Sushant death case से ध्यान हटाने के लिए क्या जानबूझ कर कंगना से विवाद बढ़ाया गया?
कंगना से पंगा बढ़ाने के पीछे जो मकसद था, उसे पाने की भरपूर कोशिश की गई. यही वजह है कि सुशांत हत्याकांड से कुछ देर के लिए देश का ध्यान हट गया. हो सकता है आगे यह मामला भी तूल पकड़ ले. जो कि महाराष्ट्र के लिए सत्ताधीशों के लिए और भी अच्छा साबित होगा.
नई दिल्ली. मातोश्री पर दाऊद की धमकी - मातोश्री को बम से उड़ा देंगे - ये वाला बहाना कारगर नहीं रहा तो बड़ी समझदारी के साथ ये कदम उठा दिया और सुशांत के लिए न्याय के शोर से ध्यान हटा दिया. संजय राउत जैसा घिसा हुआ राजनीतिबाज नेता एक अभिनेत्री से वाद-विवाद में यूं ही नहीं उलझ गया था. अब दो-चार दिन या हो सकता है उसके आगे भी कुछ दिन मीडिया में रनौत और राउत की बातें ही होंगी. हो सकता है मामला तूल पकड़ ले, ऐसे में और भी अच्छा, कम से कम मीडिया का ध्यान सुशांत से तो हटेगा और फिर उसके बाद जनता का ध्यान हटने से सुशांत मामले को लेकर उसका गुस्सा भी कुछ शांत हो चुका होगा. बस यही तो चाहिये उनको!
क्या राउत को दी गई थी जिम्मेदारी
लगातार सुशांत को न्याय देने की मांग उठाने वाली कंगना रनौत लगातार बयान दे रही थी पर सीधे सीधे उसके निशाने पर उद्धव ठाकरे या संजय राउत या महाराष्ट्र सरकार नहीं थी बल्कि नेपोटिज़्म और बाहर वाले - अंदर वाले और कंगना का विरोध करने वाले, उनके खिलाफ साजिश करने वाले और बॉलीवुड के नशेबाज- ये सभी थे कंगना के निशाने पर. लेकिन अचानक संजय राउत बीच में मान न मान मैं तेरा मेहमान बन गए. और अचानक कोने से निकल कर कंगना से भिड़ गए.
जान कर 'हरामखोर लड़की' कहा
क़ानून में किसी बाहरी महिला को हरामखोर लड़की कहना कोई गाली नहीं है और ना ही ऐसा कहने पर यह महिला उत्पीड़न अथवा घरेलू हिंसा का कोई मामला बनता है. ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीति का एक बड़ा नेता, या यदि ऐसे कहें तो अधिक समझ में आएगा - प्रदेश सरकार के सर्वोच्च नेताओं में एक नेता एक फिल्म अभिनेत्री से इस तरह वाद-वाद करने लगें और उनको गाली दने लगें तो बड़ा अजीब सा लगता है. पर जिम्मेदारी तो जिम्मेदारी है, उठानी पड़ती है.
प्रमोशन देकर बनाया स्पोक्सपर्सन
जरा सा पीछे मुड़ कर देखिये, एक तरफ तो संजय राउत का कंगना रनौत के साथ वाक-युद्ध चल रहा था और संजय राउत कंगना को भला-बुरा कह रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ उनकी ये अदा महाराष्ट्र सरकार को इतनी भा रही थी कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार ने तुरंत संजय राउत का प्रमोशन कर दिया और उनको पार्टी का प्रमुख स्पोक्सपर्सन नियुक्त कर दिया. ये उपहार था या पारिश्रमिक, ये बात उद्धव और संजय राउत ही बेहतर जान सकते हैं.
ये भी पढ़ें. कहीं 'मातोश्री' भी तो अवैध निर्माण नहीं?