नई दिल्ली: भगवान नानक देव के जीवन से जुड़ा सबसे पावन स्थान भी कल आंधी तूफान की चपेट में आ गया. बताया जा रहा है कि पाकिस्तान और भारत की सीमा पर दोनों ओर बारिश और आंधी की वजह से कुछ गुम्बद टूट गये. 


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आपको बता दें कि पिछले साल गुरु नानक देव के 550वें प्रकाशोत्सव पर भारत और पाकिस्तान के बीच कॉरिडोर खोला गया था और ये गुंबद कुछ महीने पहले ही बनवाए गए थे. सीमा पर दोनों ओर शुक्रवार से आंधी-तूफान चल रहा है. करतारपुर में ही गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के 18 साल बिताए थे, इसलिए सिखों में इसकी बहुत अहमियत है.


पाकिस्तान का झूठ उजागर


पाकिस्तान में करतारपुर साहिब गुरुद्वारेके कई गुंबद शनिवार को मामूली आंधी में ढह गए. इससे पता चलता है कि पाकिस्तान ने पूरी मजबूती से इस गुरुद्वारे और कॉरिडोर का निर्माण नहीं कराया था. पाकिस्तान ने ठोस पत्थर और सीमेंट के बजाय फाइबर से इन गुंबदों को बनवा दिया था. इससे सिक्ख समुदाय के लोगों में खासी नाराजगी है.  इनका निर्माण दो साल पहले यानी 2018 में हुआ था.  अब कंस्ट्रक्शन क्वॉलिटी पर सवालिया निशान लग रहा है.


लोगों का कहना है कि इमरान खान सरकार में किसी अन्य मजहब को सम्मान नहीं मिलता. लोगों का यह भी आरोप है कि इमरान के लिए करतारपुर सिर्फ पॉलिटकल स्टंट था और सच में वे इस्लामी कट्टरपंथी नेताओं और आतंकियों से डरते थे.


फाइबर से बनाए गए थे गुंबद


करतारपुर गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार हाल ही में किया गया था. गुरुद्वारा परिसर का भी पुर्ननिर्माण कराया गया था. गुंबदों के निर्माण में सीमेंट, लोहे और कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं हुआ है. ये गुंबद फाइबर से बनाए गए थे लेकिन, अब साफ हो गया है कि फाइबर भी बेहद घटिया क्वॉलिटी का था. ये मामूली आंधी भी नहीं झेल सके.


करतारपुर का इतिहास


गुरु नानक देव जी की सोलहवीं पीढ़ी के रूप में डेरा बाबा नानक स्थित गुरुद्वारा चोला साहिब में सेवाएं निभा रहे सुखदेव सिंह और अवतार सिंह बेदी बताते हैं कि गुरु नानक देव ने रावी नदी के किनारे बसाए नगर करतारपुर में खेती कर 'नाम जपो, किरत करो और वंड छको' (नाम जपें, मेहनत करें और बांटकर खाएं) का संदेश दिया था.


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इसके बाद सिखों ने लंगर कराना शुरू किया था. इसी जगह भाई लहणा जी को गुरु गद्दी भी सौंपी थी, जिन्हें सिखों के दूसरे गुरु अंगद देव के नाम से जाना जाता है.


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