नई दिल्ली: पूरी दुनिया में अपनी ताकत का भ्रम फैलाने वाले चीन को अपनी हद समझ लेनी चाहिए. चीन का डराने वाला खेल अब खत्म हो चुका है. क्योंकि ये बिल्कुल साफ है कि लद्दाख में भारतीय सेना अडिग है, अटल है. 


चीन को परास्त करने वाली 5 कमजोरियां


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चीन की अपनी इतनी कमजोरियां है कि यदि उसने भारत से युद्ध करने की भूल की तो वो भी ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएगा. चीन भले ही इस बात को मजाक समझे लेकिन ये बिल्कुल सत्य है. चीन की ताकत सिर्फ एक भ्रम है. इसीलिए हम आपको जंग के मैदान में घुटने टेकने वाली चीन की 5 कमजोरियों से रूबरू करवाते हैं.


कमजोरी नंबर 1). 20 फीसदी चीनी सैनिक अनफिट हैं, बहुत अधिक मास्टरबेट वजह


चीन की गीदड़भभकियों से भारत डरने वाला नहीं है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि जंग हुआ तो चीन कैसे भारत के सामने घुटने टेक देगा? जंग के मैदान पर ड्रैगन की सबसे बड़ी कमजोरी उसकी सैनिकों का अनफिट होना साबित हो सकती है. दरअसल, चीन के ही एक सरकारी समाचार पत्र ने हाल ही में इस बात का दावा किया था कि चीनी सैनिक भारत से जंग के लिए तैयार हैं.


लेकिन, चीनी सेना की ही एक रिपोर्ट ने इस समाचार पत्र के दावे की पोल खोलकर रख दी. दरअसल, पीपुल्स लिबरेशन आर्नी यानी PLA ने इस बात को कबूल किया है कि उसके 20 फीसदी सैनिक युद्ध के लिए अनफिट हैं, इसकी वजह काफी ज्यादा मास्टरबेट बताई गई. आपको बता दें, साल 2017 में आई रिपोर्ट उस रिपोर्ट में ये तक कहा गया था कि 20 फीसदी सैनिकों का वजन ही जरूरत से अधिक है.



वीडियो गेम्स, मोबाइल और मास्टरबेट की लत


इतना ही नहीं PLA की इस रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी सामने आई थी कि चीनी सैनिकों को वीडियो गेम खेलने और स्मार्टफोन चलाने और मास्टरबेट की लत है. PLA ने इसके सुधार के लिए निर्देश भी जारी किये थे. 


इसके अलावा खुलासा तो ये भी हुआ कि 25 प्रतिशत सेना के जवानों के फिट नहीं रहने की वजह हद से ज्यादा शराब पीना है. जंक फूड की आदत भी उनके मोटापे और अधिक वजन की वजह है. इसीलिए PLA के करीब 25 फीसदी सैनिक व‍िजन टेस्‍ट में फेल हो गए. चीन चाहें कितनी भी बड़ी बड़ी बातें कर ले लेकिन उसकी कमजोरी हम आपको बता रहे हैं. 


कमजोरी नंबर 2). 'चीन को युद्ध या ऑपरेशन का अभ्यास नहीं'


हिंदुस्तान की सेना का पराक्रम पाकिस्तान को बखूबी मालूम है. 1965, 1971 या फिर 1999 का करगिल युद्ध भारतीय सेना ने पाकिस्तान को भारत से जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा है. चीन को लगता है कि वो हिंदुस्तान की सेना को हरा देगा, जबकि चीन  की सबसे बड़ी कमजोरी ये है कि उसे युद्ध का अभ्यास ही नहीं है. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं? इस बात को समझिए..


हिंदुस्तान ने आखिरी युद्ध करीब 21 साल पहले लड़ा था, जबकि चीन ने आखिरी बार 41 साल पहले युद्ध लड़ा था. जहां हिन्दुस्तान ने 99 में कारगिल की जंग में पाकिस्तान को उसकी नानी याद दिया दी थी, तो वहीं साल 17 फरवरी, 1979 से 16 मार्च 1979 तक चले युद्ध में चीन को वियतनाम ने धूल चटा दी थी. बीते 41 साल में चीन की सेना ये युद्ध तो क्या ऑपरेशन तक नहीं किया है.



अनुभवहीन चीन पर भारी पड़ेगा भारत


इस हिसाब से चीन की सेना में अब ऐसा कोई भी जवान या अधिकारी ही नहीं बचा होगा जिसे युद्ध लड़ने का अनुभव होगा. लेकिन भारतीय सेना के शौर्य का लोहा आज पूरा विश्व मान रहा है.



