चीन की सबसे बड़ी कमजोरी हैं उसके कायर और काहिल फौजी !

सैनिकों की संख्या के मामले में चीन की सेना भले ही दुनिया में सबसे बड़ी और ताकतवर दिखती हो. लेकिन उसके सिपाही और कमांडर दोयम दर्जे के हैं. उनमें आमने सामने जंग करने का हौसला ही नहीं है. इसके लिए खुद चीन के हुक्मरान जिम्मेदार हैं.   

Written by - Anshuman Anand | Last Updated : May 30, 2020, 05:00 PM IST
    • चीन की सेना में हौसले की बेहद कमी
    • चीन में 2015 तक थी वन चाइल्ड पॉलिसी
    • वहां के परिवारों को एक ही बच्चा पैदा करने की इजाजत थी
    • इकलौते बच्चों को बेहद लाड़ प्यार से पाला जाता था
    • आज की चीनी फौज ऐसे ही सुरक्षात्मक माहौल में पले बढ़े बच्चों से भरी पड़ी है
    • इन बिगडैल चीनी बच्चों में जुझारुपन की कमी
    • भारतीय फौज का सामना करने से डरते हैं ये चीनी फौजी
चीन की सबसे बड़ी कमजोरी हैं उसके कायर और काहिल फौजी !

नई दिल्ली: दुनिया में कोई भी जंग हौसले और हिम्मत से जीती जाती है. लेकिन चीन की फौज में इसकी बेहद कमी है. ये बात खुद चीन के मिलिट्री एक्सपर्ट मानते हैं. वहीं भारत की फौज जंग की आग में तप कर फौलाद की तरह मजबूत बनी हुई है.

 
'लाड़लों दुलारों' से भरी है चीन की फौज
चीन की सेना के हौसले बेहद कमजोर है. ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन के सिपाही बेहद प्यार दुलार में पले बढ़े होते हैं. बचपन से उनकी हर ख्वाहिश पूरी की जाती है और उन्हें बेहद सुरक्षित माहौल में पाला जाता है. जिसकी वजह से उनमें जूझने का जज्बा बेहद कम रहता है. 


इसकी वजह है चीन की 'वन चाइल्ड पॉलिसी(One Child Policy)'. दरअसल चीन में बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए पिछले कई दशकों से एक ही बच्चा पैदा करने की अनुमति दी जाती रही है. ये चीन सरकार की आधिकारिक नीति है, जिसे साल 1979 में शुरु किया गया था. इसके तहत शहरी जोड़ों को एक ही बच्चा पैदा करने की अनुमति थी. जबकि कुछ विशेष कारणों में ग्रामीण जोड़ों को दो बच्चे पैदा करने का आदेश दिया जाता था. चीन एक कम्युनिस्ट देश है. इसलिए वहां सरकार के आदेश की अवहेलना करना किसी के लिए संभव नहीं है. 


लेकिन इस 'वन चाइल्ड पॉलिसी' का नतीजा ये रहा कि 1979 के बाद पैदा हुए चीन के ज्यादातर लोग अपने माता पिता और दादा दादी के लाड़ दुलार का एकमात्र केन्द्र बने रहे. उनकी हर जिद पूरी की गई. जिसकी वजह से उनमें जीवन संघर्ष की क्षमता बेहद कम हो गई. अब टकराव की स्थिति में ये सबसे बड़ी कमजोरी बनकर उभरने लगता है. 


'वन चाइल्ड पॉलिसी' से खोखली हो चुकी है चीन की फौज
चीन को 'वन चाइल्ड पॉलिसी' की खामियां समझ में तो आने लगी. लेकिन इसमें उसे लगभग 36 साल लग गए. अक्टूबर 2015 में चीन ने 'वन चाइल्ड पॉलिसी' समाप्त कर दी. जिसके बाद चीनी जोड़ों को दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दे दी गई है. क्योंकि चीन ने पाया कि उसकी 1.40 अरब आबादी में बूढ़े होने वाले लोगों की संख्या बेहद तेजी से बढ़ रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2050 तक चीन की लगभग 44 करोड़ आबादी 60 की उम्र तक पहुंच चुकी होगी. 
लेकिन 'वन चाइल्ड पॉलिसी' खत्म करने में चीन को बहुत देर हो चुकी है. पिछले 36 सालों में पैदा हुए चीन के बिगड़ैल और लाड़ले बच्चे चीन की फौज में सिपाही औऱ अधिकारी बनकर छाए हुए हैं. जो थोड़े से संघर्ष में घुटने टेक देते हैं. ये आंकलन खुद चीन की मीडिया का है. 


