नई दिल्लीः देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत (Bipin Rawat) का निधन हो गया है.
With deep regret, it has now been ascertained that Gen Bipin Rawat, Mrs Madhulika Rawat and 11 other persons on board have died in the unfortunate accident.
— Indian Air Force (@IAF_MCC) December 8, 2021
बुधवार को उनका हेलीकॉप्टर तमिलनाडु में क्रैश हो गया था, जिसके बाद उनकी स्थिति को लेकर अटकलें लगाई जा रही थी. इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है कि रावत का निधन हो गया है.
बता दें कि रावत को पहली बार इस पद पर नियुक्त किया गया था. इससे पहले देश में सीडीएस जैसा कोई पद सेना में नहीं हुआ करता था.
एक जनवरी 2020 को संभाला था पद
1 जनवरी 2020 को देश में पहली बार सीडीएस की नियुक्ति हुई थी. इससे पहले रावत 27वें थल सेनाध्यक्ष (Chief of Army Staff) थे. 2016 में वो आर्मी चीफ बने थे.
शिमला से की थी बिपिन रावत ने पढ़ाई
बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था. वे 1978 से भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे थे. जरनल बिपिन रावत, सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला, और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकसला के पूर्व छात्र थे.
उन्हें दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था, जहां उन्हें 'स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर 'से सम्मानित किया गया था. उनके पास आतंकवाद रोधी अभियानों में काम करने का 10 वर्षों का अनुभव था.
विशिष्ट सेवाओं के लिए हुए सम्मानित
जनरल बिपिन रावत को उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र, और आतंकवाद रोधी अभियानों में कमान संभालने का अनुभव है. उन्होंने पूर्वी क्षेत्र में एक इन्फैंट्री बटालियन की कमान संभाली है.
एक राष्ट्रीय राइफल्स सेक्टर और कश्मीर घाटी में एक इन्फैंट्री डिवीजन की भी कमान संभाली है. उन्हें वीरता और विशिष्ट सेवाओं के लिए यूआईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम के साथ सम्मानित किया जा चुका है.
पीढ़ियों से सेना में सेवाएं दे रहा परिवार
रावत ने जनरल दलबीर सिंह के रिटायर होने के बाद भारतीय सेना की कमान 31 दिसंबर 2016 को संभाली थी. 2020 में उन्हें सीडीएस बनाया गया था. रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है.
उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत थे जो कई सालों तक भारतीय सेना का हिस्सा रहे.
वरिष्ठ अधिकारियों को दरकिनार कर बनाया था आर्मी चीफ
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे रावत 16 दिसंबर 1978 में गोरखा राइफल्स की फिफ्थ बटालियन में शामिल हुए. यहीं उनके पिता की यूनिट भी थी. दिसंबर 2016 में भारत सरकार ने जनरल बिपिन रावत से वरिष्ठ दो अफसरों लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीन बक्शी और लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज को दरकिनार कर भारतीय सेना प्रमुख बना दिया था.
चीन से लिया है लोहा
जनरल बिपिन रावत गोरखा ब्रिगेड से निकलने वाले पांचवे अफसर थे जो भारतीय सेना प्रमुख बनें. 1987 में चीन से छोटे युद्ध के समय जनरल बिपिन रावत की बटालियन चीनी सेना के सामने खड़ी थी.
अशांत इलाकों में काम करने का अनुभव
रावत के पास अशांत इलाकों में लंबे समय तक काम करने का अनुभव है. भारतीय सेना में रहते उभरती चुनौतियों से निपटने, नॉर्थ में मिलटरी फोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी फ्रंट पर लगातार जारी आतंकवाद व प्रॉक्सी वॉर और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष के लिहाज से उन्हें सबसे सही विकल्प माना जाता था. सर्जिकल स्ट्राइक और एलएसी पर भारत के रुख में भी रावत का बड़ा योगदान था.