नई दिल्ली: केंद्र और ममता के टशल के बीच पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अल्पन बंदोपाध्याय का तबादला, दिल्ली बुलाया गया है. केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी अलापन बंद्योपाध्याय को वापस बुला लिया. दरअसल वो पीएम मोदी की बैठक में देर से पहुंचे थे.
यास के बाद बंगाल में सियासी तूफान
यास तूफान तो शांत हो गया लेकिन उसके बाद बंगाल में शुरू हुआ सियासी तूफान अभी शांत होता नहीं दिख रहा है. यास के बाद बंगाल में सियासी तूफान आ गया है. मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय का दिल्ली तबादला होने के बाद सियासत गरमा गई है.
DoPT ने इसका आदेश कर राज्य सरकार से गुजारिश की है कि उन्हें तुरंत रिलीव किया जाए अलापन बंद्योपाध्याय को 31 मई सुबह 10 बजे तक DoP, दिल्ली रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है.
यास तूफान से हुए नुकसान के लिए रिव्यू मीटिंग करने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बंगाल पहुंचे लेकिन पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनको 30 मिनट तक इंतजार करवाया. ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और राज्य के मुख्य सचिव उसी परिसर में मौजूद थे, लेकिन वह आधे घंटे बाद आईं और कुछ दस्तावेज देकर चलीं गईं.
3 महीने के लिए बढ़ाया था कार्यकाल
इसके बाद केंद्र सरकार ने बनर्जी के करीबी माने जाने वाले मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को प्रतिनियुक्ति पर वापस दिल्ली बुला लिया. बंदोपाध्याय का पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव के तौर पर कार्यकाल 31 मई को खत्म हो रहा था. उससे पहले ही ममता सरकार ने 3 महीने के लिए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया था लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी प्रतिनियुक्ति का आदेश जारी करके 31 मई को सुबह 10 बजे से पहले रिपोर्ट करने के लिए कह दिया है.
कांग्रेस ने मोदी सरकार को जमकर घेरा
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाने पर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला किया है. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि ये कदम संघीय ढांचे के लिए मौत की घंटी है.
रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि केंद्र सरकार लोकतंत्र पर घातक हमला कर रही है और इससे देश में अराजकता पैदा होगी. इधर प्रधानमंत्री को ममता बनर्जी के इंतजार करवाने को बीजेपी नेताओं ने ममता बनर्जी का अहंकार बताया है.
इंतजार कराने वाले अफसर पर Action
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने एक बार फिर ये संदेश दे दिया है कि बीजेपी से राजनीतिक मतभेद को वो किसी भी हद तक ले जाने को तैयार हैं. लगता है नंदीग्राम में हुई हार को ममता बनर्जी ना तो भूल नहीं पाई हैं और ना ही वो नंदीग्राम से बीजेपी विधायक शुवेंदु अधिकारी का सामना कर पा रही हैं.
क्या है पूरा मामला?
शायद यही वजह है कि यास तूफान को लेकर शुक्रवार को बंगाल के कलईकुंडा बेस पर प्रधानमंत्री मोदी की बैठक में ममता बनर्जी 30 मिनट देरी से पहुंचीं. इतना ही नहीं, ममता ने यास तूफान से हुए नुकसान के आकलन की रिपोर्ट सौंपी और बैठक से निकल गईं.
लेकिन ममता बनर्जी बैठक में अकेली नहीं थीं. राज्य के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय भी ममता के साथ थे. बंगाल के अधिकारियों की ओर से इस अहम बैठक में प्रेजेंटेशन तक नहीं दिया. बीजेपी नेता दिलीप घोष ने ममता की इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं.
ममता बनर्जी ने भी केंद्र सरकार पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि यास तूफान से बंगाल का जितना नुकसान हुआ है. हो सकता है उन्हें ना मिले.
ममता ने बोला कि 20 हजार करोड़ की बात हमने की है. हो सकता है हमें नहीं मिलें. हम प्रधानमंत्री को यही कह कर आए हैं कि आप हमसे मिलना चाहते थे, इसलिए मैं उतनी दूर से आई हूं और आप से मिलकर कागज मैं और मेरे चीफ सेक्रेटरी दे रहे हैं, मुझे दीघा जाना होगा, इसलिए हम आपकी अनुमति लेकर जा रहे हैं.'
ममता बनर्जी के इस रवैये पर राज्यपाल जगदीप धनखड़ और गृह मंत्री अमित शाह तक ने गृह मंत्री अमित शाह ने कहा 'यास तूफान से प्रभावितों लोगों की मदद करना समय की मांग है। दुख की बात है दीदी ने अहंकार को जनकल्याण से उपर रखा है.'
लेकिन विवाद यहीं पर नहीं थमा. केंद्र सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया. पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को केंद्र सरकार ने दिल्ली तलब किया है.
ममता बनर्जी के करीबी माने जाने वाले अलपन बंदोपाध्याय को लेकर केंद्र और बंगाल सरकार के बीच खींचतान बढ़ गई है. इस पूरे घटनाक्रम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, 'केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल के बहनों-भाइयों के साथ खड़ी है. यास तूफान से हुए नुकसान के लिये हरसंभव मदद दी जाएगी. मैं आपके सर्वोत्तम की कामना करता हूं.'
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पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र के बीच रस्साकशी जारी है. यास तूफान का असर अब बंगाल में खत्म हो चुका है, लेकिन बंगाल से एक नया सियासी तूफान उठा चुका है. जिसका असर दिल्ली तक में दिखने वाला है. बंगाल के मुख्य सचिव को दिल्ली बुलाए जाने को ममता बनर्जी यूं ही नहीं जाने देंगी. मतलब ये कि विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है.
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