नयी दिल्ली, सरकारों द्वारा निकाली जाने वाली भर्तीयों को लेकर अभ्यर्थियों की ओर से दायर कि जाने वाली शिकायतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बात कही हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवारों को किसी भी चरण में शिकायत के निवारण के लिए संपर्क करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. इस तरह की प्रक्रिया को कभी ना कभी बंद करना होगा, क्योकि यह अनिश्चितकाल तक नही चल सकता. भले ही शिकायत वास्तविक ही क्यों ना हो. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बैंच ने ये बात कही हैं.
हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
याचिकाकर्ता ने कोलकोता में 1999 में उप सहायक अभियंता के पद के लिए आवेदन किया था। आवेदन के पश्चात मेडिकल फिटनेस जांच भी पास कर ली थी, लेकिन उसकी नियुक्ति नहीं हो सकी थी, क्योंकि पुलिस की ओर से सत्यापन रिपोर्ट प्राप्त नही हो पायी थी. याचिकाकर्ता के अनुसार उसने 7 साल तक नियुक्ति पत्र का इंतजार करने के बाद राज्य के प्रशासनिक प्राधिकरण में शिकायत पेश की. प्राधिकरण से शिकायत खारिज होने पर उसके खिलाफ कोलकोता हाईकोर्ट में याचिका दायर कर उसे चुनौति दी. कोलकोता हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को कोई राहत नही दी. हाईकोर्ट ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता बांग्लादेशी नागरिक है.
लंबा वक्त अपीलकर्ता के लिए राहत में बाधा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1999 में निकाले गये विज्ञापन के लिए 2022 में सुनवाई कि जा रही हैं. अपीलकर्ता के इस तर्क को मंजूर नही किया जा सकता कि उसने 7 साल तक नियुक्ति पत्र का इंतजार किया. इतना लंबा समय खुद अपीलकर्ता को दी जाने वाली राहत के लिए भी बाधा हैं. कोर्ट ने कहा कि अपील के लिए 7 साल का लंबा वक्त,यह खुद में ही अपीलकर्ता को चयनित न करने का आधार है.
हम पुलिस की सत्यापन रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इंकार
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता द्वारा प्रशासनिक न्यायाधीकरण में 7 साल देरी से कि गयी शिकायत को आधार बनाया. लेकिन पुलिस की सत्यापन रिपोर्ट के तथ्यों पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. अपीलकर्ता ने पुलिस की रिपोर्ट पर सवाल खड़ा किया था. लेकिन कोर्ट ने इस मामले में शिकायत के लिए हुई देरी को आधार मानते हुए इस पर टिप्पणी नही की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1999 में भर्ती के लिए जारी किये गये विज्ञापन के तहत नियुक्ति नही मिलने पर याचिकाकर्ता ने 7 साल तक कोई कार्यवाही नही की.
अपीलकर्ता की यह दलील मंजूर नहीं की जा सकती कि उसने नियुक्ति पत्र के लिए सात साल का लंबा इंतजार किया है और उसके बाद उसने राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण का रुख किया. ऐसे में भर्ती प्रकिया के किसी भी स्तर पर शिकायत निवारण की अनुमति नही दी जा सकती. इससे भर्ती प्रक्रियाए भी प्रभावित होगी.
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