मरीजों की संख्या बढ़ रही है, तो क्या फिर देश में लॉकडाउन? जानिए जवाब

#HindustanEVimarsh में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने मोदी सरकार पार्ट-2.0 के एक साल के कामकाज और उपलब्धियों को गिनाया. उन्होंने इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए ये उपाय बताया..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 12, 2020, 04:44 PM IST
    • देश की इकोनॉमी और उम्मीदों को नये विजन की रफ्तार
    • देश के सबसे बड़े e-मंच पर विमर्श डायरेक्ट विद मिनिस्टर
    • केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे से सीधी बात
मरीजों की संख्या बढ़ रही है, तो क्या फिर देश में लॉकडाउन? जानिए जवाब

नई दिल्ली: मोदी सरकार 2.0 के एक साल पर क्या है देश का हाल? इसी सवाल का जवाब जानने के लिए ज़ी हिन्दुस्तान ने देश के सबसे बड़े ई-मंच पर केंद्रीय मंत्रियों से बातचीत की. इस सबसे बड़े e-मंच पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने देश के विकास का रोडमैप बताया. 

'ई-विमर्श: डायरेक्ट विद मिनिस्टर' में स्वास्थ्य राज्य मंत्री

ज़ी हिन्दुस्तान के ई-विमर्श डायरेक्ट विद मिनिस्टर में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के सामने बेबाकी से सवालों को रखा गया, जिसका क्या जवाब मिला आपको सिलसिलेवार तरीके से समझाते हैं.

सवाल: जिस तरीके से पूरे देश भर में लॉकडाउन चार चरणों में लगाया गया और उसके बाद जब पांचवा चरण आया तो इसे अनलॉक वन का नाम दे दिया गया यानी की तस्वीर बिल्कुल स्पष्ट हो गई कि धीरे-धीरे अब हम हर चीज खोल रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती अगर किसी के पास है, भूमिका बढ़ गई है तो वह स्वास्थ्य महकमे की. कैसे स्थिति को नियंत्रण में रखा जाएगा क्योंकि कोरोना के मामले दिनों दिन बढ़ते चले जा रहे हैं?

जवाब: आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी जी के नेतृत्व एवं उनके कुशल मार्गदर्शन में दूरदर्शी एवं महत्वपूर्ण निर्णय समय पर लिया गया. निश्चित तौर पर कोरोना वायरस को नियंत्रित रखने में हमें बहुत मदद मिली है और पूरे देश को एकजुट किया गया. यह सबसे बड़ी बात है कि पूरे देश ने एक साथ लड़ाई लड़ने का संकल्प लिया और उसके लिए प्रधानमंत्री जी ने जो प्रारंभ में अनेक कार्यक्रम चाहे वह डॉक्टर्स के लिए चिकित्सा कर्मियों के लिए घंटी बजाने का हो या दीप जलाने का हो. यह कोरोना वॉरियर्स को भी मजबूत बनाना और देश को भी एकजुट करना.

"जान भी है और जहान भी दोनों को प्राथमिकता"

यह जो उनकी दूरदृष्टि रही बहुत सफल रही और विशेषज्ञों ने भी इस निर्णय को सराहा है. प्रधानमंत्री ने जैसा कहा कि जान है तो जहान है तो जान भी है और जहान भी दोनों को प्राथमिकता देते हुए हम सभी को आगे बढ़ना है. और हम यह कह सकते हैं कि जनता से भी लगातार प्रधानमंत्री की अपील करते रहे हैं कि जन है तो जग है तो जन से जेड तक ले जाना है. जान है तो जहान है तो निश्चित रूप से हम सब लोगों को कोरोना के इस वैश्विक महामारी में और भी सचेत रहने की जरूरत है.

तो क्या फिर से देश में लॉकडाउन?

सवाल: इस अनलॉक के दौरान कोरोना के कैसे बढ़ते हैं मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा होता है तो क्या फिर हम लॉकडाउन की तरफ रुख करेंगे?

जवाब: देखिए लॉकडाउन 4 के बाद प्रधानमंत्री जी ने देश से राज्यों से भी राज्य सरकारों से भी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अनेक बार वार्ता की. फिर जो सलाह प्राप्त हुई उस आधार पर सारे काम हो रहे हैं. और राज्यों को भी अधिकार दिए गए हैं. लॉकडाउन 4 में आपने देखा जो गृह मंत्रालय ने निर्देश जारी किए और उसी के के आधार पर हम सारे कार्य कर रहे हैं.