चीन के नीति नियंता अपनी फौज की इस कमजोरी से वाकिफ हैं. इसलिए चीन की फौज(peoplesliberation army) अपने इन बिगड़ैल नवाबजादों को राह पर लाने के लिए स्पेशल प्रोग्राम चलाती है.   
कई बार सामने आ चुकी है चीनी सैनिकों की बुजदिली
चीन की फौज की बुजदिली और कायरता के कई उदाहरण मौजूद हैं. 1979 के बाद से चीन की सेना ने किसी भी जंग नहीं उतरी. चीन 1962 की जंग को लेकर भारत पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाता है. लेकिन इस युद्ध में भी संसाधनहीन भारत की फौज ने खुद के कई गुना ज्यादा चीनी फौज के छक्के छुड़ा दिए थे. अगर उस समय भारतीय सेना को पीएम नेहरु और रक्षा मंत्री वीके मेनन का जरा भी सपोर्ट हासिल होता को जंग का नतीजा कुछ और ही होता. 
उसी भारतीय फौज ने 1967 में चो ला और नाथू ला में चीन के 400 सिपाहियों को मार गिराया था. जिसके बाद भारत में सिक्किम का विलय हुआ. 
इसके अलावा सीमा पर चीन और भारत की फौजों के बीच बिना हथियारों के भिड़ंत होती है उसमें चीन के सिपाही अक्सर भारतीय फौजियों के हाथों पिटाई खाकर भागने के लिए मजबूर हो जाते हैं. 

ये वीडियो कुछ साल पहले के हैं. इसमें साफ दिखाई देता है कि चीनी सेना के बिगड़ैल लाड़ले. आंखों पर स्टायलिश काला चश्मा लगाए हुए एलीट रवैया अपनाते हुए भारतीय फौजियों से भिड़ने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं भारतीय फौजी ठेठ देसी अंदाज में अपनी मजबूत भुजाओं के बल पर उन्हें रोक लेते हैं और धकेलते हुए वापस चीन की सीमा में लौटने के लिए मजबूर कर देते हैं. 

इसके अलावा भी चीन की सेना अंतरराष्ट्रीय मोर्चों पर भी अपनी बुजदिली का सबूत दे चुकी है. साल 2016 में द गार्जियन अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीकी देश सूडान में चीन की फौज शांति सेना के रुप में तैनात थी. उस समय चीनी सैनिकों को एक शरणार्थी शिविर की रक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन विद्रोहियों के हमले के समय चीनी फौजी मोर्चा छोड़कर भाग गए. चीनियों की कायरता का नतीजा ये रहा कि इस शिविर पर क्रूर विद्रोहियों का कब्जा हो गया उन्होंने मासूमों की हत्या कर दी और महिलाओं से बड़ी बेरहमी से बलात्कार किया.     


लद्दाख में भी डर के मारे भारतीय सैनिकों से दूर हैं चीनी 
भारत के देश विरोधी भले ही ये प्रोपगैंडा करके खुश हो रहे हैं कि चीन की सेना भारतीय सीमा के अंदर दाखिल हो गई है. लेकिन सच ये है कि चीनी फौजियों की हिम्मत नहीं हो रही है कि वह भारतीय सीमा के पास भी फटकें.  
ओपन सोर्स इंटेलिजेंस अनैलिस्ट Detresfa द्वारा जारी सैटलाइट तस्वीरों से ये खुलासा हो रहा है कि चीन की सेना भारतीय सीमा के अंदर घुसने का साहस नहीं जुटा पा रही. इन तस्वीरों से पता चलता है कि चीन की फौज भारत के गोगरा बेस से 11 किमी दूर उत्तर पश्चिम की ओर कैंप लगाकर बैठी हुई है. हालांकि यह सीमा पर चीन की सबसे बड़ी यूनिट है. जिसमें कई बड़े ट्रक भी शामिल हैं. 


लेकिन भारत की तरफ से भी तैयारी पूरी है. जिसकी वजह से चीनी भारतीय सीमा से दूर ही रह रहे हैं. भारत की सीमाएं हमारे बहादुर फौजियों के हाथ में पूरी तरह सुरक्षित हैं.

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