नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) के करोड़ों रुपये के भर्ती घोटाले से जुड़े मामले में एक विशेष लोक धन शोधन अधिनियम अदालत (पीएमएलए) ने शुक्रवार को राज्य के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.


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18 अगस्त को एक ही कोर्ट में पेश होंगे पार्थ और अर्पिता


अर्पिता और पार्थ दोनों को 18 अगस्त को एक ही कोर्ट में पेश किया जाएगा. सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील के दलील दी कि चटर्जी को एक पूर्व मंत्री और सत्तारूढ़ दल के दिग्गज नेता के तौर पर उनके 'प्रभावशाली कनेक्शन' के कारण जमानत नहीं दी जानी चाहिए.


हालांकि चटर्जी के वकील ने प्रवर्तन निदेशालय के वकील की इस दलील पर सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने तर्क दिया कि चटर्जी को पहले ही उनके मंत्री पद से हटा दिया गया है, इसलिए पार्टी विभागों और 'प्रभावशाली कनेक्शन' का तर्क वास्तव में जमीनी स्तर पर कोई मायने नहीं रखता है.


पार्ट चटर्जी के वकील ने क्या-क्या तर्क दिया?


वकील ने तर्क दिया, 'मेरे मुवक्किल एक विधायक के रूप में इस्तीफा देने के लिए भी तैयार हैं. वह किसी भी परिस्थिति में फरार नहीं होंगे. उनके आवास से कोई संपत्ति की रिकवरी नहीं की गई है और इसलिए, उनकी उम्र के साथ-साथ विभिन्न चिकित्सा जटिलताओं को देखते हुए उन्हें जमानत दे दी जानी चाहिए.'


उन्होंने यह भी दावा किया कि चटर्जी और मुखर्जी द्वारा संयुक्त रूप से रखी गई संपत्तियों या बीमा पॉलिसियों के बारे में विभिन्न दस्तावेज जाली थे.


हालांकि, ईडी के वकील ने तर्क दिया कि केंद्रीय एजेंसी की हिरासत में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान, चटर्जी पूरी तरह से असहयोग के मूड में थे और इसलिए, उनसे और पूछताछ करने की आवश्यकता है. इसने अदालत की अनुमति भी मांगी, ताकि केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी सुधार गृह का दौरा कर सकें, जहां चटर्जी को रखा जाएगा और वहां उनसे पूछताछ की जाएगी.


अर्पिता के वकील ने जमानत याचिका पेश नहीं की


दूसरी ओर, मुखर्जी के वकील ने उनके मुवक्किल के लिए कोई जमानत याचिका पेश नहीं की. इसके बजाय, उन्होंने उनके लिए जेल में एक श्रेणी की मांग की, जहां मुखर्जी को किसी भी खतरे से बचने के लिए रखे जाने पर जोर दिया.


यहां तक कि ईडी के वकील ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी के पास भी ऐसी ही जानकारी है. ईडी के वकील ने तर्क दिया, 'अदालत से मेरी अपील है कि जेल में अर्पिता मुखर्जी को जो खाना और तरल परोसा जाएगा, उसकी पहले जांच की जानी चाहिए और फिर परोसा जाना चाहिए.'


इसके बाद विशेष अदालत ने सभी संबंधित पक्षों को सुनने के बाद चटर्जी की जमानत अर्जी खारिज कर दी और दोनों को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में रखने का आदेश दिया.


वहीं दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव और पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि चटर्जी को जेल में कोई विशेष दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए और अन्य कैदियों के समान व्यवहार किया जाना चाहिए. घोष ने कहा, 'जेल अस्पताल नहीं, बल्कि उन्हें एक साधारण जेल की कोठरी आवंटित की जानी चाहिए. अगर मुझे पता चलता है कि पार्थ चटर्जी को जेल में विशेष दर्जा या सुविधाएं मिल रही हैं, तो मैं फिर से विरोध करूंगा.'


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