जहां तक कोरोना पॉजिटिव मामले बढ़े हैं निश्चित रूप से हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती है लेकिन फिर भी हम दुनिया में बेहतर कर रहे हैं. इसमें भी कोई दो मत नही जब संख्या बढ़ती है तो लोगों को मन में लगता है कि निश्चित रूप से काफी आगे बढ़ा है लेकिन इसके लिए घबराने की जरूरत नहीं है, पैनिक करने की जरूरत नहीं है. दूसरे देशों की तुलना में ज्यादा अच्छा हम कर रहे हैं. हमारे लोगों का इम्यून सिस्टम, रोग प्रतिरोधक क्षमता जो है वो काफी अच्छा है जिसके कारण लोग हम कह सकते हैं कि जल्दी ठीक होते हैं.

'मंत्रालय लगातार राज्यों के संपर्क में है'

80 परसेंट से ज्यादा लोग तो ऐसे हैं जिनको अगर पूरी तरह से कहा जाए कि उनको पता भी नहीं चलता. हल्का-फुल्का कभी उनको बुखार आ गया या फिर ना आए और 10:15 पर्सेंट ही ऐसे हैं जिनको थोड़ा बहुत सर्दी खांसी या बुखार है. यानी कि एसिंप्टोमेटिक लोग 80% से ज्यादा हैं. 10%...15% लोग ऐसे हैं जो थोड़ी बहुत तकलीफ महसूस करते हैं और 10 से 5% से नीचे आ से लोग हैं लगभग 4% जिनको ऑक्सीजन सिलेंडर के आईसीयू में जाने की जरूरत होती है और बहुत कम लोग हैं 0.48% ऐसे लोग हैं जिनको वेंटिलेटर की जरूरत होती है. तो इसके कारण हमने पूरी तरह से जागरूक होकर के और सतर्कता से ध्यान दिया है. मंत्रालय इस पर राज्यों से राज्य सरकारों से लगातार संपर्क में है.

आत्मनिर्भर भारत के लिए क्या है रणनीति?

सवाल: भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अब हमें काम करना है. तो स्वास्थ्य मंत्रालय इस दिशा में कितना सहयोग करता नजर आ रहा है और आगे की राह आप किस तरीके से देख रहे हैं? हर विभाग की जिम्मेदारियां बढ़ जाती है किस तरीके से वो काम करेगा? आप किस दिशा में आगे काम करेंगे आत्मनिर्भर बनाने के लिए?

जवाब: एक योग्य निर्णय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हमने लिया. निश्चित रूप में आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रधानमंत्री जी ने 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया. प्रारंभिक दौर में हमने 1,70,000 करोड़ का जो गरीबों के लिए क्योंकि हमारी सरकार गरीबों के लिए समर्पित है. हमने गरीब कल्याण योजना के माध्यम से अकाउंट में पैसे भेजने का काम किया. चाहे दिव्यांग हो विधवा हो लाचार हो और जन धन योजना से ऐसे लोगों को अग्रिम राशि भेजी गई. आत्मनिर्भर भारत का जो स्वदेशी पन है जो स्वावलंबी भारत हमें बनाना है.

आयुष्मान भारत योजना गेमचेंजर साबित हो रहा

महात्मा गांधी की जो सोच रही है उसी के आधार पर हमारे प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का ऐलान किया, जन-जन में एक भारत, श्रेष्ठभारत बनाने का, सशक्त भारत श्रेष्ठ भारत, स्वच्छ भारत और स्वावलंबी भारत बनाने की दृष्टि में एक महत्वपूर्ण कदम है. प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत देश और दुनिया के लिए बड़ा उदाहरण और जब प्रधानमंत्री जी ने आदेश दिया और उसके बाद हमारे विद्वान वित्त मंत्री जो उस समय थे अरुण जेटली जी रहे थे. उन्होंने कहा था कि यह गेम चेंजर का काम करेगा और सचमुच आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री का जन आरोग्य योजना जो देश भर में आज गेमचेन्जर का काम कर रही है.

एक करोड़ से ज्यादा लोगों का हम लोगों ने आज इलाज किया यहां तक कि आपको जानकारी होनी चाहिए कि हमने उस इलाज के दौरान ऐसे लोगों को जो गरीब लोग हैं 75%-80% लोग गांव के थे. और जिनके उचित चिकित्सा की जरूरत थी उसको भी हमने चिकित्सा देने का काम किया. निश्चित रूप से 12 करोड़ से भी ज्यादा हमने आयुष्मान कार्ड गोल्डन कार्ड बनाकर के 21000 से ज्यादा लगभग 22000 सरकारी और प्राइवेट अस्पताल आयुष्मान भारत के माध्यम से देश के लगभग सभी राज्यों को लाभ दिया.

