नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश (यूपी) में गिरफ्तार 2 आतंकियों की कानूनी मदद देने का ऐलान किया गया है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद आतंकियों का केस लड़ेगा. दोनों को मुस्लिम होने के कारण फंसाने का आरोप लगाया जा रहा है. मौलाना अर्शद मदनी ने कहा है कि जब तक कोर्ट दोषी न ठहराए दोनों बेकसूर हैं. फिलहाल अलकायदा आतंकी यूपी ATS की कस्टडी में हैं. ऐसे में आतंक के आरोपियों का केस लड़ने पर सवाल उठ रहे हैं.
मौलाना अर्शद मदनी का ऐलान
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि 'जो कह रहे हैं कि 2 आतंकवादी पकड़े गए, मैं समझता हूं ये बात गलत है. अभी तो अदालत का कोई फैसला नहीं हुआ है. जिन लोगों ने पकड़ा है ये कहकर पकड़ा है कि ये आतंकवादी हैं. हमने तो 25 साल से इस चीज को देखा है कि जिनको सरकार की एजेंसियां आतंकवादी और दहशतगर्द कहकर पकड़ती हैं और उनके खिलाफ लोअर कोर्ट के अंदर बल्कि हाई कोर्ट के अंदर भी जुर्म लगा दिया जाता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अंदर सेवर बाइज्जत बरी हो जाते हैं.'
उन्होंने ये भी कहा कि 'जब वो मुलजिम है अभी तक ये फैसला नहीं हुआ है. ये तो अदालत फैसला करेगी कि ये क्या है. कोर्ट इसीलिए बने हैं. हाई कोर्ट है, सुप्रीम कोर्ट है. इसलिए उस वक्त तक हम इस बात को नहीं मानते हैं कि उसकी मदद ना की जाए. जब तक वो मुलजिम है उनको आप कैसे दोषी कह देंगे?'
जमीयत की 'आतंकी वकालत'
यहां आपको ये समझने की जरूरत है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जमीयत ने पहली बार 'आतंकी वकालत' की हो. इससे पहले भी आतंक से जुड़े कई मामलों में आतंकियों का बचाव करने की कोशिश की गई है.आपको बताते हैं कि किन-किन मामलों में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पैरवी की है.
7/11 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट (2006)
मालेगांव ब्लास्ट केस (2006)
औरंगाबाद आर्म्स केस (2006)
लखनऊ-फैजाबाद ब्लास्ट (2007)
26/11 ब्लास्ट केस (2008)
मुलुंड ब्लास्ट केस
गेटवे ऑफ इंडिया ब्लास्ट केस
13/7 मुंबई ट्रिपल ब्लास्ट (2011)
आर्थर रोड जेल अटैक केस
इंडियन मुजाहिदीन ब्लास्ट केस
अक्षरधाम अटैक केस
कोलकाता अमेरिकन सेंटर ब्लास्ट
आतंकियों पर अब तक सबूत
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने ये कहकर इन आतंकियों की वकालत करने का फैसला किया है कि अभी दोष साबित नहीं हुआ है. तो उनको इन सबूतों के बारे में जानना चाहिए. इन आतंकियों के पास से धार्मिक शहरों के नक्शे बरामद किए गए हैं, मतलब साफ है कि इनके नापाक मंसूबे बेहद खतरनाक थे.
इन आतंकियों का टारगेट राम जन्मभूमि था, क्योंकि इनके पास से अयोध्या के कई नक्शे बरामद हुए हैं. इनकी नापाक नजर बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर पर भी थी, क्योंकि इनके पास से वाराणसी के मंदिरों के नक्शे भी मिले हैं. ये आतंकी कृष्ण जन्मभूमि को भी निशाना बनाना चाहते थे, क्योंकि इनके पास से मथुरा के कई मंदिरों के नक्शे मिले.
इसके अलावा एटीएस के पास वीडियो कॉल डिटेल्स भी मौजूद है. इनके WhatsApp मैसेजेस भी एक अहम सबूत है. इन आतंकियों के पास से IED और कई हथियार मिले. इनके पास से 2 प्रेशर कुकर (बम) मिले. मौलाना अरशद मदनी को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि क्या इन हथियारों की ये पूजा करने वाले थे?
