नई दिल्ली: दिल्ली दंगे मामले में करावल नगर के एसएचओ रहे एसीपी संजीव कुमार पर बड़ी कार्रवाई हुई है. उन्हें डिमोट करके फिर से  फिर से इंस्पेक्टर बना दिया गया है.


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पुलिस हेडक्वॉर्टर से मिली सिफारिश को गृह मंत्रालय से मंजूरी मिल जाने के बाद उपराज्यपाल ने भी इस पर मुआर लगा दी है. हालांकि इस आदेश के बाद संजीव छुट्टी पर चले गए हैं. 


सूत्रों के अनुसर, वे अपने खिलाफ हुई कार्रवाई को लेकर सेंट्रल ऐडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) में अपील कर सकते हैं. 


जानिए क्या है पूरा मामला


बीते साल दिल्ली में फरवरी महीन में हुए दंगों के दौरान संजीव कुमार करावल नगर के एसएचओ थे. उन पर आरोप लगाया गया है कि शिव विहार इलाके में हुए दंगे के एक मामले में एक ही शख्स को आरोपी एवं पीड़ित दोनों बना दिया गया है. 


इस मामले में कार्रवाई करते हुए दिल्ली पुलिस ने एसीपी संजीव कुमार को डिमोट करके फिर से इंस्पेक्टर बना दिया गया है. फिलहाल यह मामला कोर्ट में चल रहा है. 


लेकिन एक ACP रैंक के पुलिसकर्मी पर इस तरह की कार्रवाई के बाद महकमे में चर्चा जोरों पर है. 


उपराज्यपाल से मंजूरी मिलने के बाद डिप्टी सेक्रेटरी (होम) पवन कुमार ने 15 जून को जारी पत्र में संजीव कुमार को फिर से इंस्पेक्टर बनाने का आदेश जारी किया है.


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फैसले को चुनौती दे सकते हैं संजीव


इस मामले को लेकर चर्चा तह होने के बाद यह खबर भी सामने आ रही है कि प्रकरण में जब चार्जशीत दाहिल हुई, उस समय  संजीव कुमार करावल नगर के एसएचओ पद पर नहीं थे. 


उस दौरान उनका ट्रांसफर हो चुका था और वे एसीपी बेगमपुर बन चुके थे और जनवरी, 2021 में वह एसीपी (ऑपरेशंस) शाहदरा बन चुके थे. 



इस मामले में यह भी सवाल उठा रहा है कि चार्जशीत बनाने वाले एएसआई पर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया है. इस मामले में डिमोशन का दंश झेल रहे संजीव कुमार जल्द ही सेंट्रल ऐडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) में इस मामले की सुनवाई को लेकर अपील कर सकते हैं. 


एक ही शख्स को बना दिया गया पीड़ित व आरोपी


बीते साल दंगों के दौरान, शिव विहार के हाजी हाशिम ने पुलिस थाने में अपना घर जलने की शिकायत दर्ज कराई थी. उसी इलाके में एक धर्मिक स्थल को भी आग के हवाले कर दिया गया था और आगजनी की कई अन्य घटनाएं भी उस दिन हुई थीं. 


पुलिस ने सभी मामलों को एक ही में जोड़ दिया और इसी कारण हाशिम इस मामले में पीड़ित व आरोपी दोनों बन गए. 


हाशिम अपने खुइलाफ केस दर्ज होने के बाद कोर्ट पहुंचे थे और अपील की थी कि धार्मिक स्थल को लेकर अलोग से रिपोर्ट लिखी जाए. 


इसके बाद मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट ने अलग से एफआईआर दर्ज करने का निर्देश जारी किया था. इस मामले को लेकर सेशन कोर्ट ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाईं थी. यह मामला अभी भी कोर्ट में चला रहा है. 


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