नई दिल्ली. लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को लेकर उठे विवाद के बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार को सवाल किया कि बीजेपी के सांसद भर्तृहरि महताब को उनके पार्टी सहयोगी रमेश चंदप्पा जिगाजिनागी के बजाय इस पद के लिए क्यों चुना गया? जयराम रमेश ने कहा कि जिगाजिनागी भी लगातार सातवीं बार सांसद निर्वाचित हुए हैं. कांग्रेस ने सरकार पर आठ बार लोकसभा सदस्य रहे कोडिकुन्निल सुरेश के स्थान पर सात बार सांसद रहे बीजेपी के भर्तृहरि महताब को ‘प्रोटेम स्पीकर’ चुनकर 'संसदीय मानदंडों को नष्ट करने' का आरोप लगाया है.
जयराम रमेश ने क्या कहा
इसे लेकर कांग्रेस ने कहा है कि परंपरा के अनुसार, सबसे वरिष्ठ सांसद सुरेश को इस पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए था. कांग्रेस के सीनियर लीडर जयराम रमेश ने रविवार को 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा-कांग्रेस के कोडिकुन्निल सुरेश, जो अपने आठवें कार्यकाल में हैं, को प्रोटेम स्पीकर होना चाहिए था. लेकिन बीजेपी के भर्तृहरि महताब को इस आधार पर नियुक्त किया गया है कि उनका दावा अधिक मजबूत है, क्योंकि यह उनका लगातार सातवां कार्यकाल है.
Kodikunnil Suresh of the INC, who is in his 8th term, should have been Speaker Protem.
But Bhartruhari Mahtab of the BJP has been appointed on the flimsy grounds that he has greater claim because this is his 7th consecutive term.
If this argument is adopted, then why has… pic.twitter.com/teOTgLCAHP
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 23, 2024
रमेश ने सवाल किया-अगर यह तर्क अपनाया जाता है, तो बीजेपी सांसद रमेश चंदप्पा जिगाजिनागी के नाम पर विचार क्यों नहीं किया गया? जो लगातार सातवीं बार सांसद हैं, क्या इसलिए कि वह सुरेश की तरह दलित हैं? जयराम रमेश के इस सवाल पर बीजेपी ने भी प्रतिक्रिया दी है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने रमेश के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस को सुरेश को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहिए.
बीजेपी ने भी दिया जवाब
पूनावाला ने कहा-अगर आप कोडिकुन्निल सुरेश के राजनीतिक करियर को लेकर इतने चिंतित हैं, तो मैं आपसे आग्रह करूंगा कि उन्हें विपक्ष का नेता और 2026 के केरल चुनाव के लिए यूडीएफ का मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाए. एक अस्थायी पद के लिए इतना तनाव क्यों? संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा है कि महताब को इस पद के लिए इसलिए चुना गया है क्योंकि संसद के निचले सदन के सदस्य के तौर पर उनका कार्यकाल लगातार सबसे लंबा है. उन्होंने कहा कि हालांकि सुरेश आठ बार के सांसद हैं लेकिन वह 1998 और 2004 में चुनाव हार गए थे, इसलिए वह लगातार सदस्य नहीं रहे हैं.
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