नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में कड़ाके की ठंड के बीच भी किसानों का प्रदर्शन सोमवार को 40वें दिन जारी है. किसान संगठनों के नेता आज फिर केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग पर केंद्रीय मंत्रियों के साथ विज्ञान भवन में बातचीत करेंगे. सरकार और किसानों की बातचीत दोपहर 2 बजे शुरू होगी.


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सरकार के साथ होने वाली बैठक से पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता पर राकेश टिकैत ने कहा, 'उम्मीद है कि सरकार बात मान ले, अगर मांगें पूरी नहीं होती तो आंदोलन चलेगा.'


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गौरतलब है कि इस साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केन्द्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है. उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे.


दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी. सरकार लगातार कह रही है कि एमएसपी और मंडी प्रणाली बनी रहेगी और उसने विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया है.


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बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से पहले ही ऐलान किया जा चुका है कि सोमवार को होने वाली वार्ता में अगर किसानों की मांगें नहीं मानी गई तो दिल्ली के चारों ओर लगे मोचरें से किसान 26 जनवरी को दिल्ली में प्रवेश कर ट्रैक्टर ट्रॉली और अन्य वाहनों के साथ ‘किसान गणतंत्र परेड’ करेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 26 जनवरी के पहले स्थानीय व राष्ट्रीय स्तर पर कई कार्यक्रमों की घोषणा भी की गई है.


पिछली बार 30 दिसंबर को हुई बातचीत में सरकार ने किसानों की चार में से दो मांगे मान ली थी जो पराली दहन से जुडे अध्यादेश के उल्लंघन पर भारी जुर्माना और जेल की सजा और बिजली सब्सिडी को जारी रखने से संबंधित हैं.


बता दें कि किसान के प्रदर्शन को कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी समर्थन दे रहे हैं. उन्होंने आज ट्विटर पर एक कविता शेयर की, 'सर्दी की भीषण बारिश में, टेंट की टपकती छत के नीचे, जो बैठे हैं सिकुड़-ठिठुर कर, वो निडर किसान अपने ही हैं, ग़ैर नहीं, सरकार की क्रूरता के दृश्यों में, अब कुछ और देखने को शेष नहीं.'


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इससे पहले उन्होंने ट्वीट किया था,' किसानों को MSP की लीगल गारंटी ना दे पाने वाली मोदी सरकार अपने उद्योगपति साथियों को अनाज के गोदाम चलाने के लिए निश्चित मूल्य दे रही है. सरकारी मंडियां या तो बंद हो रही हैं या अनाज खरीदा नहीं जा रहा. किसानों के प्रति बेपरवाही और सूट-बूट के साथियों के प्रति सहानुभूति क्यूँ?'


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