लॉकडाउन में चौथी बार भूकंप से कांपी दिल्ली की धरती

नेशनल सेंटर फॉर सीस्‍मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, रिक्‍टर स्‍केल पर इसकी तीव्रता 2.2 थी. यह भूकंप 11 बजकर 28 मिनट पर आया था. जिसका बहुत से लोगों को एहसास भी नहीं हुआ. दिल्‍ली में पिछले दिनों भूकंप आने के मामले बढ़े हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 15, 2020, 05:08 PM IST
    • नेशनल सेंटर फॉर सीस्‍मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, रिक्‍टर स्‍केल पर इसकी तीव्रता 2.2 थी. यह भूकंप 11 बजकर 28 मिनट पर आया था
    • कंप के मामले में दिल्‍ली बेहद संवेदनशील है. भूवैज्ञानिकों ने दिल्ली और इसके आसपास के इलाके को जोन-4 में रखा है
लॉकडाउन में चौथी बार भूकंप से कांपी दिल्ली की धरती

नई दिल्‍लीः कोरोना संकट जारी है ही, ऐसे में प्रकृति भी अपनी आपदाएं पसारने लगे तो यह दोहरी मार दहशत फैलाएगी ही. राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को एक बार फिर भूकंप ने लोगों को डरा दिया. जानकारी के मुताबिक दिल्ली के पीतमपुरा इलाके में 2.2 की तीव्रता से भूकंप आया है. बीते लॉकडाउन के दौरान यह चौथी बार है जब भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. हालांकि भूकंप खतरनाक श्रेणी का नहीं था और इससे जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है.

बीती 10 मई को भी आया था भूकंप
नेशनल सेंटर फॉर सीस्‍मोलॉजी (NCS) के मुताबिक, रिक्‍टर स्‍केल पर इसकी तीव्रता 2.2 थी. यह भूकंप 11 बजकर 28 मिनट पर आया था. जिसका बहुत से लोगों को एहसास भी नहीं हुआ. दिल्‍ली में पिछले दिनों भूकंप आने के मामले बढ़े हैं. अभी 10 मई को वजीरपुर में 3.5 तीव्रता का भूकंप आया था. उससे पहले 12 और 13 अप्रैल को भी दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. लॉकडाउन के बाद से अबतक चार भूकंप दिल्‍ली में आ चुके हैं.

रिस्‍क जोन में है दिल्‍ली
भूकंप के मामले में दिल्‍ली बेहद संवेदनशील है. भूवैज्ञानिकों ने दिल्ली और इसके आसपास के इलाके को जोन-4 में रखा है.यहां 7.9 तीव्रता तक का भूकंप आ सकता है. दिल्ली में भूकंप की आशंका वाले इलाकों में यमुना तट के करीबी इलाके, पूर्वी दिल्ली, शाहदरा, मयूर विहार, लक्ष्मी नगर और गुड़गांव, रेवाड़ी तथा नोएडा के नजदीकी इलाके शामिल हैं.

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महज पांच दिनों में आया भूकंप
स्काईमेट के वाइस प्रेसिडेंट और मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत के मुताबिक जब किसी रीजन में भारी तीव्रता का भूकंप आता है तो उसके कुछ दिनों के अंदर कम तीव्रता का भूकंप आने की संभावना होती है इसे आफ्टर शॉक भी कहा जाता है. ऑफ्टर शॉक में होने वाले भूकंप की तीव्रता कई बार आधी होती है और इस से ज्यादा नुकसान नहीं होता. महज 5 दिनों में ही दूसरी बार भूकंप के झटके चिंता बढ़ाने वाले हैं. 

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