिसकी तैयारी काफी पहले से शुरू कर दी गई थी.

 

ब्लैकमेलिंग का एक पैंतरा भी 

नौजवान के जो करीबी थे जिन्हें साजिशों की मलिका ने दूर कर दिया था, उनका कहना तो ये भी है कि नौजवान डरता था इस हसीना से. ऐसा लगता है कि हसीना ने उसको डरा कर रखा था. अगर ये सच है तो यह साजिश की पटकथा का चौथा अध्याय था. आज की तारीख में इस कहानी को पढ़ने वाले भी मानते हैं कि हसीना का दिमाग इतना कातिल नहीं हो सकता, इस साजिश की कहानी का रिमोट कहीं दूर किसी के हाथ में है. ब्लैकमेलिंग कई बार साक्ष्यों या सबूतों या गतिविधियों के ही नहीं होते, भावनात्मक भी होते हैं. किन्तु इस हत्या-कथा में दोनों तरह के ही हो सकते हैं ब्लैकमेलिंग के तंतु.  

तिजोरी पर तिलस्मी कब्जा

साजिश की पटकथा का पांचवां अध्याय पर काम चौथे अध्याय को अंजाम देने के साथ ही शुरू कर दिया गया था. सजीले नौजवान की तिजोरी पर बुरी नजर थी हसीना की. और फिर वह कामयाब हो गई अपनी जादूई जालसाजी में. ये जीत साजिशाना मुहब्बत की भी थी और आतंक से भी पैदा हुई थी क्योंकि करोड़ों रुपयों से भरी तिजोरी से पैसे निकालती रही हसीना और करोड़ों रुपये का गबन नौजवान की निगाहों के सामने से गबन करती रही लेकिन वो कुछ न कर सका. मुहब्बत के दिखावे भी कम न हुए. कम्पनी भी डाली साथ मिल के और उसमे हसीना ने अपने कुनबे के लोगों को भी डाल दिया मगर नौजवान कुछ कर न सका.  

 

 

फिर एक रोज़ हुई एक पार्टी 

पार्टियां तो हसीना और नौजवान की ज़िंदगी में रोज़ बरोज़ रंग बिखेरती रहीं. लेकिन एक रोज़ एक पार्टी कहीं और हुई. बड़े बड़े लोग शामिल थे इस पार्टी में राजनीति की दुनिया के भी और फ़िल्मी दुनिया के भी. इस पार्टी में हसीना के कुनबे का एक भाई शामिल बताया गया है जहां एक नवयुवती की हत्या की जाती है और बताया ये भी जाता है कि हत्या के पहले उसके साथ दुराचार भी हुआ था. लेकिन गलती ये हो गई इस नवयुवती से कि उसने न केवल सजीले नौजवान को वहां से फ़ोन कर दिया बल्कि उसने बता भी दिया अपने कातिलों को कि उसने सब कुछ बता दिया है सजीले को. एक बहुमंजिली अट्टालिका से फेंक दिया गया इस नवयुवती को.  और कमाल देखिये कि पुलिस ने तुरंत इसे आत्महत्या कह कर इसकी फ़ाइल क्लोज़ कर दी. 

सबूत मिटा डालने की योजना बनी

सजीला नौजवान गुनाह का सबूत था जो बहुमंजिली अट्टालिका के अंदर भी हुआ और बाहर भी उस नवयुवती की हत्या बन कर. फैसला कर लिया पार्टी के कातिलों ने. हसीना को बताया गया कि खाली करो मैदान. हसीना ने लड़ाई की सजीले नौजवान से और लड़ाई का बहाना लेकर फरार हो गई घर से. आई थी बिना कुछ लिए लेकिन जब वो गई तो बहुत से ज़रूरी दस्तावेज और सामान जो सजीले नौजवान के थे, हसीना के हाथ में थे. अब वो नहीं आएगी वापस, उसने बता दिया था नौजवान को. ये था छठा अध्याय.

 

सातवां अध्याय था कत्ल की रात

चार-पांच दिन के फर्क से कातिलों ने अपनी योजना को अंजाम देने का फैसला कर लिया. और फिर पहुँच गए सजीले नौजवान की रिहाइश वाली इमारत में. रात का वक्त नहीं था वो, आधी रात का वक्त था. बिल्डिंग के सीसीटीवी में कैद हुई कातिलों की तस्वीरें. बिल्डिंग के गार्ड्स भी मिला लिए गए. बिल्डिंग के एक दो बड़े लोग भी नोटों की गड्डियों में तुल गए. आने वाले पांच छह लोग खुल्ले आम ऊपर चले गए, किसी को पता न चला और ऊपर दे दिया गया काम को अंजाम. और फिर अगले दिन देश को पता चला कि सजीले नौजवान ने आत्महत्या कर ली. 

 

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