नई दिल्ली: हाल ही में कर्नाटक सरकार की ओर से महिलाओं को मुफ्त बस सेवा प्रदान की गई. इस योजना को शक्ति योजना का नाम दिया गया है. इस तरह कर्नाटक सरकार ने भी दिल्ली सरकार की तरह महिलाओं की सशक्ति को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है.
पर कर्नाटक सरकार के विपक्षी दलों को यह कदम 2024 के चुनावों में अपनी पकड़ मजबूत बनाने का प्रयास मात्र दिखाईं पड़ रहा है. योजना के उद्घाटन समारोह में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी भी शामिल थे.
हालांकि सरकार की मानें तो यह योजना महिलाओं को समानता एवं आर्थिक रूप से मजबूत बनाने का एक प्रयास है. गौरतलब है यह योजना कांग्रेस द्वारा अपने घोषणा पत्र में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के समय ही पेश कर दी गई थी. चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 11 जून को इस योजना की शुरुआत कर दी. इस योजना से परे घोषणा पत्र में जो 4 योजनाएं और बाकी है उन योजनाओं का कर्नाटक की आम जनता को कब लाभ मिलेगा यह आने वाला समय ही बताएगा.
किसको मिलेगा, कैसे लाभ
सरकार की ओर से 11 जून को सुबह 11 बजे योजना का आरंभ किया गया.इसमें महिलाओं के लिए कर्नाटक राज्य के अधीन आने वाली सभी बसों में मुफ्त यात्रा का वादा पूरा किया गयाा. इस योजना में सरकार ने एक्सप्रेस बस सेवाएं भी शामिल कर दी हैं. हालांकि धार्मिक पक्ष को थोड़ा निराशा का सामना करना पड़ा क्योंकि इस योजना के तहत महिलाएं सिर्फ आंध्र प्रदेश की सीमा से लगे कोलार जिले के मुलबगल तक ही जा सकती है उसके बाद तिरुपति बालाजी की यात्रा के लिए उनको शुल्क देना होगा. इसके अलावा पड़ोसी राज्यों के अंदर 20 किमी तक की यात्रा के लिए उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होगा.
अब बदलेगी तस्वीर राज्य की ?
इस योजना की शुरुआत होने पर सबसे पहला प्रश्न यह है कि कर्नाटक में कामकाजी महिलाओं का आंकड़ा बढ़ता है या पिछले सालों के आंकड़ों के जैसे ही मध्यम आंकड़ों पर ही संतोष करना पड़ता है. इस तरह की योजनाएं श्रमिक महिलाओं की आर्थिक स्थिति को भी बढ़ावा देते हुए दिखाई देती हैं परन्तु यह योजना श्रमिक महिलाओं के लिए कितनी लाभ देने वाली होगी यह आने वाला समय ही बताएगा. हालांकि आंकड़ों के तौर पर देखा जाए तो किसी भी योजना में पूर्णतया रूप से छूट देना एक समय के बाद राज्य की आर्थिक स्थिति पर अच्छा प्रभाव नहीं डालता है. सरकार द्वारा योजनाओं में मुफ्त की सुविधा न देकर उनमें कुछ छूट देना एक अच्छा कदम साबित हो सकता है.
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