सवाल: कोरोना महामारी हिंदुस्तान में फैली, उस वक्त आपने एक बयान दिया था धूप को लेकर के कि अगर विटामिन डी आपकी बॉडी नहीं पर्याप्त मात्रा में है, तो काफी हद तक आप इस बीमारी को मात दे सकते हैं. आपका जो इम्यून सिस्टम है वह भी सट्रॉन्ग रहेगा इससे आपको क्षमता मिलेगी. कुछ लोगों ने इसका विरोध किया था, लेकिन वक्त के साथ सिद्ध हो गया कि विटामिन डी का आपके शरीर में होना, उसको मेंटेन रखना बड़ा जरूरी है. हम कह सकते हैं कि जो हमारा पारंपरिक ज्ञान है, उससे हमें चुनौतियों से लड़ने में सफलता मिलती है.

जवाब: जब लोगों ने मुझसे पूछा कि आप क्या करते हैं अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए तो मैंने उस समय कहा था कि देखो इम्यूनिटी शरीर के अंदर जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता है. उसको बढ़ाने के लिए प्रतिदिन मैंने अपने बारे में भी कहा कि मैं प्रतिदिन योग प्राणायाम लगातार करता हूं. जो हम कह सकते हैं कि योग, व्यायाम, सूर्य नमस्कार आदि इस को मजबूत बनाने के लिए जरूरी है. इससे भी हमारा इम्यून सिस्टम अच्छा होता है. मैंने कहा था क्योंकि मुझे वर्षों पूर्व विटामिन-डी की कमी थी और मुझे डॉक्टर ने सलाह दी थी कि आप धूप सेको और मैंने धूप सेकने का काम किया, तो विटामिन डी हमारे शरीर में काफी अच्छा है और अभी हमने जांच कराई थी.

मैंने यह भी कहा था कि धूप अगर हो सके तो 10 मिनट तक आपके शरीर के अंदर विटामिन डी होने से एक क्षमता बढ़ेगी. कहीं भी आपके शरीर में जो रोग प्रतिरोधक क्षमता है निश्चित रूप से बढ़ेगी. यह बात कही थी लेकिन कुछ लोगों को रास नहीं आई और उसी समय आपकी जानकारी के लिए यह खबर अमेरिका में भी पहुंच गई और वहां से उन्होंने इसको कॉन्टेक्ट किया, ऐसे लोगों को बेबुनियाद ठहराया जो लोग विरोध कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भाई निश्चित रूप से 1918 में जब इन्फ्लूएंजा बुखार बड़े पैमाने पर फैला था. उस समय भी ओपन एयर में हॉस्पिटल बने थे. वह सूरज की रोशनी ले रहे थे ओपन एयर के अंदर और अस्पतालों में और ओपन एयर में जो लोग इलाज कर रहे थे वह ज्यादातर बच रहे थे. 

जो आयुर्वेद का हमारा पारंपरिक दवा है चवनप्राश हो, गर्म पानी पीना हो तुलसी हो तो यह जो तो आयुष मंत्रालय का संदेश भी हम मानते रहे. उनका एडवाइजरी जारी होता रहा उसका सेवन करने से हमें लाभ मिल रहा है.

सवाल: बिल्कुल एक तरफ जहां चीन के वुहान शहर से यह महामारी फैली, चीन अब कटघरे में है. एक संकट अब चीन पर यह आ पड़ा है कि जितने भी चाहे ब्रिटेन की कंपनी हो, अमेरिका की हो या विभिन्न देशों की कंपनियां हों. वहां से अपना कारोबार समेट कर के दूसरे देशों की तरफ रुख कर रहे हैं. अगर भारत की बात करें तो भारत में आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं, इसके लिए हम कितना तैयार हैं?

जवाब: चीन से कई कंपनियों को नफरत हो रही है. दुनिया भर के लोगों को ब्रिटेन, अमेरिका या फिर कई देशों ने उनके चीजों को ठुकराया है. क्योंकि वह चीजें खरी नहीं है जो अंतरराष्ट्रीय पैमाने पर खरी उतरनी चाहिए. तो लोगों को उसके कारण से कई देशों ने इसका विरोध भी क्या है. आपने इस बात को देखा है और भारत सरकार ने, हम लोगों ने पहले दौर में हमारे पास पीपीई किट्स बनाने वाले नहीं थे. कुछ दिनों के लिए विदेशों से चीन से हमने सहारा लिया था. लेकिन लोग अपने व्यवसाय उद्योग में लगे हुए थे. टेक्सटाइल मंत्रालय के सहयोग से पीपीई किट्स बनाने वाले लोगों को लिया गया.

