नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली कोरोना वायरस एक समय बहुत वीभत्स रूप ले रहा था लेकिन पिछले कुछ समय से केंद्र सरकार और गृहमंत्री अमित शाह के कुशल निर्देशन में दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना पर काबू पाने में सफलता हासिल की है. गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने ऐसे निर्णय लिए जिससे कोरोना संक्रमण को थामने में मदद मिली.
दिल्ली में तेजी से सुधर रहे हालात- अरविंद केजरीवाल
On 1st June there were 4,100 beds in Delhi, today there are 15,500 beds. Today there are 2,100 ICU beds, of which 1,100 are vacant. Because of this, today people have the confidence that in case they need to be hospitalised, there will be no shortages: Delhi CM Arvind Kejriwal pic.twitter.com/KteFyL57os
— ANI (@ANI) July 15, 2020
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना के हालात में सुधार हुआ है. अस्पतालों की हालत सुधरी है. कोविड-19 के केस अनुमान से कम हैं. सभी के सहयोग से कोरोना से मुकाबला संभव हुआ है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हमें आत्मसंतुष्ट नहीं होना है और तैयारियां जारी रखेंगे. केंद्र सरकार ने हमारी मदद की और दिल्ली में सबसे पहले एंटीजन टेस्ट हुए.
दिल्ली में अनुमान से कम हैं संक्रमित मरीज
As per estimates, 2.25 lakh cases were predicted by 15 July in Delhi but after united efforts, the cases today are half of the prediction. Today we have 1.15 lakh cases: Delhi CM Arvind Kejriwal #COVID19 pic.twitter.com/ieN6Pq6keS
— ANI (@ANI) July 15, 2020
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारी सरकार काजो फॉर्मूला था, आज 15 जुलाई तक दिल्ली में कोरोना के सवा दो लाख केस होने चाहिए थे लेकिन हकीकत में आज उसके आधे मामले हैं. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि 31 जुलाई तक दिल्ली में करीब साढ़े पांच लाख केस होंगे लेकिन ये बयान उनका गलत साबित हुआ. केजरीवाल ने कहा कि आज दिल्ली में 1 लाख 15 हजार केस हैं. ये दिल्ली की जनता, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार की सजगता से संभव हुआ. आज स्थिति काफी नियंत्रण में है लेकिन कोरोना कभी भी बढ़ सकता है और हमें लगातार तैयारी और संघर्ष जारी रखनी है.
दिल्ली में मरीजों की मौत के मामले पर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी पहली बार शुरू की गई. प्लाज्मा सबकी जान तो नहीं बचाता पर कई लोगों की जान बचता है. दिल्ली में मौत के आंकड़े काफी काम हो गए हैं. पहले 100 से अधिक मौतें होती थीं और आज 30 -35 मौतें हो रही हैं.