नई दिल्ली: असम सरकार (Government of Assam) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह 2026 तक बाल विवाह (Child Marriage) की प्रथा को पूरी तरह खत्म करने के लिए एक 'राज्यव्यापी मिशन' (Statewide Mission) शुरू करेगी. इस मिशन (Mission) पर कुल 200 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
बाल विवाह पर अंकुश लगाना है सरकार का लक्ष्य
असम की वित्त मंत्री अजंता नियोग ने 2023-24 का बजट पेश करते हुए कहा कि राज्य में बाल विवाह पर अंकुश लगाना न केवल एक जरूरत है, बल्कि यह बेहद अत्यावश्यक भी है, यही कारण है कि सरकार ने बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए)-2006 के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ एक जन अभियान चलाया है.
उन्होंने कहा, 'इस दिशा में प्रयासों को जारी रखते हुए हमारी सरकार 2026 के अंत तक असम को बाल विवाह की घटनाओं से मुक्त बनाने के लक्ष्य के साथ राज्यव्यापी मिशन शुरू करने को प्रतिबद्ध है. यह नया मिशन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चलाया जाएगा, जिसके लिए 200 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है.'
बाल विवाह की प्रथा से जुड़ी कुछ जरूरी बातें
आपको बता दें, 15 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने संबोधन में बेटियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का जिक्र किया था. बाल विवाह देश के माथे पर ऐसा कलंक है, जो हमेशा से भारत को अंदर ही अंदर खोखला करता रहा है. ऐसे में इसके खिलाफ मुहिम शुरू करना एक बेहतर कदम होगा.
इस प्रथा में दोनों व्यक्ति (लड़का एवं लड़की) उनकी विवाह योग्य आयु होने तक नहीं मिलते, जबकि उनका विवाह सम्पन्न कराया जाता है. सवाल ये भी उठता है कि बाल विवाह के कारण क्या हैं. गरीबी, लड़कियों की शिक्षा का निचला स्तर, लड़कियों को कम रुतबा दिया जाना एवं उन्हें आर्थिक बोझ समझना और सामाजिक प्रथाएं एवं परम्पराएं...
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