इंडियन आर्मी बेहद ही प्रोफेशनल है, उसे दुश्मन के घर में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक करने भी अनुभव है. लेकिन चीन की सेना को किसी तरह के ऑपरेशन का अनुभव भी नहीं है.


कमजोरी नंबर 3). दमनकारी चीन की सेना के साथ नहीं है जनता


चीन में कम्युनिस्ट शासन है, वहां लोकतंत्र नहीं है. ऐसे में जब भी चीन में किसी ने लोकतंत्र की मांग उठाई है, उसकी आवाज़ को दबा दिया जाता है. भले ही आर्थिक विकास के नाम पर चीन अपने देश की जनता को मुंगेरी लाल के हसीन सपने दिखाए, लेकिन हकीकत यही है कि वहां की जनता विद्रोह के मूड में है.


चीन की जनता कर सकती है विद्रोह


जनता को झूठा ख्वाब दिखाने वाले चीनी कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ कभी भी विद्रोह कर सकती है. चीन के दोहरे चरित्र को वहां की जनता भाप चुकी है. पूरी दुनिया इस बात से वाकिफ है कि चीन के दो चेहरे हैं, पहला झूठा और फरेबी है, जबकि दूसरा सच उठाने वाली आवाज को दबा देना. आपको ये जानना चाहिए कि आखिर चीन के खिलाफ जनता क्यों विद्रोह के मूड में नजर आ रही है, जिसे पूरी दुनिया देख रही है.



चीन की दमनकारी सेना का क्रूर चरित्र


चीन की सेना हमेशा से ही दमनकारी रही है. साल 1989 की बात है जब चीन ने अपने देश के निहत्थे लोगों का नरसंहार किया था. चीन के क्रूर चरित्र को इससे समझा जा सकता है कि उसने अपनी जनता पर टियानैनमन स्क्वैयर पर टैंक से हमला करवाया था.



इसीलिए चीन की सेना को वहां की जनता का कभी साथ नहीं मिला और ना ही मिलेगा, जबकि हिदुस्तान की जनता हर मौके पर भारतीय सेना के साथ खड़ी रहती है.


कमजोरी नंबर 4). चीन की सेना को अपनी जान की परवाह


अगर भारत और चीन के बीच जंग छिड़ी तो उसकी एक और बड़ी कमजोरी उसे परास्त करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है. चीन की सेना में भी वन चाइल्ड पॉलिसी लागू है. खुद चीन की फौज में शामिल जवान अपने माता-पिता की इकलौती संतान है. यानी एक तरफ युद्ध का अनुभव नहीं होना और दूसरी तरफ अपनी जान की परवाह करने वाले चीन के सैनिक हिंदुस्तान से कैसे लोहा लेंगे.



कमजोरी नंबर 5). बुजुर्गों का देश है चीन, भारत के सामने होगा 'पस्त'


वैसे तो चीन की कई सारी कमजोरी है, लेकिन 5वीं जो सबसे बड़ी कमजोरी है वो ये कि चीन बुजुर्गों का देश है. चीन दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है. इस वजह से वहां पर बुजुर्गों की तादाद भी ज्यादा है जबकि युवाओं की तादाद हिंदुस्तान के मुकाबले कम है. आंकड़ों से समझिए बुजुर्गों का चीन भारत के मुकाबले कहां खड़ा है.



भारत में 10-24 साल के उम्र के लोगों की संख्या कुल आबादी का 27 फीसदी है,जबकि चीन में ये सिर्फ 17 फीसदी है. भारत में 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या कुल आबादी की 6 फीसदी है,जबकि चीन में ये 12 फीसदी है. बुजुर्गों के देश के मामले में चीन दुनिया में 62वें नंबर पर आता है, जबकि हिंदुस्तान 141वें नंबर है.


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चीन को अब ये समझ जाना चाहिए कि उसने जो चाल चली है, उसमें वो अब कामयाब नहीं होने वाला है. नया हिंदुस्तान अब झुकता नहीं मुंहतोड़ जवाब देता है. चीन भले ही दुनियाभर में सिर्फ अपनी ताकत का दंभ भरता हो और ढिंढोरा पीटता हो, लेकिन वो सिर्फ एक माजाजाल और भ्रम है. हकीकत ये है कि चीन अंदर से खोखला है. पूरी तरह कमजोर है.


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