नई दिल्ली. भारत अपने चंद्रमा मिशन की सफलता के बाद अंतरिक्ष यात्रा के क्षेत्र में नए झंडे गाड़ने की तैयारी में है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) अगले महीने सूर्य मिशन की शुरुआत करने की तैयारी में है. जहां चंद्रमा तक पहुंचने में भारत को 40 दिन का समय लगा है तो वहीं भारतीय स्पेस एजेंसी ने सूरज तक पहुंचने के लिए चार महीने लंबी यात्रा की प्लानिंग की है.
दरअसल भारत का सूरज मिशन लगभग एक दशक से पाइप लाइन में है. बेंगलुरु के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के साइंटिस्ट इस मिशन को कामयाब बनाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. श्री हरिकोटा से रॉकेट को प्रक्षेपित किया जाएगा जो करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा.
एल1 प्वाइंट पर रखा जाएगा स्पेसक्राफ्ट
यह दूरी पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से करीब तीन गुना ज्यादा है. हालांकि पृथ्वी से सूरज के बीच की दूरी करीब 15 करोड़ किलोमीटर है. लेकिन स्पेस क्राफ्ट को 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर एल1 लार्जरेंज प्वाइंट में रखा जाएगा. इस प्वाइंट से सूरज का अध्ययन बिना ग्रहण के किया जा सकेगा. इस दूरी पर सूरज के ग्रहण का कोई प्रभाव नहीं होता. अंतरिक्ष में एल1, एल2, एल3, एल4 और एल 5 पांच पार्किंग प्वाइंट कहे जाते हैं.
ताकतवर एजेंसियों ने भेजे हैं मिशन
सूरज पर अब तक अमेरिका, जर्मनी और यूरोपीय एजेंसी द्वारा अब कुल 22 मिशन भेजे जा चुके हैं. पहला सूर्य मिशन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने साल 1960 में पायनियर के नाम से भेजा था. इसके बाद जर्मनी ने अपना पहला सूर्य मिशन नासा के साथ मिलकर साल 1974 में भेजा था. यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने अपना मिशन नासा के साथ मिलकर 1994 में भेजा था.
इसरो का लोहा मान रहा नासा
इसके बाद साल 2001 में भी नासा ने मिशन भेजा था. इस मिशन का नाम जेनेसिस था. यह मिशन सफल रहा था लेकिन लौटते वक्त क्रैश लैंडिंग हो गई थी. अब दुनिया की ताकतवर एजेंसियों की तरह इसरो भी अपना सूर्य मिशन भेज रहा है. कहा जा रहा है नासा भी चाहता है कि इसरो उसके साथ मिलकर काम करे.
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