नई दिल्ली: Rajendra Gautam Row: आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज होती जा रही है. पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा गया, अब दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को चिट्ठी लिखी गई है.


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राजेंद्र गौतम के खिलाफ कार्रवाई की मांग
बौद्ध भिक्षुओं के संगठन 'धर्म संस्कृति संगम' के राष्ट्रीय महासचिव राजेश लांबा ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है, इसमें 19 प्रमुख बौद्ध भिक्षुओं ने हस्ताक्षर किया. इस पत्र में कहा गया है कि बौद्ध धर्म में 'अप्प दीपो भव' की शिक्षा दी जाती है.


अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र पाल गौतम के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिकायत की गई है. बौद्ध भिक्षुओं ने राष्ट्रपति को लिखे पात्र में कहा है कि इस देश का कोई धर्म किसी दूसरे धर्म को अपमानित करने की अनुमति नहीं देता. दिल्ली सरकार में एक मंत्री रहते हुए राजेंद्र पाल गौतम ने हिंदू देवी-देवताओं का अपमान कर संवैधानिक संस्था का भी अपमान किया है. यह गंभीर आपराधिक मामला है और इसके खिलाफ उन पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए.


पत्र में आहे लिखा गया कि 'डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का बहुत बड़ा नुकसान किया है, जिन्होंने भारत को एक ऐसा संविधान दिया है जिस पर हम सभी को गर्व है. भारत का संविधान ही वह दस्तावेज है जिसने गरीबों और हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों की रक्षा की है. इसने एक समावेशी समाज का मार्ग भी निर्धारित किया है जहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है. दिल्ली की सभा इसी परीक्षा में विफल हो जाती है. यह वही संविधान है जहां भगवान राम, कृष्ण आदि की छवियों को चित्रित किया गया है.'


उपराज्यपाल को पत्र लिखकर की गई शिकायत
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सौ से भी अधिक प्रबुद्ध नागरिकों ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को पत्र लिखा है.


मांग पत्र में लिखा गया कि 'गौतम ने बतौर मंत्री एक ऐसे कार्यक्रम में हिस्सा लिया जिसमें यह शपथ ली गई कि भगवान विष्णु, महेश और ब्रह्मा की पूजा नहीं करेंगे गौतम यह भूल गए कि भगवान बुद्ध की हिंदू भी पूजा करते हैं और उन्हें अवतार माना जाता है. भारतीय लोकतंत्र में धर्म निजी आस्था का विषय है और हर व्यक्ति को अपनी पसंद के हिसाब से पूजा करने का अधिकार है सार्वजनिक रूप से किसी भी धर्म को नीचा दिखाने का अधिकार किसी को नहीं है. गौतम का व्यवहार न केवल निंदनीय है बल्कि आपराधिक भी है इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.'


पत्र लिखने वालों में यूपी के पू्र्व डीजीपी विक्रम सिंह, पश्चिम बंगाल के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव एम एल मीणा समेत 163 पूर्व आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, और सैन्य अधिकारियों के नाम


जानें क्या है पूरा विवाद
दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के मंत्री रहे राजेंद्र गौतम पाल हजारों लोगों के बीच राम और कृष्ण को भगवान नहीं मानने और पूजा ना करने की शपथ दिलाई थी. जिसके बाद एक तरफ लोगों में आक्रोश बढ़ गया, तो वहीं बीजेपी ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.


धर्मांतरण के कार्यक्रम में राजेंद्र पाल गौतम लोगों से हिंदू देवी-देवताओं विष्णु, भगवान शंकर, पार्वती और गणेश की पूजा न करने की शपथ दिलाते हुए देखे गए थे। विवाद बढ़ने पर राजेंद्र पाल गौतम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था


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