पटना: बिहार में सभी की निगाहें अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जद-यू) और मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) द्वारा अपने-अपने विधायकों की बुलाई गई बैठकों पर है, जिससे राज्य में राजनीतिक बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं. सोमवार की देर शाम तक व्यस्त राजनीतिक गहमागहमी जारी रही और दोनों पार्टियों में इससे अवगत लोगों ने जोर देकर कहा कि इन दलों का पुनर्मिलन बैठकों के एजेंडे का हिस्सा नहीं है. 


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आरसीपी सिंह के इस्तीफे पर ये बोले नीतीश के विश्वासपात्र


नीतीश के विश्वासपात्र माने जाने वाले राज्य के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मुझे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में संकट नहीं दिख रहा है. मुख्यमंत्री ने अपना जनता दरबार कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई मंत्री मौजूद थे. 


जदयू के विधायकों की बैठक एक वरिष्ठ नेता के पार्टी से बाहर निकलने के नतीजों पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई है.’’ बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष चौधरी के पास वर्तमान में राज्य मंत्रिमंडल में संसदीय मामलों का विभाग है. चौधरी ने कहा, ‘‘वरिष्ठ नेता ने पार्टी में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान कई सदस्यों के साथ संबंध बनाए होंगे. अब जबकि उनसे स्पष्टीकरण मांगे जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया है तो यह जानने की जरूरत महसूस की जा रही है कि अन्य वरिष्ठ नेता इस प्रकरण को कैसे देखते हैं. कल की बैठक उन्हें इसके लिए एक अवसर प्रदान करेगी.’’ 


नए सिरे से गठजोड़ पर राजद ने तोड़ी चुप्पी


आरसीपी सिंह लगभग तीन दशक तक नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी रहे हैं. बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने भी नीतीश कुमार के साथ नए सिरे से गठजोड़ के बारे में लगातार मीडिया की अटकलों पर नाराजगी व्यक्त की और कहा, ‘‘हमारी ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है और न ही हमें ऐसा कोई प्रस्ताव मिला है.’’ 


राजद के विधायकों की मंगलावार को प्रस्तावित बैठक के बारे में उन्होंने कहा कि हमारी कल की बैठक राजग में खींचतान को लेकर नहीं है. यह बहुत पहले निर्धारित किया गया था और बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव पार्टी विधायकों के साथ आमने-सामने बातचीत करना चाहते हैं जिनमें से कई पार्टी के सदस्यता अभियान को चलाने में ढिलाई बरत रहे हैं, जो संगठन को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है. 


इस बीच, पार्टी द्वारा मीडिया के साथ साझा किए गए एक संचार में यह भी कहा कि राजद के संस्थापक अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले तेजस्वी यादव को राजद की ओर से सभी निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया गया है और पार्टी के अन्य साथी द्वारा प्रसारित सभी विचारों को उनकी व्यक्तिगत राय माना जाएगा. पार्टी नेतृत्व से प्राधिकृत राय ही दल का रूख होगा. 


बिहार भाजपा ने साधी चुप्पी


बिहार में राजनीतिक बदलाव की अटकलों के बीच भाजपा की राज्य इकाई की ओर से कोई प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आयी है. देर शाम पार्टी नेताओं ने उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के आवास पर बंद कमरों में हालांकि मुलाकात की, पर क्या नतीजे रहे इस पर कोई भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं दिखा. 


कांग्रेस ने किया जदयू को समर्थन का ऐलान


राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस की प्रदेश इकाई ने राज्य में राजनीतिक बदलाव की अटकलों के बीच एक कदम आगे बढ़ते हुए नीतीश के भाजपा से नाता तोड़ लेने की स्थिति में बिना शर्त उनका समर्थन करने का एकतरफा एलान कर दिया है. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) सचिव और पार्टी विधायक शकील अहमद खान ने कहा, ‘‘सभी पार्टी विधायकों ने सर्वसम्मति से नीतीश के भाजपा से नाता तोड़ने की स्थिति में अस्तित्व में आने वाले नए समीकरण का समर्थन करने का संकल्प लिया है.’’ 


एआईसीसी के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास प्रदेश के एक निर्धारित दौरे पर हैं. उन्होंने विधायक दल की बैठक से पहले इसी तरह की भावनाओं को व्यक्त किया पर जब उनसे पूछा गया कि क्या नीतीश ने सोनिया गांधी से फोन पर बात की है और 11 अगस्त को उनसे मिलने का समय दिए जाने की मांग की है, इस पर उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्हें पता नहीं है. 1990 के दशक से एक-दूसरे की सहयोगी रही जदयू और भाजपा की हाल के दिनों में अग्निपथ योजना, जाति जनगणना, जनसंख्या कानून और लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध जैसे मुद्दों पर अलग-अलग राय रही है. हालांकि, जदयू ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में राजग के उम्मीदवारों का समर्थन किया, लेकिन नीतीश कुमार की इनसे संबंधित कई कार्यक्रमों में अनुपस्थिति और रविवार को नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होने के उनके फैसले के साथ-साथ जदयू और भाजपा के बीच राजनीतिक गतिरोध की अटकलों के बीच वे अपनी चुप्पी कब तोड़ते हैं, इसपर अब सबकी निगाहें टिकी हुई हैं.


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