हल्द्वानी: हल्दवानी में बनभूलपुरा व गफूर बस्ती में रेलवे की 78 एकड़ जमीन से 4365 अवैध कच्चे-पक्के भवनों को हटाने के लिए रेलवे, पुलिस व प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है. आरपीएफ व पीएसी की पांच-पांच कंपनियां तैनात हो गई हैं और चार दिन बाद पैरामिल्रिटी फोर्स की 14 कंपनियां भी पहुंच जाएगी.


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रेलवे की 29 एकड़ जमीन पर है अतिक्रमण
हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने की उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एस.ए. नजीर और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा मामले का उल्लेख करने के बाद सुनवाई के लिए स्वीकृति दी है.


मायावती का बयान
वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने मामले पर इंटरनेटमीडिया पर बयान जारी किया है. उन्होंने कहा है कि "उत्तराखंड के हल्द्वानी में बर्फीले मौसम में ही अतिक्रमण हटाने के नाम पर हजारों गरीब व मुस्लिम परिवारों को उजाड़ने का अमानवीय कार्य अति दुखद. सरकार का काम लोगों को बसाना है, न कि उजाड़ना. सरकार इस मामले में जरूर सकारात्मक कदम उठाए."


क्या है पूरा मामला
दरअसल, अतिक्रमण हटाने की यह कवायद 2007 में हो गई थी लेकिन तब रेलवे अपनी भूमि खाली नहीं करा सका था. अब नैनीताल हाई कोर्ट के सख्त आदेश के चलते 16 साल बाद बदले हालात में अतिक्रमण के बढ़ चुके दायरे को आठ जनवरी के बाद ध्वस्त करने की तैयारी हो चुकी है.
हालांकि स्थानीय लोग एवं कुछ कांग्रेस व सपा आदि राजनीतिक दलों की ओर से इस मुद्दे पर राजनीति भी तेज हो चुकी है. मामले में हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश व अन्य राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं.


 4365 परिवार अतिक्रणकारी माने गए हैं 
हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले रविशंकर जोशी भी सर्वोच्च न्यायालय में कैविएट दाखिल कर चुके हैं. अब सभी की निगाह सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर है.
हल्द्वानी के बनभूलपुरा व गफूर बस्ती में 4365 परिवार अतिक्रणकारी माने गए हैं और इन्हीं को हटाया जाना है. 2007 में अतिक्रमण हटाने पर बवाल हो गया था. तब इस मुद्दे पर राजनीति हावी होने के साथ-साथ मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया था. उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया. इधर, 2013 में हाई कोर्ट में हल्द्वानी के गौलापार निवासी रविशंकर जोशी ने जनहित याचिका दायर की. इस बीच याचिका में संशोधन के साथ चली सुनवाई के बाद 27 दिसंबर को हाई कोर्ट की खंडपीठ ने अतिक्रमण हटाने संबंधी सख्त आदेश दिए हैं. इसी क्रम में इज्जतनगर मंडल रेलवे, नैनीताल जिला प्रशासन व पुलिस व्यापक तैयारियों में जुटी है.


रेलवे ने सार्वजनिक नोटिस जारी किया
एक जनवरी को रेलवे ने सार्वजनिक नोटिस और दो जनवरी को मुनादी कराते हुए एक सप्ताह में सभी अतिक्रमणकारियों को कब्जा हटा लेने की चेतावनी दे दी है. इधर, अन्यत्र बसाए जाने की मांग व अतिक्रमण हटाने के विरोध में स्थानीय लोग लगातार धरना, प्रदर्शन और कैंडल मार्च भी निकाल रहे हैं. कांग्रेस, सपा एवं एआइएमआइएम समेत कई संगठन सभाएं कर रहे हैं. स्थानीय महिलाएं व बच्चों के माध्यम से मुद्दे उठाते हुए सड़कों पर दुआ व नमाज अता की जा रही है. बनभूलपुरा व गफूर बस्ती मुस्लिम बहुल क्षेत्र हैं लेकिन अतिक्रमण की जद में सिर्फ यही समुदाय नहीं है. 35 हिंदू परिवार भी अतिक्रमणकारियों में शामिल हैं. सभी लोग घरों को बचाने के लिए राज्य सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. अतिक्रमण वाले क्षेत्रों में लोगों के घरों का आकलन व गतिविधियों की निगरानी एलआइयू कर रही हैं.

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