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने इस मसले पर कहा है कि जो लोग पकड़े गए हैं उत्तर प्रदेश में ये बहुत बड़े गुनहगार है. मुस्लिम संगठनों को सोचना चाहिए और ऐसे लोगों को मदद करना ठीक नहीं है. वहीं खालिद रशीदी का कहना है कि 'कानूनी लड़ाई लड़ने का सबको संवैधानिक हक और इख्तियार हासिल है, लेकिन ये जरूरी है कि इस पूरे मामले की एक डिटेल जांच होनी चाहिए.'
आपको याद दिला दें, 13 जुलाई 2021 को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 'सरकार ने पहले दिन से इस बारे में कहा कि हम जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत काम करेंगे. सुरक्षा के मुद्दे पर प्रदेश की 24 करोड़ जनता को हर हाल में सुरक्षा प्रदान की जाएगी. सुरक्षा के साथ सेंध लगाने के लिए किसी को भी छूट नहीं देंगे.'
अलकायदा की साजिश पर खुलासे
15 अगस्त से पहले बड़े बम धमाकों का प्लान था. अयोध्या, काशी, और मथुरा पर था खास निशाना था. आतंकियों मसरुद्दीन और मिन्हाज ने प्लानिंग का कबूलनामा किया है. यूपी में सीरियल ब्लास्ट की आतंकी साजिश थी. आतंकियों की प्लानिंग मानव बम हमले की भी थी. साजिश के तार पाकिस्तान से जुड़े होने के भी सबूत हैं. मास्टरमाइंड के तौर पर उमर अलमंदी के नाम का खुलासा हुआ है. अलमंदी अलकायदा का इंडिया मॉड्यूल चलाता है. पाकिस्तान के पेशावर से नेटवर्क चलाता है.
क्या है जमीयत उलेमा-ए-हिंद?
अब आपको भी जानना चाहिए कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद आखिर है क्या? ये सुन्नी मुसलमानों का सबसे बड़ा धार्मिक संगठन है. 1919 में गठन किया गया था, जिसके अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी हैं. मुस्लिम लीग के समर्थन पर 1945 में विभाजन हुआ. 2008 में अंदरूनी मतभेदों पर एक और बंटवारा हुआ. मुसलमानों का 'राष्ट्रवादी संगठन' होने का दावा है.
'आतंक का तो धर्म नहीं होता' बार-बार यही बताया जाता रहा है, तो फिर धर्म के नाम पर आतंक के आरोपियों की मदद क्यों की जा रही है. सोचिए एटीएस के अधिकारियों ने अपनी जान को जोखिम में डालकर अलकायदा के आतंकियों को गिरफ्तार किया. जिनकी प्लानिंग पुलिस के मुताबिक 15 अगस्त वाले दिन देश को दहलाने की थी, शहर शहर धमाका करने की थी, काशी मथुरा अयोध्या को निशाना बनाने की थी.
जिनके पास से तबाही का सामान मिला. कूकर बम से लेकर टाइम बम मिला, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है उनका पाकिस्तान कनेक्शन भी सामने आ रहा. इनकी साजिश मानव बम से हमले की थी. ई रिक्शा बम के जरिए लखनऊ के भीड़ भाड़ वाले इलाके में लाशों का ढ़ेर लगाने की थी.
ऐसे खूंखार आतंकी को कोई बचाने की तैयारी कर रहा है, जमीयत उलेमाए हिंद ने तय किया है कि अलकायदा के गिरफ्तार आतंकियों को कानूनी मदद दी जाएगी उनके मुताबिक एजेंसिया पक्षपात पूर्ण तरीके से धार्मिक आधार पर मुस्लिम लड़कों को गिरफ्तार करती है, उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है. आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करके मुस्लिमों की जिंदगी बर्बाद की जा रही है. ऐसी सोच रखने वालों के लिए सिर्फ एक ही बात जेहन में आती है, शर्म करो...!
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