आपने देखा कि डीआरडीओ आज पूरे 600 से ज्यादा पीपीई किट्स हमारे देश में बनाने वाले तैयार हो गए हैं. हम यह कह सकते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत जिस क्वालिटी और क्वांटिटी में काम करेगा. दूसरे देशों में भी निर्यात करने की आवश्यकता होगी, तो उस आवश्यकता की पूर्ति करते हुए निर्यात भी करने की स्थिति में हम हैं.

आज लगभग साढ़े तीन लाख पीपीई किट्स किस देश में बन रही है और हम लगातार लोगों को लगातार भेज रहे हैं. आपको मास्क भेज रहे हैं कुछ मास्क हम बाहर से मंगा रहे हैं और आज हम मास्क तैयार कर रहे हैं. स्वदेशीपन का भाव जो प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हमें लोकल चीजों को वोकल और ग्लोबल, तो वोकल से लोकल के लिए हम स्थानीय स्वदेशीपन और स्वावलंबी करके आत्मनिर्भर बनकर के और आत्मविश्वास रखते हैं.

सवाल: मोदी सरकार पार्ट-2 का 1 साल पूरा हो चुका है. ऐसे में कई सारे चुनौतियां इस देश में आए हैं. जिसमें से एक चुनौती का सामना हम इस वक्त कर भी रहे हैं. लेकिन चाहे आर्टिकल 370 की हम बात करें, विभिन्न मुद्दों की बात करें इससे सरकार ने पार पा लिया है. आपके मंत्रालय की भी अगर हम बात करें तो बीते 1 साल में क्या कुछ अहम फैसले और उपलब्धियां हासिल हुई?

जवाब: स्वास्थ्य मंत्रालय की सबसे बड़ी उपलब्धि आयुष्मान भारत जिसके बारे में मैंने पहले भी ज़िक्र किया. मैं प्रधानमंत्री जी और तत्कालीन विदेश मंत्री जो हमारी सुषमा बहन जी थी और उनके नेतृत्व में हमको विदेश जाने का मौका मिला था. तुबालु देश हम गए थे, एक छोटा सा देश फिजी के बगल में है. उस समय आयुष्मान भारत भारत में शुरू भी नहीं हुआ था. केवल भाषण में बता थी आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आयुष्मान भारत देश और दुनिया में जो सबसे हम कह सकते हैं कि बेहतरीन और इसका लोगों में इतना विश्वास जागृत हुआ कि तुबालु के लोग जो 12000 का देश था वहां के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मुझसे कहे कि भाई हमें भी कुछ आयुष्मान भारत का टुकड़ा प्रधानमंत्री जी से दिलाईये.

हमने मेडिकल कॉलेज भी नई संख्या में बनाएं सरकारी मेडिकल कॉलेज 75 लगभग बनाए हैं. ऐसे क्षेत्रों में जहां किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं मिलती है. अस्पतालों को अपग्रेड करके एम्स की संख्या बढ़ाई. जहां देश के अंदर पांच थे आज बढ़कर के 22 हो गए हैं. उसके लिए काम शुरू हो गया है.

अंत में अश्विनी चौबे ने ज़ी हिन्दुस्तान से कहा कि "हम लोगों ने कोरोना वॉरियर्स को कोई आफत ना हो, किसी प्रकार की दिक्कत ना हो तो कानून में भी हम लोगों ने परिवर्तन किया और बहुत कड़े कानून भी हमने लाने का काम किया. हमें पूरा विश्वास है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जो मेक इन इंडिया की बात की, स्टार्टअप इंडिया की बात की, डिजिटल इंडिया के बात की जिससे पूरे देश में कुछ फायदा हुआ. आज कोविड के मामलों में पूरे देश में सेमिनार कर रहे हैं. तो निश्चित रूप से आज इन सब को बल प्रदान हुआ है और जो बात प्रधानमंत्री जी ने 2014 में कही थी, स्वच्छता के बारे में तो कोविड में हमें देखने को मिल रही है. स्वच्छ भारत बनाने का जो हमारा एक संकल्प है, इस संकल्प को हम जल्द जल्द पूरा करने में समर्थ हो पाएंगे ऐसा हमारा विश्वास है.

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