नई दिल्ली: कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा विपणन सत्र 2023-24 (Marketing Session 2023-24) के लिए सभी अनिवार्य खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को अनुमति देने के निर्णय को लेकर बुधवार को दावा किया कि मौजूदा सरकार एमएसपी की सिर्फ घोषणा करती है, उस पर किसानों से खरीद नहीं करती.
मोदी सरकार पर एमएसपी बढ़ाने का ढ़ोंग रचने का आरोप
मुख्य विपक्षी दल ने यह आरोप लगाया कि इस सरकार का डीएनए ही किसान विरोधी है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया, 'मोदी सरकार ने देश के किसानों से 2 वादे किये थे, एमएसपी को 'लागत+50 प्रतिशत मुनाफा' पर निर्धारित करना, 2022 तक देश के किसानों की आय दोगुनी करना, दोनों वादे सरासर झूठे निकले! खरीफ फसल पर एमएसपी बढ़ाने का ढ़ोंग रचने वाली प्रचार लोभी मोदी सरकार, एमएसपी पर फ़सल खरीदती ही नहीं है.'
उन्होंने दावा किया, 'खेती के बजट में कटौती हुई! किसान सम्मान निधि में से 2 करोड़ किसानों का नाम हटाया! एक लाख करोड़ रुपये के कृषि अवसंरचना कोष की घोषणा कर के उसमें 3 सालों में केवल 12,000 रुपये करोड़ ही दिए . मोदी सरकार के 9 साल, देश के 62 करोड़ किसानों के लिए अभिशाप बन गये हैं.'
'किसानों को पीठ पर लाठी और पेट पर लात के सिवाय क्या मिला?'
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार में किसानों को ‘जुमले’ और लाठी के सिवाय कुछ नहीं मिला. उन्होंने ट्वीट किया, ' न लागत + 50 प्रतिशत मुनाफा, न एमएसपी पर खरीद, न दोगुनी आय. भाजपा सरकार के नौ सालों में किसानों को चुनाव में जुमले, पीठ पर लाठी और पेट पर लात के सिवाय क्या मिला?'
कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, 'मोदी मंत्र है कि एमएसपी घोषित करो लेकिन एमएसपी दो मत. साल 2022-23 में फसल उपज और फसल खरीद के तथ्य इस बात को उजागर करते हैं कि किसान को एमएसपी नहीं मिलेगा. मोदी जी, जब एमएसपी देनी ही नहीं तो कागज़ पर घोषित करके वाहवाही क्यों लूटना?'
उन्होंने दावा किया, 'वर्ष 2020-21 में कृषि बजट, कुल बजट का 4.41 प्रतिशत था. 2023-24 में कृषि बजट, कुल बजट का 2.57 प्रतिशत रह गया. बीते 4 साल में मोदी सरकार ने कृषि विभाग के बजट से लगभग 80 हजार करोड़ खर्च ही नहीं किया. यही नहीं, किसान सम्मान निधि में से 2 करोड़ किसानों का नाम ही हटा दिया.'
कांग्रेस का आरोप- मोदी सरकार का डीएनए ही किसान विरोधी है
सुरजेवाला ने वर्ष 2022-23 में कुछ फसलों को कुल उत्पादन और उनकी खरीद का आंकड़ा देते हुए आरोप लगाया, 'धान की फसल को छोड़कर मोदी सरकार ने किसी अन्य फसल की खरीद एमएसपी पर की ही नहीं. अगर किसान की फसल का एमएसपी सिर्फ कागजों में घोषित होना है, तो एमएसपी का मतलब ही क्या रह जाता है?'
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार का डीएनए ही किसान विरोधी है. उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा विपणन सत्र 2023-24 के लिए सभी अनिवार्य खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दिए जाने के फैसले को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने धान का एमएसपी 143 रुपये बढ़ाकर इस खरीफ सत्र में 2,183 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया. पिछले एक दशक में यह दूसरी सबसे बड़ी वृद्धि है. वर्ष 2023-24 की खरीफ फसलों के लिए एमएसपी में 5.3 प्रतिशत से 10.35 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की गई है. कुल मिलाकर एमएसपी को 128 रुपये से 805 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ाया गया है.
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