नई दिल्ली: इस वक्त दिल्ली, मुंबई, नोएडा, गाजियाबाद समेत देश के कई शहर भयानक वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट, सरकार और आम लोग सभी ये सोच रहे हैं कि यह प्रदूषण कम कैसे होगा. इसी बीच आईआईटी बॉम्बे के छात्रों की एक खोज ने नई उम्मीदें जगाई हैं. इस खोज के लिए आईआईटी बॉम्बे को एक पुरस्कार भी मिला है.
क्या है यह नई प्रक्रिया
दरअसल IIT बॉम्बे के छात्रों और प्रोफेसरों की एक टीम ने हवा से कार्बन डाइऑक्साइड और हानिकारक गैसों को हटाने के लिए एक नई प्रक्रिया की खोज की है. पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसर विक्रम विशाल ने बताया, नई खोजी गई प्रक्रिया में, उत्सर्जित गैसों को वातावरण से स्थायी रूप से हटा दिया जाता है. इसमें उद्योगों से निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को शोषित किया जाता है और उसे उपयोगी लवण (कार्बोनेट साल्ट) में परिवर्तित कर दिया जाता है. इस साल्ट का फिर से उपयोग संभव है.
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एलोन मस्क फाउंडेशन ने दिया अवॉर्ड
पीएचडी छात्र श्रीनाथ अय्यर और अन्वेषा बनर्जी, स्नातक छात्र सृष्टि भामारे, और जूनियर रिसर्च फेलो शुभम कुमार उस टीम का हिस्सा थे जिसने एलन मस्क फाउंडेशन द्वारा समर्थित XPRIZE प्रतियोगिता जीती है. इसमें उन्हें 250,000 अमरीकी डालर (लगभग 1.85 करोड़ रुपये) का पुरस्कार मिला है.
इस प्रतियोगिता में कुल 195 टीमों ने भाग लिया, जिससे IIT बॉम्बे विजेता टीम के लिए उपलब्धि का महत्व और भी बढ़ गया. विजेताओं की घोषणा गुरुवार को ग्लासगो सस्टेनेबल इनोवेशन फोरम में COP26 शिखर सम्मेलन में की गई.
अप्रैल में घोषित हुआ था अवॉर्ड
XPRIZE और मस्क फाउंडेशन ने इस साल अप्रैल में किसी भी व्यक्ति के लिए US$100 मिलियन (लगभग ₹745 करोड़) के अनुदान की घोषणा की, जो वातावरण, महासागर, भूमि आदि से कार्बन हटाने के लिए स्थायी तकनीक को विकसित कर सकता है. इसमें से US$5 मिलियन (लगभग ₹37 करोड़) एक छात्र पुरस्कार था जहां प्रतिभागियों को दो श्रेणियों में यह अवॉर्ड दिया गया.
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