कोलकाता: पश्चिम बंगाल में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव दिन नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों ने बिगुल फूंक दिया है. बंगाल विधानसभा का कार्यकाल 30 मई 2021 को पूरा होने वाला है और 30 मई से पहले बंगाल में विधानसभा और नई सरकार के गठन की प्रकिया पूरी होना लाज़मी है.


क्या दीदी को बंगाल में फिर मिलेगी जीत?


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आपको बता दे, पश्चिम बंगाल (West Bengal) में 294 विधानसभा सीटें हैं, कड़ी मेहनत और मशक्कत के बाद लगतार 10 साल से ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) मुख्यमंत्री पद पर बनी हुई हैं, साल 2011 के बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता दीदी ने 34 साल से बंगाल की सत्ता पर काबिज सीपीआई-एम के शासन को सूबे उखाड़ फेंका था और खुद पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बन गई थी. उसके बाद साल 2016 में हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता दीदी की पार्टी सबसे ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही और 211 विधायक जीतकर विधान सभा पहुंचे.


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वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस (Congress) की ओर से 44 विधायकों ने जीत दर्ज की तो वामपंथी दलों ने महज़ 26 सीटें ही जीती थीं, अगर अन्य दूसरे दलों की बात करें तो उन्होंने भी 10 सीटें जीतकर अपना परचम लहराया था. सबसे कम सीट बीजेपी के खाते में गई थी, बीजेपी को महज तीन सीटों पर समझौता करना पड़ा था. जिसका मलाल आज भी बीजेपी को है, लेकिन इस बार बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह मिशन बंगाल पर लगे हुए है. उन्होंने केंद्रीय मंत्री से तमाम कद्दावर नेताओं को लगाया हुआ है और बीजेपी लगतार बंगाल में पूरे जोर-शोर के साथ चुनावी मैदान में कूद गई है.


बंगाल में शुरू हो चुका है सियासी घमासान


टीएमसी और बीजेपी ने बंगाल में चुनावी बिगुल बजा दिया, दोनों ही पार्टियों के नेताओं ने लगातार एक-दूसरे पर जुबानी तीर छोड़ने शुरू कर दिए हैं, रैलियों का रेला और रोड शो की शुरुआत हो चुकी है एक तरफ ममता दीदी खुद बंगाल का बड़ा चेहरा है तो दूसरी तरफ बीजेपी के तमाम बड़े चेहरे बंगाल में एक के बाद एक जा रहे है और खुद अमित शाह लगतार बंगाल पर पैनी नज़र बनाये हुए हैं.


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बंगाल में अमित शाह दौरे पर दौरा कर रहे हैं, क्योंकि उनका मिशन बंगाल में सरकार बनाना है और ममता दीदी का मिशन सरकार बनाकर हैट्रिक लगाना है. वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी मैदान में में कूद पड़ी है आने वाला वक्त बताएगा बंगाल की जनता का मूड क्या है उसके लिए थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा.


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