नई दिल्ली: मोदी सरकार अब किसान आंदोलन को खत्म करने और किसानों की आमदनी बढ़ाने का हर संभव प्रयास कर रही है. तीनों कृषि कानून वापस लेने के बाद अब किसानों की सबसे बड़ी मांग एसएसपी गारंटी कानून लागू करने की है. आइये एमएसपी के बारे में हर बात जानते हैं और समझते हैं कि इससे किसानों का कितना फायदा होगा.
क्या होती है एमएसपी
न्यूनतम सर्मथन मूल्य किसानों की फसल की सरकार की ओर से तय कीमत होती है. इससे किसानों को पता चल जाता है कि उनकी फसल का मूल्य क्या है. एमएसपी पर ही सरकार भी किसानों से उनकी फसल खरीदती है.
कब बना एमएसपी
वर्ष 1965 में ग्रीन रिवॉल्यूशन के समय एमएसपी को घोषणा हुई थी. 1966-67 में गेहूं की खरीद के साथ इसकी शुरुआत हुई.
कौन तय करता है एमएसपी
सरकार हर साल रबी और खरीफ सीजन की फसलों का एमएसपी घोषित करती है. फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग तय करता है.
किसानों की समस्या क्या है
किसान खुद अपनी फसल की कीमत तय नहीं कर सकता. इसके लिए उसे आढ़तियों और सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है. ऐसे में कई बार उसकी फसल कम कीमत पर बिकती है.
एमएसपी लॉ से क्या होगा
किसान दुकानदारों और आढ़तियों के चंगुल से काफी हद तक आजाद होगा. वह अपनी फलत एमएसपी से कम कीमत पर न बेचने के लिए पूरी तरह सक्षम होगा. फसल एमएसपी से कम नहीं बिकेगी तो किसानों की आमदनी डेढ़ गुनी तक बढ़ सकती है.
कीमत तय करने का फार्मूला क्या होगा
कृषि सुधारों के लिए 2004 में स्वामीनाथन आयोग बनाया गया था. डा. एमएस स्वामीनाथन समिति ने यह सिफारिश की थी कि एमएसपी औसत उत्पादन लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होना चाहिए.
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